Bhawna Kukreti

Abstract fantasy drama

4.5  

Bhawna Kukreti

Abstract fantasy drama

ए सेक्सुअलिटी

ए सेक्सुअलिटी

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475


बीते काफी समय से सुधाकर और मनीषा एक प्रोजेक्ट पर साथ काम कर रहे थे। प्रोजेक्ट लगभग समाप्ति पर था। दोपहर लंच के लिए दोनो इंस्टिट्यूट के बाहर बने ढाबे पर एज युसुअल चले आये। ढाबे का मदन दोनो को आते देख थाली ले कर चला आया।

"आज मेरी थाली रहने दो मदन... चाय लेते आओ",मनीषा ने कहा।

"क्या बात मैडम आज व्रत रखा है क्या?" सुधाकर ने पूछा।

हंसते हुए मनीषा ने कहा"आज आपकी पत्नी ने भी रखा होगा सर!",

"आज?!"सुधाकर ने बड़ा सा कौर तोड़ते हुए कहा।

"आज जीवित्पुत्रिका व्रत है ",

" नहीं मेरी वाइफ नहीं रखती?"

"क्यों?...सॉरी " मनीषा तपाक से बोल पड़ी लेकिन अगले ही पल उसे अहसास हो गया कि उसे नहीं पूछना चाहिए था। ये उनकी निजी बात है।

"नहीं सोरी की क्या बात है मैडम, जब व्रत का कारण न हो तो कोई क्यों रखे।" सुधाकर और उनकी पत्नी मालिनी निसंतान थे। दोनो ही स्वस्थ थे पर सन्तान न होने का कारण समझ नहीं आता था। दोनो को एक दूसरे से बेहद लगाव था। उनका प्रेम विवाह था। सुधाकर सर अभावों में पले बढ़े ग्रामीण परिवेश से तबे जिनपर अपनी तीन बहनों का दायित्व था। और सुना था उनकी पत्नी काफी समृद्ध परिवार से थीं। बिना दान दहेज के सादगी से विवाह हुआ था। फिर भी विवाह के 5 साल बाद भी रिश्तेदारों और सहकर्मियों के बीच उनके प्रेम की चर्चा रहती थी।आज भी वे दोनों जैसे दो जिस्म एक जान दिखते थे।

मनीषा ने चाय खत्म की और बोली "चलिए सर आज फाइनली ये सरदर्द खत्म होगा।","मुझे तो बहुत आनद आया मैडम।", "आपकी रुचि इन कार्यों में अधिक है मुझे ये समय की बर्बादी लगता है..घर परिवार बच्चे , सब अस्त-व्यस्त"।

गर्मियों की छुटियाँ निकल गयी।सर्दियां फिर आ गयी और ट्रेनिंग का दौर फिर शुरू हुआ। मनीषा का नाम ट्रेनिंग में आ गया।सुधाकर सर ने मनीषा को देखते ही उन्हें अपने समूह में कर लिया। "तुम्हारा नाम मैंने ही दिया था।" मनीषा चिड़चिड़ी हुई बैठी थी। "सर मैं कुछ सहयोग नहीं करने की।",'" अरे मैडम मैं तो खुश हो गया था कि मेरी टीम मजबूत हो गयी।" सुधाकर सर हमेशा की तरह चहक कर बोले। इतने साल ट्रैनिंग में साथ काम करते मनीषा और उनके बीच एक अच्छी समझ और सदाशयता बन चुकी थी। लेकिन इस बार मनीषा ने बहुत गंदा सा मुंह बनाया और कड़वे अंदाज में बोल बैठी, " आपको क्या समझ आएगा सर, अकेले सर पर बाल-बच्चो, घर-बार की जिम्मेदारी हो तो न समझेंगे की ट्रेनिंग से क्या ...बताया भी था आपको पिछली बार..मेरे लिए मेरा परिवार, बच्चा ...इन सब फालतू की ट्रेनिंग से...।" यह सुनकर सुधाकर सर चुप हो गए।

ढाबे वाले ने पूछा "सर मनीषा मैडम कहाँ है ?","आ रही हैं।" कह कर सुधाकर अपनी थाली का इन्तज़ार करने लगा। कुछ देर बाद ही मनीषा अन्य शिक्षक लोगों के साथ वहां चली आयी। मनीषा को अन्य शिक्षकों से पता लगा कि सुधाकर सर और उनकी पत्नी का तलाक हो गया है।और यह म्यूचअल हुआ था। कोई वैमनस्य या कटुता नहीं थी। लेकिन सभी को कारण बच्चे न होना लगता था। मनीषा सुधाकर के पास आकर बैठी। "सर, सोरी अभी पता चला।","सोरी क्यों मैडम।वे बहुत संवेदनशील महिला हैं,उन्हें मेरे लिए यही सही लगा ,अब आप मेरे लिए कोई अच्छी वधु ढूंढिए।" मनीषा को सुधाकर की बात पहेली जैसी लगी। "नहीं समझी सर!"

सुधाकर ने इधर-उधर देखा।मनीषा की ओर गौर से देखते हुए कुछ कहने को हुआ लेकिन फिर रुक गया।"मैडम मैं अपना परिवार बनाना चाहता था जिसमे वह मानसिक रूप से असमर्थ थी।इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे को मुक्त किया।","ओह! आप लोग आई वी एफ ट्राय कर सकते थे सर, आपकी इतनी अच्छी जोड़ी ..","मैडम, आप मेरी छोटी बहन जैसी हैं लेकिन फिर भी मैं आपसे खुल कर नहीं कह पा रहा। पता नहीं आप इसे किस तरह लें,महिला से एक पुरुष का महिला को लेकर गंभीर बात करना ..", " हम्म, आप असहज हैं तो रहने दीजिए,लेकिन अपने प्रति आपके मन के भाव जान कर बहुत खुशी मिली सर।" सुधाकर सर मुस्कराने लगे।

"सर एक निवेदन है"

"जी कहिये मेंडम"

"सर आइंदा मेरा नाम किसी भी ट्रैनिंग में ना आये तो मैं कृतज्ञ रहूँगी।"

" ओके ध्यान रखूंगा"।

आज मनीषा सी सी एल पर अपने घर पर थी।बीते दो सालों मे सुधाकर सर ने उसकी बात का मान रखा था। हर बार ट्रैनिंग में मनीषा का नाम आने पर वे कटवा देते।उन्ही के सहयोग से अब एक मुश्त दो साल की सी सी एल आज अप्रूव हुई थी। अब वह 12वी के बोर्ड की तैयारी अपने बच्चे को पूरा समय दे कर करा सकेगी। यह सोच कर वह खुश होते हुए बहुत कृतज्ञ महसूस कर रही थी। उसने सर को फोन मिला कर धन्यवाद दिया पता चला कि वे बच्चे की डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल पहुंचे हुए है। डेढ़ साल पहले सुधाकर सर ने अपनी कनिष्ठ शिक्षिका से विवाह कर लिया था।

फोन रख कर उसमे अखबार उठाया। विविध में उसने सुधाकर सर की पूर्व पत्नी का एक आलेख में "ए सेक्सुआलिटी एंड मैरिड लाइफ " वक्तव्य पढ़ा । मनीषा देख-पढ़ कर दंग रह गयी।वह एक सांस में पढ़ गयी। सुधाकर जी की पूर्व पत्नी ने उन्हें पूरा संम्मान देते हुए कितने सधे और सरल शब्दों में सच बताया था। सर का कहना कि" वह मानसिक रूप से असमर्थ थीं" अब समझ आ रहा था।मनीषा बुदबुदाई ,"वाकई हमारा समाज अभी ये सब समझने में असफल रहेगा।"


 वहां लिखा था-

'इस तरह के व्यक्तिव वाले शारीरिक संबंधों में अत्यधिक असहज होते हैं। स्पर्श और आलिंगन से ही प्रेम को अभिव्यक्त और महसूस कर पाते हैं।'

कुछ देर में ही व्हाट्सअप पर सुधाकर सर का मैसेज आया , "मनीषा जी, आई एम आउटसाइड द लेबर रूम, डॉक्टर अनुराधा ऑपरेटिंग माय मिनी ..फ्री ऑफ कॉस्ट...विश अस लक!"।

मिनी, सुधाकर सर की दूसरी पत्नी थी और डॉक्टर अनुराधा  उनकी  पहली पत्नी का ऑफिशियल नाम था।यह जान कर मनीषा के मन मे दोनो पूर्व पति-पत्नी के लिए असीम आदर भर गया। अब उनकी पूर्व पत्नी का समझदार-सहृदय-सहयोगी स्वभाव का भी होना उनकी ए सेक्सुअल पर्सनालिटी को ओवर शैडो कर चुका था।


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