Sweety Raxa

Abstract

3.6  

Sweety Raxa

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Facebook ki Duniya...

Facebook ki Duniya...

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फेसबुक नाम बिल्कुल अपनी तरह ।चेहेरे किताब जैसी ।बस पढते जाओ ।हर नई पन्नों की तरह नये चेहरे ।जितनी सोशल साईट है उन सबको पीछे करके आगे चलने वाली फेसबुक ।।


हर किसीकी तरह उसको भी (संजना) फेसबुक का खुमार चढ़ा।उसने भी अपनी आई डी खोली प्रोफाइल्स भी डाले ।अपनी सभी फ्रेंड्स को बताया ओर ऐड भी किया फिर क्या था ।जब भी कॉलेज से आती अपनी फोन पे बिजी होजाती अपनी दोस्तों से बात करना फिर फेसबुक मे अपनी कुछ तस्वीरें छोड़ना ओर उन्पे लाइक आना देख खुश होना ।उसको अच्छा लगने लगा।


अब वो अपने कॉलेज फ्रेंड्स को छोड़ कुछ ऐसे दोस्त भी बना लिये थे ।अब तो ज़्यादा वक़्त फोन पे बिताने लगी है।नये दोस्तो के साथ मैसेज करना उनसे बात करना उसको अच्छा लगने लगा ।कहीं भी जाती हैतो अब फोन भी उसके साथ रहता है ।अब तो घर में भी सब उसको (संजना) को बोलने लगे है।कुछ काम भी करले पूरे दिन तो फोन पे हो या फिर पढाई तो ढंग से करले ये फोन क्लास मे एग्जाम मे तेरा जवाब नही लिखेगा।बस ये घरवाले बोलना चालू करदिये।


बात ये नही कि वो कुछ ओर काम करती नहीं। बात ये हैआजकल वो कुछ जादा फोन पर रहती हे। अब वो पहली वाली संजना नहीं है, वो बदली बदली सी हो गयी है ।कभी ज़्यादा खुश तो कभी उदासी उसके चेहरे पर नजर आती है। एक दिन उसकी फ्रेंड (नेहा)

उसको पुछ लिया "क्या बात हैआजकल तुम कभी खुशी कभी गम वाले मुड मे ज़्यादा रहती हो।तो उसने हल्की सी मुस्कुराहट दी ओर बोलने लगी,


मैन फेसबुक पे एक लडके (अभिनव)के साथ दोस्ती की ओर न जाने कब हम एक दूसरे को इतना अच्छे से जान ने लग गए। जब हम बात करते हैं मुझे अच्छा लागता हैओर जिस दिन बात ना हो उसदिन पता नही क्यों मुझे उसकी ऑन लाइन आने का इन्तज़ार रहता है।फिर जब वो ऑनलाइन आता हैहम बात करते हैं मुझे खुशी मेहसूस होती है।तब उसकी वो दोस्त ने कहा क्या तुमको पता है ? फेसबुक पे दोस्ती करना अच्छी बात है मगर कुछ ऐसे लड़के भी हैं जो लड़कियों को दोस्ती करने को आमंत्रण (फ्रेंड रिक्वेस्ट) भेज कर दोस्ती बनाकेउनको बेवकूफ बनाते हैं उनका गलत फायदा भी उठाते हैं ।तू प्लीज इनसब मे मत पड़ ।


क्या पता वो कैसा लड़का (अभिनव) होगा तुम्है मीठी मीठी बातें करके कल तुम्हारे साथ कुछ गलत ना करदे ।फेसबुक एक ऐसी जगह है जहां मीलो की दुरी नजदीक लगती है।यहां हमेसा रोनक लगे रहते हैं वो चाहैदिन हो या रात ।इन्सान भले घर की लाईट बन्द कर देता हैवो सोने के लिये नही ये सोच के की घरवाले कही मेरे जागने से आवज ना दे ओर कितनी देरमे सोयेगा इस डर से ।

ओर फिर नेहा ने उसको समझाने की कोशिस की।हम जब सामने मे रहते लोगो को अच्छे से नहीं जान सकते हैं तो वो इतना दुर होके कुछ दिन मैसेज के आदान प्रदान से किसिके लिये हम अपनी जिन्दज़ी की सारी खुशिया को उसके एक ऑन लाइन आने जाने पे रख दिये हैं।जरा सोच के देख ।इस तरह नेहा ने बहुत सारी बात समझाए ।फिर कही कुछ समय बाद संजना को समझ आया उसने कहा अब वो।फेसबुक तो चलाएगी दोस्त भी रखेगी ।मगर एक दायरे मे ना वो परेशान होगी नाही अपनी पढाई का नुक्सान करेगीबात बस येहा इतनी सी है।।।


फेसबुक जरुरी हैमगर हम उसको अपनी जरुरत बनालेते हैं ।नई जानकारी ,नई खबर,नई लोग सब फेसबुक पे हैदेखो दोस्ती करो मगर अपनी जिन्दगी को उसका गुलाम मत बनाओ ।वो खुसी देती ह दो पल की ताऊमर उसको अपना हिस्सा मत बनने दो।अब संजना समझ चुकी थी।उसको करना क्या है।अब वो पहले जैसी होग्यी है।खुस रहती है।अभिनव से बात होती ह।मगर अब वो उतना इन्तजार करती नही ।अपना पढाई।पे।ओर।घरवालो।केसाथ वक़्त बिताके जब खाली समय मे फोन चलाती हे।ओर खुस भी हे।


जाने अनजाने हम सब ये सोशल नेटवर्क साइट मे इतना बिजी हो जातें है पता नही चलता ।कब अपनो का वो साथ छोड देते एक ही घरमे रहते रहते ।जिन्दगी मे सब जरुरत हैमगर हम उनको अपनी तरीके से उपयोग करे तोह जिन्दगी बेहतर होगी।।।।









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