दूरियाँ
दूरियाँ
"हाय; कहाँ हो? न कोई कॉल न कोई मैसेज?"
"बीजी था........."
"बीजी थे या इग्नोर कर रहे थे मुझे?"
"नहीं बीजी था, कैसी हो?"
"मै ठीक हूँ........लेकिन तुम्हे क्या हुआ?"
"कुछ नहीं हुआ; जस्ट बीजी लाइक हैल।"
"मै मैसेज न करती तो न तुम मैसेज करते और न कॉल करते।"
"करता; जैसे ही फुर्सत मिलती तभी करता।"
"और फुर्सत कब मिलती?"
"कहना मुश्किल है।"
"यही तो कह रही हूँ कि इग्नोर किया जा रहा है मुझे।"
"तुम्हे परवाह है?"
"परवाह है तभी तो कॉल की। लेकिन तुम्हे है परवाह कि मै तुम्हारे कॉल न करने से, मैसेज न करने से कितनी परेशान हूँ।"
"तुम परेशान हो? तुम्हारी पोस्ट्स देख कर तो नहीं लगता, परेशान इंसान ऐसी भद्दे मजाक भरी पोस्ट करता है ये पहली बार पता लगा।"
"तुम मेरी पोस्ट्स देख रहे थे?"
"देखता नहीं, न्यूज फीडबैक में दिख जाते है।"
"तुम्हारे विचार से मै खुश हूँ लेकिन परेशान होने का ड्रामा कर रही हूँ?"
"ऐसा तो नहीं कहा मैंने लेकिन तुम्हारी पोस्ट्स और दूसरे लोगो की पोस्ट्स पर तुम्हारे कमेंट्स देख कर लगा कि तुम ठीक हो और अपनी दुनियाँ में मस्त हो।"
"और इसी वजह से तुम दूरियाँ बढ़ा रहे हो?"
"दूरियाँ और नजदीकियाँ; वो भी इस आभासी दुनियाँ में? इस आभासी दुनियाँ के रिश्ते भी आभासी है इसे समझने के लिए एक दर्द का दरिया पार किया है; बहुत सहा है, लेकिन अब सहना मुश्किल है इसलिए वास्तविक दुनियाँ की वास्तविक चीजों में खुद को तलाश कर रहा हूँ।"
"तो ये है वजह मुझे इग्नोर करने की ?"
"नहीं, अभी वास्तविक दुनियाँ की वास्तविक चीजों से दौ-चार हो रहा हूँ, फुर्सत मिलते ही मिलता हूँ तुमसे।"
"कभी मिलेगी फुर्सत ?"
"पता नहीं।"