एक किस्सा पीके मूवी से
एक किस्सा पीके मूवी से
भारत में हर साल हिन्दी , कन्नड़, मलयम , बांग्ला, तमिल इंगलिश आदि भाषाओ में हजारो फिल्में बनती हैं । यह फिल्में हमारा मनोरंजन तो करती ही हैं पर साथ ही कोई ना कोई सीख भी दे जाती हैं । यह सीख हर बार अच्छी हो यह कहना सटीक ना होगा । भारत मे बनने वाली अधिकतर फिल्मो का झुकाव एक तरफ ही रहता है , और कुछ फिल्मे सच्चाई के विपरित कहानी को बयाँ करती है । ऐंसी ही एक फिल्म है पीके जिसमें सच्चाई के सिर्फ एक पहलू को दिखाया गया । मैंने अपनी इस कहानी में पीके फिल्म के दुसरे पहलू को समझाने की कोशिश की है उम्मीद है आपको पसन्द आयेगी
पीके. "हमरा एकठो सवाल है "
स्वामी जी. "हाँ कहो "
पीके." स्वामी जी भगवान बतियाये खातिर आप जो टेक्नोलॉजि का प्रयोग करें है वो पुरी तरह लुल हुई चुका है"
स्वामी जी -" तुम्हे कैसे पता"
पिके. उकी वाइफ बिमार है अगर सही जगह फोनवा लगता तो भगवान इ थोड़ी कहते कि हमार इ घर छोड़कर दुइ हजार किलोमिटर दुर एकठो और घर है तु उहां आ तव तोहार बात सुनेगें ।
स्वामी जी. "अबे भुकडब्बे पहले ये बता तू इसी दुनिया का है या किसी दुसरी दुनिया से आया है."
पिके . "उ हम नही बता सकत है."
स्वामी जी." ये तो बता सकता है कि तू कोन से शहर मे है"
पिके'"हाँ इ दिल्ली है"
स्वामी जी. "तू जानता है दिल्ली मे चार हजार फेक्टरी है.120 मॉल है युनिवर्सिटी है होटेल है मेट्रो है हर तरह के खाने कमाने के साधन है . और मै इन्हे जहाँ भेज रहा हूँ वहाँ ना तो फेक्टरीयाँ हैं न रेस्तरां ना बस है ना ट्रेन है अरे वहाँ की तो जमीन भी उपजाऊ नहीं है उबड़ खाबड़ है ; 15 लाख लोग रहते है वहाँ .जिनके चुल्हे हमैशा ठन्डे पड़े रहते है । अरे मुर्ख यह वहाँ जायेगा किसी की घोड़ा गाड़ी में बैठेगा किसी से प्रसाद लेगा किसी से चुनरी लेगा और किसी का खाना खाना खायेगा और ऐंसे चार लोग जायेंगे तव कहीं जाकर वहाँ चार घरो मे चुल्हा जलेगा . और जब उन चार घरो का चुल्हा जलेगा तो उन घर मे रहने वाले भूँखे बच्चो और बुढ़ो के मन से जो दुआ निकलेगी उससे इसकी वीवी ठीक जरुर होगी ।"
पीके . -" माफ करना स्वामी जी गलती से मिस्टेक हुइ गवा । अच्छा हमरा एकठो और सवाल है"
स्वामी "पूछ ले बेटा आज जितने सवाल पूछने हैं पूछ"
पीके - "हम ऊ मन्दिरवा मे देखा कि हजारो लोग पत्थर के भगवान के उपर दुध चढ़ा रहैं है और उ सारा दूध नाली में बहता है जो कि टोटली भैस्ट है पर मन्दिरवा के बाहर दस भुखे लोग बैठत रहे ऊ लोग उन गरीबो को वो दूध नहीं पिलात है ।"
स्वामी -"भइ वाह बहुत प्यारा सवाल पूछा है बच्चे ने , कि पत्थर के भगवान पर दूध क्यों चढ़ाते हो गरीबो को क्यों नहीं देते । बेटा यह जितने भी गरीब लोग मन्दीर के बाहर जिसकी आस और विस्वास पर खड़े है वो इन्हे कभी भूँखा नहीं सोने देता इनको पेट भर खाना चाहियें भगव
ान पर चढ़ने वाला दूध का इन्हें कोई लालच नहीं है । दुसरा भगवान को हम क्या दे सकते है भगबान तो जो कुछ करता है हमारे लियें ही करता है ।"
पीके . - "उ कैंसे "
स्वामी - "उ ऐंसे कि सभी देश मे सभी धर्म के लोग नालियों में गन्दा पानी बहाते है मलमूत्र बहाते हैं फेक्ट्रियाँ हानिकारक केमिकल बहाती हैं । पर क्या हम कभी दूध नालियों में बहाते हैं , जो गन्दे पानी को शुद्ध करता है , या फिर कोई भी ऐंसा जतन करते हैं जिससे जल शुद्ध हो जाए , नहीं हम ऐंसा कुछ भी नहीं करते । हम तो बस दुनिया में गन्दगी फैलाने आयें है और नदी नालो में हमैशा गन्दा पानी बहाते रहेंगे और यह सारा गन्दा पानी नादियों में जाकर जल को दुषित और विषैला कर देता है । और उसी दुषित पानी को शुद्ध करने के लियें भगवान ने यह लीला रची है जिसमें दिखता तो यह है कि हम भगवान पर दुध चढ़ा रहें हैं औेर वो दूध नालियों मे बहता है पर असल में वो दूध हम खुद के विषैले पानी को शुद्ध करने के लिऐं भगवान पर चढ़ाते हैं जो नालियों में बहकर नदियों के पानी को शुद्ध करता है । समझ गया बकडब्बे या अभी और समझाना पड़ेगा ।"
पीके- "हाँ हाँ हम समझ गया हूँ । पर स्वामी जी हमें आपका एकठो टेस्टवा लेना है ।""
स्वामी जी -" लेले भाई टेस्ट भी लेले ।"
पी. के चार अलग अलग लिबास पहने लोगो को वहाँ बुलाता है जो क्रमशः हिन्दु , मुस्लिम , सिख , इसाई लग रहे थे ।
पी .के." स्वामी जी से कहता है कि अब आप इनके धर्म बताइऐ ।"
स्वामी - "बस इतनी सी बात है इनके धर्म तो कोई अन्धा भी बता देगा । "
पीके . -" ऊ कैसे '
स्वामी जी - अभी बताता हूँ कैंसे ।
स्वामी जी एक व्याक्ति को वहाँ बुलाते हैं जो कि देख नहीं सकता था , नाम था सूरदास और उससे कहते हैं कि - सूरदास इन चारो लोगो के धर्म बताओ ।
सूरदास जोर से बोलता है - जो बोले सोनिहाल सुरदास की आवाज सुनकर हिन्दु के लिबास में सरदार जी बोलते हैं - सस्त्रियकाल
तभी स्वामी बोले वो देखो वो है सरदार जी
फिर सूरदास जोर से बोलता है शेरोवाली माता की तो मुस्लिम के लिबास में हिन्दु भी जोर से बोलता है - जय
फिर स्वामी जी वोलते है वो देखो वो है हिन्दु
फिर सूरदास जोर से बोलता है- अस्लावलेकुम
तो इसाई के लिबास में मुस्लिम बोलता है वालेकुअस्लाम
फिर स्वामी जी बोलते हैं "वो देखो वो है मुस्लिम । और अन्त में तुम्हे जो सरदार जी दिख रहें हैं वो सरदार जी नहीं इसाई हैं"
स्वामी जी का चतुर दिमाग देख पीके का सिर चकराने लगा । स्वामी जी - "बेटा लिबास से इन्सान की पहचान मुर्ख करते हैं । इन्सान की पहचान उसके व्यवहार से और उसकी भाषा से होती है । अब तेरे मन को तसल्ली मिल गइ या ओर कोई सवाल पूँछना है , या फिर कोई टेस्ट लेना हैं "
पीके - "नहीं नहीं अब मैं समझ गया हूँ । "