लफ़्ज 😊
लफ़्ज 😊


ना राजा है ना रानी
ये उनकी छोटी सी कहानी
एक लड़का है नाम जय है (शेर जैसा जिगरा)
एक लड़की है नाम आरू (थोड़ी पागल झल्ली)
यूँ ही 1दिन सोशल साइट से मिलते हैं
उन्हें क्या पता यूँ ही मिलने से
किसी को इत्ना अपना बनालेंगे
दोनों के बीच हजारों मीलों की दुरी
मगर दोनो को लगता है वो एक दूजे को
बरसों से जानते हो वो
दोनों रोज बात करते एक दुसरे का
हाल जानते फीर यूँ ही कब
एक दुसरे की जान ब्न्गये उनको
पता ना चला
मगर बोलते है ना हर खुशी
देने वाली चिज सुकून नहीं देती
उनकी जिन्दगी में भी मोड़
आया फिर जय कूछ दिन बाहर
गया job केलिये दोनों में वक़्त की
कमी हूई फीर दोनो एक दूसरे
दुर होने लगे दोनो एक दूसरे को
इतना जान के भी अंजान बन ग्ये
पता नही क्यूं ऐसा लग रहा था
अब रिश्ता निबहना मुश्किल सा हो गया
रोज कोई बात पे लड़ाई होती थी
मगर दोनों समझ के भी
नहीं समझ पारहे के ये दिलों की
दूरी या फासलों की दूरी
जाने अनजाने दोनों दूर होते रहे
बस एक लफ्ज की
जरुरत थी।
चल छोड़ो ना हम बिछड़ना नहीं चाहतें
चल फिर नई शुरुआत करते
बस एक लफ्ज जो दोनों को जोड़ देती।