रज्जो की मुस्कान

रज्जो की मुस्कान

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रज्जो, "तू ऐसे ही मुस्कुराते हुए मेरे लिए दरवाजा खोला कर। तेरी इस मुस्कान को देख मेरे सारी थकान छूमंतर हो जाती है।" तीन महीने बाद सरहद से लौटे बलवीर ने कहा। 

अभी घर आए एक हफ्ता भी ना बीता था कि सीमा पर तनावपूर्ण परिस्थिति आन पड़ी और बलवीर को वापस लौटना पड़ा।

ऐसे ही मुस्कुराते रहने का वादा लिए बलवीर निकल पड़ा। उस दिन के बाद ना वो आया और ना उसकी कोई खबर। बस इतना ही पता चला था कि उसको आखिरी बार दुश्मनों के डेरे की तरफ जाते देखा गया था। अंदेशा किया जा रहा था कि उसको जंगियो द्वारा बन्दी बना लिया गया है।

आज पच्चीस साल बाद बलवीर के लौटने की खबर सुन रज्जो ने दरवाजा खोला और तिरंगे में लिपटे बलवीर को देख उसके झुर्रियों से भरे चेहरे पर वही मुस्कान तैर गई और बोली "आज भी मैंने अपने मुस्कुराते रहने का वादा नही तोड़ा।"


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