Ramdev Royl

Others

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बचपन का स्कूल

बचपन का स्कूल

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जिंदगी की रफ्तार में जीवन इतना तेजी से आगे बढ़ रहा है की कब हम इतने बड़े हो गए पता ही नहीं चल रहा क्योंकि ये समय न जाने कब बीत जाता है।आज 10 सालो बाद d.el.ed के अंतर्गत मुझे मेरी बचपन की स्कूल दी गई तो जब इतने सालो बाद स्कूल में गया जैसे जैसे स्कूल में गया स्कूल जीवन की वो पुरानी यादें फिर ताजा होने लगी एक पल के लिए लगा की आज भी वही समय है। और काफी दिनों बाद स्कूल में आया हूँ लेकिन भले ही स्कूल वही था लेकिन काफी समय बदल चुका है। जहां कभी में पढ़ने जाया करता था आज वह पढ़ाने जाता हूँ और मन में एक अलग ही खुशी थी की आज फिर स्कूल जाने का अवसर मिला है। लेकिन एक निराशा भी कि आज वो स्कूल स्कूल नहीं ऑफिस जैसा लग रहा था क्योंकि वो बचपन की मस्ती ओर खेल कूद वहाँ नहीं था पहले दिन मुझे 7th कक्षा में शिक्षक लगाया तो जब में क्लास में पहुंचा तो एक पल के लिए मुझे मेरा बचपन ओर बचपन में जिस कक्षा में हम बैठते थे वो कक्षा वैसी लगी जब कुछ पल बचपन को सोच कर खामोश रहा इतने में आवाज आई सर आपका नाम क्या है। तो बचपन की यादें को छोड़ कर बच्चों से बुक लेकर पढ़ाने लगा लेकिन यादें बचपन की ताजा हो रही थी जब मुझे पढ़ाते हुए 30 मिनट हुई तो मुझे ऐसा लगा जैसे आज मैंने पता नहीं कितना पढ़ा दिया हो आज स्कूल वही था लेकिन आज मेरी कुछ जिम्मेदारी है स्कूल में बचपन में बहुत बड़ा खेल मैदान हुआ करता था तो उसकी ओर गया तो पता चला उस समय से आज काफी बदलाव हो गया उस जगह बड़े बड़े भवन बने हुए थे जो पेड़ थे वो भी बहुत कम बचे थे जो पुराने मकान उनकी मरम्मत हो गई थी, लेकिन जहां हम बचपन में खाना खाते थे वो रसोई आज भी वैसी ही थी वैसे ही बच्चे खाना खा रहे थे जैसे हम हम सब खाते थे लगभग मैंने पूरी स्कूल को देखा कुछ ही समय हुआ था कि वापस कक्षा शुरू हो गई वो 40 मिनट का समय कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला आज में भले ही उसी स्कूल में हूँ लेकिन आज बचपन वाली मौज मस्ती नहीं है। आज एक शिक्षक की जिम्मेदारी भी है आज एक एक काम सोच समझ कर करना पड़ता है। एक वो समय था जिसमें बिना कुछ सोचे समझे अपनी मर्जी चलाया करते थे आज स्कूल वही है। लेकिन आज समय में काफी बदल गया वो शिक्षक भी आज इस स्कूल में नहीं है। स्कूल पहले वाली थी लेकिन नियम शिक्षक अलग थे आज जब स्कूल में जाता हूँ तो रोज एक बार तो पुरानी यादें ताजा हो जाती है। आज जब बच्चे खेलते है। तो मन ही मन में विचार आता है की कभी हम भी इसी जगह खेलते थे आज जब वो शैतानियाँ करते है तो एक बार पुरानी यादें आ जाती कभी हम भी इस जगह और इन्हीं की तरह पढ़ते थे लेकिन आज जिम्मेदारियां ना जाने कहा ले आई आज जगह बचपन वाली है। लेकिन वो मस्ती नहीं मन में हर रोज जब स्कूल जाता हूँ तो मन में खुशी होती आज फिर लगता है। बचपन लोट आया हो मुझे आज खुशी होती है की में बहुत खुश व्यक्ति हूँ की मुझे बचपन की जगह आज फिर जाने को अवसर मिला है। वो भी उसी तरह जैसे बचपन में जाया करता था भले ही अब बचपन वाली बात नहीं है। पर जहाँ मैं पढ़ा उसी स्कूल में पढ़ा रहा हूँ मेरे लिए ये अत्यंत खुशी के पल है।



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