Ramdev Royl

Abstract

4.4  

Ramdev Royl

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एक दिन की यात्रा

एक दिन की यात्रा

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सितंबर का महीना था डी एल एड एग्जाम के चलते रोज 3 घंटे सरदारशाहर चुरू तक का सफर तय करना मुश्किल था फिर 21 सितंबर को एग्जाम समाप्त हो गए तो मैने विचार किया की आज गांव चलते हैं काफी बारिश हो रही थी शहर का बाजार पानी से भरा था गांव जाने का विचार कर सरदारशहर रूम से निकल गया अब उस बाजार के पानी को देख कर डर भी लग रहा था कही बीच में बारिश न हो जाए किताबे लेपटॉप पानी से खराब हो गया तो फिर मैंने किसी प्रकार से बाजार का पानी पार कर रेलवे स्टेशन पर आ गया क्योंकि वह से मेरे गांव जाने वाली बस लगती है 

जब रेलवे को पार करते ही बस खड़ी थी उपर से पानी गिर रहा था तो में जल्दी जल्दी में बस के तय समय से पहले पहुंच गया था जब पानी गिरता देख जल्दी से बस में चढ़ गया जब पहला कदम बस की पहली सीढ़ी पर रखते ही आवाज आई केसे हो रामदेव मैं ठीक हु जैसे जैसे आगे सीढ़िया चढ़ना शुरू की ओर बार बार आवाज आने लगी केसे हो कहा से आए हो और सुनाओ और न जाने क्या क्या जब मैं बस में शीट पर बैठा तो चारो ओर देखा की बस में लगी 40 सीट जिस पर बैठे सभी मेरे दोस्त हे ये सोच कर मन में खुशी उत्पन हुई उनमें लगभग सभी ऐसे व्यक्ति बैठे थे जिन्होंने ने मेरे साथ पढ़ाई की या कोई इऐसे थे जो मुझसे मिलना चाहते थे उस समय खुशी से मन प्रसन्न हो गया था और आपस में बाते शुरू हो गई वही सरदारशहर से मेरे गांव रामसीसर का रास्ता 30 मिनट का है लेकिन उस दिन वो 30 मिनट केसे बीते पता भी नही चला जब दोस्तो ने कहा कि आपका गांव आ गया है तो एक पल के लिए तो विश्वास नही हुआ की इतना जल्दी केसे फिर देखा तो सच में गांव आ गया था तो मन उदास हुआ क्यों की वो मुलाकात बाते पुरी नही हो पाई तब वो सफर बहुत अच्छा लगा ऐसा लग रहा था केसे हम सब आज भी साथ टूर पर जा रहे है ऐसा सफर इतने दोस्तो के साथ मेरा ये पहला सफर था अब लगता है की मैने जीवन मे कुछ किया है  आज भी जब कोई सफर करता हू तो उन सब की याद आ ही जाती है वो एक दिन की यात्रा हमेशा याद रहेगी इतने दोस्तो का प्यार और स्नेह से मन प्रसन्न रहेगा जब में बस से उतर कर चला तो एक साथ आवाज आई ठीक है चलते है उन सब से मिलकर बारिश का भय था वो याद ही नही रहा और खुशी खुशी घर पहुंच गया।


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