Sweety Raxa

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3.4  

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यादें

यादें

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आज भी तीनों यही सोच रहें हैं। फिर कब हम गांव जाएंगे। पिछ्ली बार जब राजेश अपनी नानी के घर गया था तब वह अपने दोनो मित्रों को भी साथ ले के गया था। राधे ओर मधू को। जब वे तीनों गांव गए थे तभी वे बहुत अच्छे से वहां का आनन्द लिये थे।


आज भी गर्मियों की छुट्टी हो चुकी हैं। लेकिन इस बार राजेश नानी के घर नही जा रहे इस बार उसके माता पिता छुट्टी बिताने बाहर कहीं जाने की सोचे हैं।लेकिन राजेश अपने मित्रों के साथ नानी घर जाना चाहता हैं। जब वो राधे ओर मधू नानी घर गये थे तब वे बहुत ही मस्ती किये थे,गांव की नदी मे जाके देर तक नहाना, अपने तौलिये से मछली के पीछे भाग के जाना, यह सोच के की शायद हम उसको पकड़ लें। नानी के गांव मे जो आम के पेड़ हैं वहां से आम चोरी कर के खाना, एक दिन जब राधे आम के पेड़ पे चढ़ा ही था तभी थोड़ी दूर से आवाज़ आती है कौन ? कौन है वहां जो आम तोड़ रहा हैं ओर हम भाग ने की कोशिश मे गिरे पड़े घर की तरफ भाग निकलते हैं। लेकिन जो भी हो वहां के आम बहुत ही रसिले थे ओर मीठे जो हम को बार बार अपनी ओर खींच लिया करता था ।


लेकिन वहां की हरि हरि सब्जी जो नानी बना के खिलाती थी चूल्हे पे बनी रोटी की बात ही कुछ और ही होती थी हमारे गैस मे बनी रोटी सब्जी उतनी स्वादिष्ट नहीं होती। वहां की सुबह की ताजी हवा उसमे नानी के हाथ की गरम गरम चाय वो भी कुल्हड पे पीते ही पूरे दिन मस्त हो जाना, फिर रोटी के साथ हरि सब्जी जो सिर्फ गांव मे ही इतनी ताजी मिलती हैं जिसका स्वाद मुहँ से जाता ही नही। नानी के हाथ की बनी देशी घी वो भी लाजवाब थी । आज मन फिर वही जाने को हैं लेकिन माँ पापा कही ओर जाना चाहते हैं ।


मेरा मन उनके साथ जाने को नही हैं लेकिन कैसे कहूँ। ये सब जब मे सोच रहा था तभी नानी ने फोन किया माँ को बोली, क्या तुम लोग इस बार छुट्टी में गांव नही आओगे तभी माँ ने कहा नही माँ इसबार राजेश के पापा मनाली जाने को टिकट बनाए हैं हम आने के बाद शायद ही वहां आ जायेंगे तुम परेशान मत होना, नानी माँ की बात सुन के थोड़ी दबे आवाज़ में बोली ठीक है। वैसे आप लोगो की मन मे उठ रहे सवाल का जवाब दे दूँ मेरे दो मामा हैं वे अपने अपने परिवार के साथ अपने कार्य स्थल मे ही रहते हैं। कभी कभी छुट्टी में आते हैं लेकिन जब भी छुट्टी मिलती है तो अपने ससुराल जाते हैं जैसे ये मेरा ननिहाल वैसे मेरे मामी भी अपनी घर जाना चाहते हैं बच्चों के साथ ताकी वो भी अपनी माता-पिता के पास कुछ दिन बिता के आये। इस लिये नानी गांव मे अकेली रहती है लेकिन साथ मे एक गांव के ही चाचा साथ मे रहते हैं उनकी देख भाल करने को।


अब माँ नानी से बात कर चुकी थी। फोन भी कट हो गयी थी। मैने सोचा एक बार माँ से बात कर लूँ शायद मुझे नानी घर मे छोड़ के जाये। हिम्मत जुटा के मैने कहा माँ नानी पूरे साल हम लोगो का इंतज़ार करते हैं हम छुट्टी में उनके पास जाएंगे और कुछ वक़्त साथ रह के गांव से फिर वापस आ जायेंग। लेकिन हम इस बार नही गये तो उनको कितना बुरा लगेगा। वो अकेली इतने दिनो से हम लोगो के आने की इंतजार कर रही थी अब आपने मना किया हैं क्या वो दुखी नही होगी।

अब माँ मेरी बातों को गौर करने लगी और मुझे एक बार देख के पापा के पास गयी फिर थोड़ी देर मे मुझ को आवाज़ देते बोली बेटा जरा सुनना मैंने थोड़ा थ डरा हुआ उनके कमरे की तरफ बढ़ा क्यो की वहां पापा भी थे। मैं कमरे मे जा के पूछा क्या हुआ? तभी माँ बोली तेरे पापा ने टिकट बना ली है अब अगर केन्सल किया तो पैसे कट जाएंगे। हम ये सोच रहे हैं तुम को नानी घर मे छोड़ के आये फिर जब हम वापस लौट आए तो तुझो को लेते आएँगे। ये बात सुन के मैं तो अंदर से इतना खुश हुआ की पूछो मत तभी मैने भी अच्छे बच्चे की तरह हां बोल दिया और साथ मे ये भी बोला की मेरे मित्र भी मेरे साथ जाना चाहते हैं फिर माँ ने कहा ठीक हैं उनको बता देना हम तुम तीनों को छोड़ देंगे। दो दिन बाद माँ पापा हम तीनों को गांव मे छोड़ के आये।


आज हम फिर वही यादें ताजा करेंगे ओर वही नदी की मछली के पीछे भागना आम की बगीचे से आम चोरी कर खाना। नानी की हाथों की सब्जी रोटी देसी घी फिर उस यादों को जीना है। दुनिया के किसी भी कोने मे जाओ लेकिन जो मज़ा नानी के गांव मे वो कही ओर नही मिलता ।



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