Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Tragedy

5.0  

Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Tragedy

डायन

डायन

3 mins
947


ढम -ढम -ढम

नगाड़े की आवाज सुन, उसके माथे पर पसीने की बूँदें गहरा गई। अपने नवजात शिशु को उसने गले से चिपटा लिया। बीता समय तेजी से उसकी आँखों के सामने आ खड़ा हुआ। पति के मरने के बाद वो सब सुध -बुध खो बैठी थी। धीरे -धीरे उस दुःख से उभरी तो अपने जेठ -जेठानी की आँखों में अपने नवजात शिशु के लिए नफरत देख उसे आश्चर्य हुआ था। अरे छोटे बच्चे तो जंगली जानवर के भी प्यारे लगते हैं। फिर अपने ही भाई के बेटे से नफरत क्यों ?

जवाब भी जल्दी ही समझ आ गया था। पिता के हिस्से की ज़मीन का वारिस था, बस इसीलिए अब वो रास्ते का काँटा लग रहा था।

पहले जेठ -जेठानी ने उसका दोबारा विवाह करवाने की बात छेड़ी। पर उसने साफ़ इंकार कर दिया। पति की यादों के सहारे, अब बेटे को पाल -पोस कर बड़ा करना ही उसके जीवन का लक्ष्य था। जेठ -जेठानी बहुत भड़के थे।

फिर एक दिन जेठ उसे समझाने आये। ज़मीन उन्हें बेच वो आसानी से जिंदगी गुजार सकती है। वो अकेली औरत भला कैसे खेतिहर मजदूरों को संभालेगी? कौन हिसाब किताब रखेगा? अरे जिसका जोर चलेगा वही ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेगा। पर उसने इस बात से भी इंकार कर दिया।

आज तेजी से पास आते नगाड़ों की आवाज़ उसे डरा रही है। वो बेटे को सीने से लगा, भगवान शिव की तस्वीर के आगे हाथ जोड़े बैठी है।

अपनी जिंदगी की चिंता नहीं है, पर बेटा जिसने अभी अपनी ऑंखें भी ठीक से नहीं खोली हैं, क्या उसे भी मानव -लालच रूपी सुरसा के मुंह की बलि बन जाना पड़ेगा ?

कितनी आसानी से जेठ -जेठानी ने सारे गाँव -वालों को उसके "डायन " होने का यकीन दिलाया था। उसकी बड़ी -बड़ी ऑंखें, जो पहले स्त्रियों में ईर्ष्या का कारण थी, उन्हे ही आज उसके डायन होने की निशानी बताया जाता था। जो काले लम्बे बाल पति को काले बादल से लगते थे,अब वो काली शक्ति का अड्डा कहला रहे हैं। उसने ही अपने पति को खा डाला है - ये घिनौना लांछन लगाने वालों ने उसकी सूनी मांग और सूनी आँखों के दर्द को कैसे नज़रअंदाज़ किया होगा।

आज पति जिन्दा होते तो जो नवजात शिशु चाँदी के चम्मच से दूध पीता, उसे आज डायन का बेटा कह खून -चूसने वाला कह रहे हैं।

अब उसे पकड़ लेंगे। किसी पेड़ के साथ बाँध, उसे और उसके बच्चे को जला देंगे।

बस एक टुकड़े ज़मीन के लिए।

पर ये क्या ??

अचानक नगाड़े की आवाज़ थम क्यों गयी है ? उसने डरते हुए खिड़की से बाहर नजर डाली।

जेठ ज़मीन पर पड़े तड़प रहे हैं। अचानक ही दिल का दौरा आया लगता है । पिछले साल दौरा आया था, तब ऐसे ही तो तड़पते -निढाल हो रहे थे। डॉक्टर ने कहा भी था कि दो बार दौरे आ चुके हैं, तीसरा आया तो ---

जेठानी का रोना कान में पड़ रहा है -

" हे भगवान, हमारे सुहाग को बचा लो ! हम कुछ गलत नहीं करेंगे। देवरानी और उसके बेटे का बुरा करने का कभी नहीं सोचेंगे। बहुत बड़ी ग़लती होने वाली थी हमसे। माफ़ी दे दो, भगवान !"

उसकी नजर एक बार फिर भगवान शिव की तस्वीर पर टिक गयी है। हाथ फिर जुड़ गए हैं। प्रार्थना और भी तेज हो गयी है -

"हे भोलेनाथ। मुझे और मेरे बच्चे को बचा लिया आपने। अब जेठानी के सिन्दूर को भी बचा लो। छोटे -छोटे बच्चे हैं उनके। अब आप और बस आप ही जेठ जी के प्राण बचा सकते हैं ...जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय ! "


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy