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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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एकता में बल

एकता में बल

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इस बार दीपावली की शुभ संध्या पर घर के द्वार को सजा रहे सभी साधारण मिट्टी के दीपकों के बीच एक बहुत ही आकर्षक सजावटी दीपक भी रंगोली के रंगों को अधिक आकर्षक बनाने में अपना योगदान दे रहा था। उस दीपक को देख सभी साधारण दीपक मंत्रमुग्ध तो हुए लेकिन विचलित नहीं।

शीघ्र ही एक दूसरे को सावधान कर वे संभल गए। इस तरह वे आपस में एक दूसरे से विमुख नहीं हुए। परिणाम स्वरूप हर दीपावली की तरह इस दीपावली भी सभी साधारण दीपक आपसी मेलजोल और सहयोग से लंबे समय तक दैदीप्यमान रहे । इनकी एकता को देख रंगोली के रंगों की चमक तो बड़ी ही, साथ ही सुंदर दीपक भी सभी दीपकों से प्रभावित हुए बिना रह न सका और उन सबकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ा दिया।


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