Devaram Bishnoi

Abstract

3.5  

Devaram Bishnoi

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दुखती बातें

दुखती बातें

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हमारे गांव में एक वृद्ध चाचाजी रहते थे।

वो इतने हंसी मजाकिया व्यक्ति थें।

कि हर किसी को मजाकिया लहजे में

ऐसा जवाब देते थे।

किअच्छे अच्छों की बोलती बंद हो जाती थी।

परन्तु वो मौकाआते ही प्रेेम पुर्वक हर

किसी कि उचित-अनुचित बात 

सबके सामने मुंह पर कह देते थे।

इसलिए न्यायप्रिय लोगों के बहुत चहेते थें।

गांव के सभी लोग उन्हें बहुत ईज्ज़त देते थें।

परन्तु संयोग से एक दिन गांव का 

एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश उनके हथे चढ़ गया।

वो गांव के आम चोराहा पर गांव कि ही

जवान लड़कियों से छेड़छाड़ कर रहा था।

वृद्ध‌ चाचाजी से रहा नहीं गया।

वो ऐसा लड़कियों के साथअन्याय कैसे

 सहन कर सकते थें।

वो खुद बहुत न्याय प्रिय व्यक्ति थें।

किसी के साथ अपनी आंखों के सामने 

अन्याय कैसे देख सकते थें।

और उन्होंने अपने हंसी-मजाकियां लहजे में

उसे दुुःखति बात कह डाली‌ थी।

उस समय तो वह वहां से शर्मिंदा होकर भाग छुुुुठा था।

परन्तु एक दिन उसने वृद्ध चाचाजी को गांव के

बाहर अकेले देख कर उन्हें जान से ही मार डाला था।

और वो वहां से फरार हो गया।

बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।

उस पर मुकदमा भी चला।

हकीकत यही है कि वृद्ध चाचाजी दुुुःखति बात कहने

के लिए शहीद हो गए।

सभी ‌ग्रामीणों ‌ने चाचाजी कि शोक सभाआयोजित 

कि ‌दुख प्रकट कियाऔर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

आज भी लोग गांव में कई मौकों पर साफ़दिल

 चाचाजी को सच्चाई के लिए याद करते हैं।

किसी ने सच ही कहा हैं

कि सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट केअसुलो से

 खुशबू आ नहीं सकती काग़ज़ के फूलों से।

जय हिन्द



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