एक अनकहा सच ऐसा भी

एक अनकहा सच ऐसा भी

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दूसरों के मन की बात को जानने की लालसा प्रत्येक व्यक्ति में होती है। कुछ लोग दूसरों के चेहरे के भावों को पढ़कर ही उसके मन की बात जान लेते हैं और कुछ लोग पूरी तरह से व्यक्त शब्दों को भी नहीं समझ पाते।

ऐसी स्थिति में अनकहा सच दब जाता है और उपजे विचार वहीं दम तोड़ जाते हैं।

कहीं पड़ी है मैंने यह पंक्तियां, 'मां एक इंद्रधनुष है जिसमें सभी रंग समाए हैं।'चाहे वह प्यार का रंग हो या ममता का पर आपने मां में कहीं झूठ का रंग देखा है।सोचेंगे मैंने कितनी अजीब बात कह दी मां और झूठ।

हां मां तो झूठ का रंग लिए रहती है भूखी होने पर भी वह कहती है मैंने खा लिया तुम लोग खाओ, इच्छा होने पर भी अपने लिए वस्त्र ना लेकर पहले बच्चों को दिलाती है कि मुझे इसकी जरूरत नहीं।कोई चीज मां को नहीं चाहिए सब चीज पर पहले से ही होती है वह झूठ पर झूठ बोलती रहती है और बच्चे उसे सच मानते रहते हैं।क्या इस झूठ को और अनकहे सच को बच्चे समझ पाते हैं आइए इस संदर्भ में एक अनुभव साझा करती हूं।


मेरा एक परिचित परिवार है जिसमें आप को प्रगति की पराकाष्ठा देखने को मिलेगी। बेटे बेटी दोनों एब्रॉड सेट हो चुके हैं।प्रत्यक्ष रूप से उनके माता-पिता भी जो यहां भारत में अकेले रहते हैं अपने बच्चों की प्रगति से बेहद खुश और अपनी वैभवता का प्रदर्शन करने में पीछे नहीं हटते हैं।

पिछले दिनों मुझे एक समारोह में जाने का अवसर मिला वह एक पुत्र के द्वारा अपने माता पिता की तीसवीं मैरिज एनिवर्सरी पूरे होने पर दिया गया था।उसमें मेरी मुलाकात मेरे उपरोक्त वर्णित परिवार से भी हुई।

उम्र के साठ के दशक में चल रही वह महिला अब शरीर से बहुत कमजोर हो चली है और उनको अपने परिवार के साथ की भी आवश्यकता है पर बेटे के परिवार के साथ ना रहे कर वह इसे प्रगति मान रही हैं।वहां उपस्थित महिलाओं को वह अपने हीरे के जड़ाऊ कंगन, जो विदेश से उनकी बेटे ने जन्मदिन पर भेंट स्वरूप भेजे थे, दिखा रही थी।जबकि सबको पता था कि उनका बेटा पिछले 3 सालों से इंडिया आया ही नहीं था उसने गिफ्ट केवल भिजवा दिया था।उनका दर्प उनके स्वर में साफ परिलक्षित था।

जिस समारोह में हम गए थे उसमें उस बेटे ने अपनी मां को नया सेल फोन भेंट किया व पिता को कारवां रेडियो।यह देखकर तथाकथित संभ्रांत महिला ने उपहास उड़ाना शुरू कर दिया और प्रदर्शन जारी रखा कि मेरे बेटे ने तो जड़ाऊ कंगन भेजे हैं।उनके स्वभाव से परिचित लोगों ने हंस कर बात टाल दी।

जिनका समारोह था उसमें बेटे के प्यार को देख कर उन्हें अपने बेटे की भी याद आई और उन्होंने वहीं से उसको फोन लगाया।मैं देख रही थी वह बहुत देर से कोशिश कर रही थी लेकिन फोन नहीं लग रहा था शायद बेटा उठा नहीं रहा था।

मैं उन्हें साफ देख रही थी कि वह बहुत उदास थी जिनके समारोह में हम आए थे उनके बेटे को अपने माता-पिता को केक खिलाते उनके साथ डांस करते देखकर अनकहा सच उनकी आंखों में साफ परिलक्षित था।



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