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SANGEETA SINGH

Tragedy Inspirational

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SANGEETA SINGH

Tragedy Inspirational

घर लौटा फौजी

घर लौटा फौजी

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1993 पाकिस्तान

लांस नायक भीम सिंह आज तुम्हें रिहा किया जा रहा तुम्हारी सजा खत्म हो गई है जेल के अधिकारी ने कहा।

1971 के युद्ध में लापता सैनिकों में से एक भीम भी था। कुछ सालों बाद भारत सरकार ने उसे मरा समझ लिया था।

भारत भूमि में पैर रखते उसने अपनी मातृभूमि को चूमा। अनेक ख्याल आ रहे थे।

मां,बापू मुझे देखकर खुश होंगे, और लाजो, उसके भी तो बाल सफेद हो गए होंगे, क्या अब वो मुझे पहचानेगी?

1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध

कुमाऊं की प्लाटून में था भीम सिंह उम्र थी महज 22 साल ,1महीने पहले ही लाजवंती से उसका ब्याह हुआ था।

लाजवंती सही में पूरी लाज की मूर्ति थी। बहुत शर्माती थी ,जब भी भीम उसके करीब आता वो ज्यादा बात न कर पाती ,बहाना बना भाग जाती।

जब युद्ध की घोषणा हो गई ,तो भीम लाजो के पास आया मैं जा रहा हूं लाजो, पता नहीं लौटूं या नहीं?

लाजो ने भीम के मुंह पर हाथ रखा ऐसा क्यों कहते हो ,तुम जरूर लौटोगे, मैं इंतजार करूंगी ।

भीम_देख पगली ,फौजी की जिंदगी उसकी अपनी नहीं होती वो देश के लिए होती है।मैं लौट न सकूं ,तो तू दूसरा ब्याह कर लेना।

लाजो उसके पास से गुस्से से पैर पटकते चली गई ।

दिन भर मुंह ,फुलाए लाजो घूमती रही और भीम उसके पीछे पीछे।

उसके माता ,पिता दोनों को देख देख हंस रहे थे।

रात को लाजो कमरे में आई तो उसकी आंखों में आंसू थे ,भीम की जुदाई उसे अभी से दुखी कर रही थी।

भीम ने जैसे उसकी आंखों के आंसू पोछे वह एक लता की तरह उसकी चौड़ी छाती से लग गई। भीम ने उसे बांहों में कस कर जकड़ लिया। अब वो दोनों एक थे, जहां मैं कहीं नहीं बस हम ।

अगले दिन भीम चला गया। उसके बाद अब लौट रहा है 22 साल बाद।

1993 

कितना कुछ बदल गया था।इन 22सालों में

भारत ने बहुत तरक्की कर ली थी।

भारत में अब टीवी भी आ गया।कितने वाहन सड़कों पर चल रहे थे। सब उसे अचंभित कर रहे थे।

रानीखेत

रानीखेत से 35 किलोमीटर दूर उसका अपना पीपली गांव।

उसके शहादत के नाम पर उसकी एक मूर्ति लगी थी, बुनियादी सुविधाओं से अभी भी दूर था उसका गांव।

भीम का मन आशंकित था , कि पता नहीं सबकी क्या प्रतिक्रिया होगी?

वो धड़कते दिल से घर पहुंचा। घर में ताला लगा था। उसे लगा लाजो खेत गई होगी। लेकिन ताला क्यों? माता, पिता तो होते।

बहुत देर तक प्रश्न उत्तर में खुद को उलझाए चुपचाप दरवाजे पर बैठा रहा।

तभी गांव के कुछ बच्चे आए ,और घेर कर खड़े हो गए। उन्होंने उसे कभी नहीं देखा था। फिर धीरे धीरे और भी लोग आ गए ,अब कुछ बुजुर्ग ,कुछ उसकी उम्र के।

तभी उसके दोस्त बसंत ने पहचाना, अरे भीम!!

क्या???सभी एक दूसरे को आश्चर्य से देखने लगे।

बसंत उसके गले लग गया, मेरे भाई तू जिंदा है! सरकार ने तुझे शहीद मान ,तेरी यहां मूर्ति लगवा दी।

हां बसंत मैं जिंदा हूं, पर भाई मेरे घर वाले कहां हैं?भीम ने बसंत से प्रश्न किया।

तू पहले मेरे घर चल ,हाथ मुंह धुल के पहले खा पी ले ,फिर बताता हूं बसंत ने कहा।

बसंत , तू कुछ छुपा रहा ,कहां हैं सबलोग, तू बता तो सही_भीम के सब्र का बांध टूट रहा था।

बसंत ने उसका हाथ पकड़ा ,और अपने घर ले गया। बगल में ही उसका घर था।

भीम बहुत उतावला हो रहा था ,उसने कहा बसंत तू जल्दी मुझे बता ,सब कहां गए?तब ही मैं पानी भी पियूँगा।

बसंत ने बताना शुरू किया ।भाई तेरे जाने के बाद ,भाभी एक दम गुमसुम रहती ,चाचा, चाची सबलोग रेडियो के पास ही समाचार सुनते रहते ।

जब दिसंबर 1971में युद्ध विराम हुआ ,भारत की जीत हुई।

पूरे गांव में उन्होंने मिठाई बांटी। अब बस तुम्हारे लौटने का ही इंतजार होता।

रेडियो पर रोजाना गुमशुदा सैनिकों और शहीद सैनिकों की खबरें आती।

तुम्हारे रेजिमेंट में भी रोजाना चाचा जी जा जा कर पता करते। जब तुम्हारी कोई खबर नहीं मिलती आकर बेहाल हो घर की चौखट पर बैठ जाते।

भाभी किसी से कुछ न कहती ,बस सूनी आंखों से रास्ता निहारा करती । डाकिये को देख पूछती _ भैया देखी न शायद कोई चिट्ठी मेरे नाम की आई हो ?

कुछ दिनों के बाद चाचा जी बीमार रहने लगे ,चाची भी अंदर अंदर घुट रही थी ।

एक दिन चाचा जी गुजर गए, और उनके गम में चाची भी एक साल बाद ही हम सबको छोड़ चली गई।

भाभी बिलकुल अकेली ,दिन भर खेत, चारा इन सब में समय कटता ।,मेरी पत्नी जाकर कभी उनके पास बैठती ,लेकिन भाभी एक दम बुत बन चुकी थी।बस हां ,न में ही जवाब देती ।

चेहरे की मुस्कुराहट उनकी पूरी गायब हो चुकी थी।

अकेली सुंदर स्त्री ,समाज में बहुत से लोगों की आंख उसपर रहती है ।अपने गांव के रूपसिंह की नजर तुम्हारे खेतों पर थी ,और रूपसिंह के बेटे की नजर भाभी पर _इतना कह बसंत रूक गया।

भीम की आंखों में खून उतर आया था, मुट्ठियां कस गई।

फिर क्या हुआ बसंत ?वह गुर्राया।

रूप सिंह का बेटा युवराज ,एक दिन जब भाभी खेतों पर गई तो उसने उनका अपहरण करवा लिया।

एकांत में ले जाकर उनकी इज्जत को उसने तार तार कर दिया ।भाभी ये सहन नहीं कर सकीं ,उन्होंने एक चिट्ठी मेरे बेटे आनंद को दी,ये कह कर की कभी (तुम)भीम आयेंगे तो दे देना, और आत्महत्या कर ली।

उसके कुछ ही दिन बाद रूप सिंह, उसका बेटा युवराज दोनों ने भी आत्महत्या कर ली।

किसी भी ने खेत कब्जा करने की कोशिश की ,वो बचा नहीं ।

शायद भाभी तुम्हारा ही इंतजार कर रही ।

ये लो चिट्ठी।

बसंत ने एक चिट्ठी भीम के हाथ में पकड़ाई।

भीम ने चिट्ठी खोली ,और पढ़ते पढ़ते वह जोर जोर से रोने लगा।

पत्र में लिखा था_

मेरे प्राणप्रिय

       आपने पहले ही मेरा साथ छोड़ने को कहा था। लेकिन मैं आपके बिना कुछ भी नहीं थी, मैंने आपके अलावा कभी किसी के साथ दुनिया बसाने की कल्पना भी नहीं की थी। मैंने कहा था कि मैं आपकी राह जिंदगी भर देखूंगी। लेकिन मुझे क्षमा करना मेरे प्रिय मैं अपना वादा नहीं निभा पाई। आपकी ही बात सही निकली ।मैं जा रहीं हूं ,लेकिन मेरी आत्मा तब तक मुक्त नहीं होगी ,जब तक आपका घर ,आपकी जमीन ,और ये खत आपको नहीं मिल जाए।

आपकी और सिर्फ आपकी

लाजो

एक देशभक्त ,जांबाज सैनिक सब कुछ छोड़ जाता है ,अपने वतन के लिए ,। लेकिन उसके पीछे उसके अपने भी कभी कभी बहुत बड़ी कीमत चुकाते हैं।

समाप्त



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