Suresh Koundal

Abstract

4.7  

Suresh Koundal

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एनण माता मंदिर ,नैनी खड्ड (चम्बा, हिमाचल प्रदेश )यात्रा वृतांत सुरेश कौंडल

एनण माता मंदिर ,नैनी खड्ड (चम्बा, हिमाचल प्रदेश )यात्रा वृतांत सुरेश कौंडल

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देवभूमि हिमाचल प्रदेश की पावन पवित्र धरती पर जिला चम्बा बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।"चम्बा" नाम सुनते ही हरी भरी वादियों, ऊंचे पहाड़ों ठंडे हवाके झोकों का ख्याल बरबस मन में आ जाता है। और आये भी क्यों न प्रकृति ने भरपूर नेमतों से सजाया सवारा है चम्बा को। ज़िला चम्बा के अनेकों रमणीय स्थल जैसे खजियार,डलहौज़ी, चम्बा, भरमौर पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखते हैं। मुझे भी गत दिनों चम्बा जाने का अवसर मिला। मेरी यात्रा वृतांत की शुरुआत में एक बहुत रमणीय स्थल से करना चाहूंगा " ऐनण माता मंदिर" नैनीखड्ड (बनीखेत)। जो कि पठानकोट चम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 154 ए पर स्थित कस्बा नैनीखड्ड से लगभग 7 किलोमीटर के दूरी पर सुंदर सी घाटी में स्थित है। ऐनण माता महाकाली को समर्पित ये भव्य मंदिर एक प्राकृतिक गुफा को कलात्मक ढंग से मन्दिर रूप में परिवर्तित करके बनाया गया है जिसमे महाकाली का साक्षात रूप माता एनण के रूप में विराजमान है। 

मेरी यात्रा सुबह 7 बजे शुरू हुई। मैं अपने परिवार सहित अपने गृहनगर ज्वाली जिला कांगड़ा से अपनी कार द्वारा 2 घण्टे में लगभग 50 किलोमीटर की दूरी वाया नूरपुर सदवां सुलयाली तय करते हुए पंजाब के दुनेरा नामक स्थान पर पहुंचा। वहां मैंने पठानकोट चम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग 154ए में प्रवेश किया। ततपश्चात वहां से हम चम्बा की तरफ चल पड़े। दुनेरा से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर 'कटोरी बंगला' नामक स्थान पर चम्बा हिमाचल की सीमा प्रारम्भ हो जाती है। वहां पर स्थित विश्राम गृह में कुछ क्षण विश्राम करने के पश्चात आगे की ओर बढ़ चले। कटोरी बंगला से जैसे ही चम्बा की ओर प्रस्थान किया तो प्रकृति का नज़ारा देखते ही बनता है। चीड़ के हरे भरे पेड़ों के बीच बनी सर्पीली सड़क और ठंडी हवा के झोंके मन को रोमांचित करने के लिए पर्याप्त थे। टेढ़े मेड़ें पथ पर आगे की ओर बढ़ते हुए अचानक खेरु के पहाड़ के पास गाड़ी की गति थोड़ा धीमी करनी पड़ी बरसात के कारण मार्ग थोड़ी देर के लिए अवरुद्ध हुआ था। जो कि बड़ी जल्दी ही साफ कर दिया गया। कटोरी बंगला से 10 किलोमीटर का सफर तय करने के पश्चात एक बहुत ही सुंदर स्थल नैनीखड़ कस्बा पहुंच कर अपनी यात्रा को थोड़ा विराम दिया। नैनीखड़ चारों ओर पहाड़ों के बीच घिरा बहुत ही सुंदर कस्बा है जो कि चम्बा जाने वालों के लिए पहला पड़ाव है। एक छोटा सा बाजार जहां पर्यटक चायपान के लिए रुकते हैं।

नैनीखड़ कस्बा अपने प्राकृतिक जल स्त्रोत के लिए भी प्रसिद्ध है जिसका जल औषधीय गुणों से भरपूर है। लोग उक्त जल का भरपूर सेवन भी करते और साथ में भरकर भी ले जाते हैं। कहा जाता है कि ये पानी अनेको बीमारियों का नाश करता है। नैनीखड्ड के किनारे बनी चाय पान की दुकानों में चाय नशता करने के पश्चात हमने वहीं बाजार से खाने पीने का सामान पानी फल व अन्य सामग्री इत्यादि भी खरीद ली क्यों कि हमे बताया गया कि मंदिर परिसर के समीप अच्छी दुकानों का अभाव है। तत पश्चात हमने एनण माता के मंदिर की तरफ अपना ध्यान बना लिया। हमने नैनीखड्ड से ही राष्ट्रीय राजमार्ग को छोड़ कर नैनीखड़ - मेल लिंक रोड की तरफ गाड़ी घुमा ली। एनण माता मन्दिर यहां से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राष्ट्रीय राज मार्ग को छोड़ते ही कुछ दूरी पर ही सुंदर रोमांचक घाटी में प्रवेश किया तंग रास्ता ऊंचे ऊंचे पहाड़ रोमांच का अनुभव करवाने लगा। साथ साथ बहती नैनी खड के पानी के बहाव के शोर ने रोमांच का मज़ा दोगुना कर दिया। नैनी खड्ड के पहाड़ों से छलांग लगाते पैरा ग्लाइडर आसमान में परिंदों की तरह उड़ते हुए प्रतीत हो रहे थे। धीरे धीरे गाड़ी मंदिर के रास्ते बढ़ने लगी। तीखे मोड़ों और गहरी घाटी को पार करके हमारी गाड़ी मन्दिर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने जा रुकी जो कि बिल्कुल सड़क के किनारे था। 

ग्राम पंचायत डूहक तहसील भटियात जिला चम्बा के अंतर्गत पड़ने वाला ये रमणीय स्थल बहुत ही सुंदर और शांत जगह पर स्थित हैं। गाड़ी पार्क करने के पश्चात सड़क के किनारे से उस स्थल का विहंगम दृश्य देख मन प्रफुल्लित हो उठा। चारों ओर ऊंचे पहाड़ों से घिरा वो स्थल बिल्कुल शांत वातावरण में स्थित था। अद्भुत कलाकौशल से बनाया प्रवेश द्वार जहां से सीढ़ियों द्वारा नीचे की ओर गुफा मंदिर की ओर उतरना था जो कि ऊंचे पहाड़ के मध्य में जा कर स्थित था। धीरे धीरे सीढ़ियां उतरते उतरते उस गुफ़ा मन्दिर के बिल्कुल समीप पहुंच गए। मन्दिर परिसर का नज़ारा बहुत अद्भुत था। एक छोटी सी गुफा के भीतर साक्षात माता महाकाली का रूप माता एनण विराजमान थीं।

माता की भव्य प्रतिमा का श्रृंगार देखते ही बनता था। प्राकृतिक गुफा में से टप टप करता पानी मां के श्री चरणों में को छूता प्रतीत हो रहा था। माता महाकाली के चरणों में दण्डवत प्रणाम करके अलौकिक ख़ुशी अनुभव हुई। माता के दर्शन मात्र से मन प्रफुल्लित हो उठा । दर्शन करने के पश्चात जैसे ही मन्दिर से बाहर निकले तो मन्दिर प्रांगण के साथ ही पानी के बहाव का शोर मन को बरबस अपनी ओर खींचने लगा। जैसे ही मंदिर प्रांगण से बाहर कदम रखा तो विहंगम नज़रा देखा। ऊपर के पहाड़ों से आने वाली एक जल धारा माता के चरणों में आ कर एक दम एक बहुत बड़े जल प्रपात में बदलती नज़र आई। हे भगवान इतनी ऊंचाई से गिरता पानी जो कि गिरते गिरते वाष्प में बदल कर उड़ रहा था और धुन्ध के बादलों का सा अनुभव करवा रहा था। इस नर्सेगिक और अलौकिक दृश्य को और करीब से देखने के लिए एक कृत्रिम पुल को पार करके एक सुंदर पग डण्डी द्वारा उस जलप्रपात के मुहाने पर पहुंचे। वहां से पूरी घाटी का नज़ारा देखते ही बनता था। ऐसा नजारा मैंने अपने जीवन में कभी नही देखा था। अपने परिवार संग कुछ पल वहां बैठ कर आराम किया और उस अलौकिक नज़ारे को निहारा। साथ ही माता एनण महाकाली का धन्यवाद किया जिनके आशीर्वाद से इस रमणीय स्थल को देखने का अवसर मिला। थोड़ी देर विश्राम करने के पश्चात वापिस नैनीखड़ की तरफ गाड़ी का मुख मोड़ दिया। 

हर तरह की सुंदरता को सँजोये ये स्थल रोमांच पसन्द लोगों की पहली पसन्द बन सकता है। पंजाब और कांगड़ा से जो लोग घूमने चम्बा के लिए निकलते हैं उनके लिए एक बहुत ही रोमांचक गन्तव्य स्थल साबित हो सकता है। जब भी आपका चम्बा जाने का मन हो तो एक बार इस स्थान को देखने ज़रूर आएं। मुझे विश्वास है कि कम दूरी और कम समय में आप एक अलौकिक अनुभव को महसूस कर पाएंगे।



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