इन्तज़ार
इन्तज़ार


कुछ पुरानी बात है।
जब मे स्कूल जाया करती थी। तब मैंने हर रोज उस एक सख्श को
मेरे स्कूल के रास्ते आते जाते देखा है। तब ये नहीं समझ पा रही थी। आखिर रोज उसी वक़्त एक ही समय आखिर वो जाता कहां है। एक दिन मन मे उस्सुकता हुई। पूछ लूँ सर आप जाते कहां हो।
बात ये नहीं की वो उसी रास्ते रोज आते जाते हैं। बात ये है जहाँ वो जाते हैं ना तो वहाँ कोई घर है। ना ही कोई ऑफ़िस फिर जब वो जाते है।उन्के पास बहत सारा खाना होता है।
जैसे बिस्कुट,चॉकलेट ,चिप्स ओर भी समान। जाते वक़्त सब साथ होता है। वापसी मे खाली हाथ ओर होठों पे सुकून वाली मुस्कुराहट, बस। वैसे वो उम्र से 50/ 55के होंगे।
और सुना है बेंक में काम भी करते हैं।
मगर सवाल वही है।।वो जाते कहा है,फिर एक दिन मैंने अपनी स्कूल जाते समय उनको देखा।मे खुद को रोक ना सकी ,मैंने सोचा आज क्यूँ ना पीछे-पीछे चली जाऊ ओर पता करू आखिर जाते कहा हैं
मैंने अपनी साईकल पकड़ी और उनके पीछे चली।
कुछ 10/15mnt बाद वे बड़ी चौड़ी रास्ते से उतर कर छोटी सी खेतों वाली रास्ते पे जाते हैं, फिर मैंने भी उनका पीछा करना छोडा नहीं, अब तो मेरे मन में ओर उस्सुकता बढने लगी।
मैंने भी पीछा नही छोड़ा। कुछ समय बाद वे एक छोटी सी बस्ती मे पहुचे ।जब
मैंने देखा वो रुक ग्ये तोह मे भी रुक ग्यी ।थोडी दुरी पर ओर वही से छुपके उनको देखने लगी।
जो मैंने देखा वो आपभी देखते तो सायद अपके भी आंखो से पानी छलक जाती ।उस छोटी बस्ती मे ऐसे बहुत सारे बचे जो उनकी इन्तजार मे थे। जब वो साइकिल की घंटी बजाते हुए बस्ती के अनदर ग्ये वो नजारा देखने के बाद खुसी से मेरे आंख भर आयी ।
मैंने सोचा इतनी बिजी जिन्दगी मे उन बचो के पास जाना उनकी मदद करना ओर फिर आके अपनी दुनिया मे अपनी काम करना ये कोई मामूली इन्सान नहीं है। जब वो उन बचो से मिलके वापस आये तो मे उन्के सामने आग्यी ओर बोला सर पिछ्ले कुछ दिनों से मे आपको देख रही थी। आज मुझसे रहा नही गया तो मैंने आपका पीछा किया। मुझे माफ कीजियेगा ।लेकिन वो मुस्कुरा के बोले। मैंने तुम्है देखा था। मेरे पीछे आते ओर वो अपने हाथ मेरे सर पे फेर के वहा से चले आये और मेरी मन की उस्सुकता उसदिन खतम हो गयी। बस्ती के उन बचो मे जो इंतजार उन सर केे लिये था वो सायद मे बयां कर सकूँ ओर सर को जो उन बचो से मिलने की खुसी वो भी सायद बयां कर सकूँ।
ऐसा लग रहा था वे एक दूसरे का इंतज़ार।
बड़ी शिद्दत से करते हैं हर उस दिन का जब वो जाते थे। उनसे मिलते थे, दोनों के इंतजार में कितनी खुशी छुपी थी।
ये बयां करना मुश्किल है।