STORYMIRROR

Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Others

3  

Aprajita 'Ajitesh' Jaggi

Others

दिल

दिल

1 min
447


"पापा सही कहते हैं, माँ .......आप बिलकुल..बुद्धू ... हो "


बेटा बोला तो न चाहते हुए भी उसके मन में कुछ दरक सा गया। वो कमअक्ल और जाहिल है क्या ?

यही सब सुनने के लिए दिन रात मेहनत की, अपने सारे शौक दफ़न कर एक छोटी सी आमदनी में भी बेटे को अच्छे से पाला -पोस पढ़ाया -लिखाया।


वो यादों के जंगल में खोने ही लगी थी.... कि बेटे की आवाज उसे वापस वर्तमान में ले आयी।


"माँ कहाँ खो गयी.... सुनो न, क्यों ये सब्जियां काट-छांट रही हो, बहुत कतरब्योंत कर लीं आपने ....अब मैं अच्छा कमाने लगा हूँ ....सो आप तो बस ऐश करो, शाम की पार्टी के लिए आपको कुछ करने की जरूरत नहीं,सब कुछ आर्डर कर दिया है मैंने....आप बस सज -संवर कर खूबसूरत सी साड़ी पहन कर तैयार रहना, पार्लर भी हो आना,कोई कंजूसी का बहाना नहीं चलेगा आज से,मैंने पड़ोस की आंटी से बोल दिया है कल से उनके घर काम करने वाली आंटी हमारे यहाँ भी सारा काम करेंगी,आप बस उसे काम बताना। "

धड़ाधड़ फैसला सुना .....बेटा ऑफिस के लिए निकल पड़ा।


जाने क्यों पर अब माँ को बेटे का उसे बुद्धू कहना .....चुभ नहीं रहा।

मीठे -मीठे गुदगुदा रहा है।



Rate this content
Log in