Swati Roy

Drama Tragedy

5.0  

Swati Roy

Drama Tragedy

एक श्रद्धांजलि ऐसी भी

एक श्रद्धांजलि ऐसी भी

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मेरे ससुराल से माँ के घर जाने के रास्ते में एक वृद्धाश्रम पड़ता है, जिसका नाम ‘अवकाश’ है। चूंकि मैं थोड़ा बहुत सामाजिक कामों से जुड़ी हुई हूं इसलिए इस वृद्धाश्रम में कई बार आ चुकी हूं। 

‘अवकाश’ एक गैरसरकारी संस्थाद्वारा संचालित एक वृद्धाश्रम है जहां ऐसी महिलाएं रहती हैं जिनको या तो कोई देखने वाला नहीं है और अगर है भी तो देखरेख का समय नहीं है। कुछ महिलाओं के बच्चे विदेश में जाकर बस चुके हैं और सालाना फ़ीस भर कर अपनी माँ को यहां छोड़ कर चले गए हैं, ठीक जैसे बचपन में माँ-बाप बच्चों की सालाना स्कूल फ़ीस भरते थे। फर्क बस इतना था बच्चे दोपहर या शाम को अपने अपने माँ-बाप के साथ समय बिताते थे और यहां ये महिलाएं अपने बच्चों के साथ समय बिताने का इंतजार करती रहती हैं| कुल मिलाकर यहां 20-25 महिलाओं के रहने की व्यवस्था थी। 

चूंकि ये महिलाएं अच्छे, संभ्रांत परिवार से थीं और रुपए-पैसे की कमी नहीं थी और वृद्धाश्रम को अच्छा मुआवजा मिलता था इसलिए ‘अवकाश’ में रहने के लिए भी उन्हें सब तरह की सुख सुविधाएं थी जो एक घर में होती हैं। सुव्यवस्थित कमरा, खाने-पीने की सुविधा और मनोरंजन के लिए टीवी और रेडियो की व्यवस्था थी, बस कमी थी तो अपनों की और अपनेपन की।

बात कुछ समय पहले की है जब मैं अपनी माँ से मिलने घर जा रही थी, जैसे ही मेरी गाड़ी ‘अवकाश’ के सामने से गुजरने को हुई तो देखा वहां बहुत से गरीब लोग और भिखारियों की भीड़ लगी हुई है। मैंने देखा ‘अवकाश’ को बहुत से फूलों से सजाया गया है। चूंकि मेरा यहां आना-जाना है, इसलिए उत्सुकता और भी बढ़ गई। मैंने गाड़ी एक तरफ रुकवाई और कदम अपने आप ही बिल्डिंग के अंदर चले गए। 

रीता दी जो वहां इन महिलाओं की देखरेख का काम करती थी, उनसे मेरा सामना हो गया। उनसे पूछने पर पता चला कि ‘अवकाश’ की सबसे पुरानी सदस्या का निधन हो गया है। आज उनके बेटे और बहु ने श्रद्धांजलि के बाद श्राद्ध का आयोजन किया है| रीता दी ने बोला उनका बेटा और बहू विदेश से आए हैं अपनी माँ का श्राद्ध का काम करने के लिए और भंडारा लगवाया है सबको खिलाने के लिए। मैंने कहा ये तो बहुत अच्छी बात है कि उनके बेटे ने विदेश में रहते हुए भी अपने नियम और संस्कार का पालन किया है। 


इतना सुनते ही रीता दी की आँखें नम हो गई और बोली जो दिखे हमेशा सही नहीं होता। बेटा श्राद्ध इसलिए कर रहा है क्योंकि अब उन्हें अपनी माँ के लिए पैसे नहीं भेजने पड़ेंगे। उन्हीं पैसों को अब अपने बिजनेस में लगा सकेंगे और अब उन्हें बार बार इंडिया नहीं आना पड़ेगा।


सुनते ही मेरी आँखें भर आईं और मैं बोल उठी कि ये श्रद्धांजलि नहीं एक नए बिजनेस के शुरू होने की खुशी की पार्टी है। ये होती है माँ, जाते जाते भी अपने बच्चों का फ़ायदा ही कर के जाती है।


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