दफ्तर की स्वार्थी यारियां
दफ्तर की स्वार्थी यारियां
दफ्तर अपना कार्य स्थल वहां पर बहुत सारे लोग काम करते हैं।
सब में एक दूसरे में दोस्ती हो जाती है जब तक यह दोस्ती निस्वार्थ ,निष्काम होती है ,तब तक बहुत अच्छा है सब एक परिवार की जैसे हंसी-खुशी रहते हैं।
और बहुत अच्छा लगता है ।
मगर इसी दोस्ती में जब स्वार्थ और धोखा और सब कुछ आ जाता है तो वह दोस्ती लोगों के घर बर्बाद कर देती है।
प्रस्तुत कहानी पूर्णतया काल्पनिक कहानीहै।
संजय शादीशुदा था एक ऑफिस में बहुत अच्छी पोस्ट पर था।
उसी ऑफिस में उसकी नई-नई सेक्रेटरी आई जो अपने रंग ढंग से येन केन प्रकारेण सामने वाले को इंप्रेस कर के सीढ़ियां चढ़ने में मान रही थी।
उसकी चपलता में संजय उसके रहन सहन से उसके झांसे में आ गया।
ऑफिस में भी तरह-तरह की गॉसिप होने लगी।
उसके खास यार दोस्त थे संजय को समझाने लगे कि यह इसके रंग ढंग ठीक नहीं है इस से दूर रह।
मगर संजय पर तो उसका ऐसा जादू सवार हुआ कि वह रोज घर पर अपनी बीवी से झगड़े करने लग गया।
शांत घर था जो कुरुक्षेत्र बन गया उसकी बीवी को समझ में नहीं आ रहा था कि यह हो क्या रहा है। सीधी सादी घरेलू टाइप की लड़की थी ऐसे दांवपेच पर उसको नहीं आते थे। पति पर अटूट श्रद्धा थी।
जब उसके दोस्तों ने सब तरह से समझा लिया और संजय नहीं माना तो दोस्तों ने उसकी पत्नी को बोला कि देर हो जाए उससे पहले संजय को संभाल लो
पत्नी को समझ में आ गया कि यह क्या हो रहा है झगड़े क्यों हो रहे हैं।
इसको मैं क्यों नहीं पसंद आ रही हूं।
सीधी-सादी थी मगर बुद्धू नहीं थी।
उसने काफी दिमाग लगाया और अपने पति को वापस रास्ते पर लाने के लिए उसने दूसरा रास्ता चुना।
उसने अपने आप को जो बिल्कुल सीधी सादी रहती थी उससे अपना मेकओवर करने का सोचा और वह करा।
थोड़ा जिम में जाने लगी एकदम स्मार्ट ली रहने लगी।
घर के काम भी थोड़े कम करके सर्वेंट की मदद लेने लगी ।
उसने अपनी वॉर्डरोब के कपड़े भी चेंज कर दिए और बड़ी स्मार्ट ली रहने लगी।
कुछ पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के कोर्स भी ज्वाइन कर लिए।
संजय को तो सबके लिए टाइम नहीं था। उसको तो पता भी नहीं लगा कि उसकी बीवी कर क्या रही है।
वह तो बहुत देर से घर में आता और सुबह जल्दी निकल जाता।
ऐसे करते करते 1 साल हो गया 1 साल में वह बिल्कुल चेंज हो गई।
इधर वो संजय की सेक्रेटरी संजय को लुभाने के लिए और अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के लिए प्रमोशन वगैरह पाने के लिए उसके बहुत पीछे पड़ने लगी कि मुझसे शादी कर लो फिर अपन साथ साथ रहेंगे।
संजय ने सोचा कि यह मुझसे शादी करने वाली है तो मुझे डायवर्स लेना पड़ेगा।
मगर वह दिमाग से इतना उसके साथ चक्कर में आया हुआ था तो सोचा यह भी सही है। अगर मैं डाइवोर्स कर ले करके इससे शादी कर लेता हूं ।तो मेरी जिंदगी बन जाएगी।
फिर मैं हमेशा उसके साथ रह सकूंगा।
ऐसे करके उसने अपनी बीवी के सामने डाइवोर्स पेपर लाकर रखें,वहएकदम सकते में आ गई ।
उसने कहा ठीक है मैं डाइवोर्स पर साइन कर दूंगी।
आप ऐसा करो दो-चार दिन उसके साथ में रहकर आओ ।
जिसके लिए आप मेरे को डाइवोर्स कर रहे हो। अभी आपको मेरे साथ रहने की जरूरत नहीं है ।
उसको रात को ही वहां जाने पर मजबूर करा वह तो यही चाहता था।
अपना बैग उठा वह उसकी सेक्रेटरी को बिना फोन किए उसके घर की तरफ रवाना हुआ। घर के दरवाजे तक पहुंचाई होगा घंटी के हाथ लगाने ही वाला था कि इसको अंदर से आवाज सुनाई दी, क्या तुम थोड़े दिन और इंतजार नहीं कर सकते ।
मैंने बॉस को मेरे झांसे में फांस लिया है बस शादी के लिए भी बोल दिया है ।
तो अब वह मेरे को दो प्रमोशन दे देंगे अभी तक तो मेरा खर्चा उनके पैसे से ही चल रहा है। थोड़े दिन रुक जाओ प्रमोशन होते ही मैं तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगी ।
और कभी उसको हाय हनी कभी बेबी इन सब बातों से लग रहा था यह उन दोनों की मिलीभगत है बॉस को फंसा कर पैसा ऐंठने की और प्रमोशन पाने की।
उसके पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। एकदम आसमान से धरती पर आ गिरा ।वापस दौड़ा-दौड़ा अपने घर गया समझ में नहीं आया क्या करे।
उसने वह तलाक के पेपर फाड़ दिए और अपनी बीवी से माफी मांगने लगा।
बहुत रोने गिड़गिड़ाने लगा उसकी बीवी ने कहा मैं आपको तभी माफ कर सकती हूं जब आप यह शहर छोड़कर दूसरे शहर में चलो। अब मैं आपको यहां रह नहीं रहने दे सकती। ऐसी कई रंगीन तितलियां आपको वापस मेरे से दूर कर देंगी।
मुझे तो बहुत पहले ही आपकी इश्क का पता लग गया था, मगर मैंने आपको जताया नहीं। क्योंकि मैं मेरी गृहस्थी तोड़ना नहीं चाहती थी। मगर अब आपको भी सबक मिल गया है ऐसे लोगों से सावधान रहने का अपन दूसरे शहर में चलते हैं।
और इस हादसे को भुला देते हैं मैं आपको माफ तो नहीं कर सकती मगर भविष्य में ध्यान रखेंगे और ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे।
अगर दोबारा करेंगे तो मैं आपके साथ में वापस नहीं रहूंगी। संजय उसको वचन देता है यह अब ऐसा कभी नहीं करेगा
दूसरे ही दिन संजय अपने बॉस से मिलकर के दूसरे शहर की ब्रांच में अपना ट्रांसफर करवा देता है।
और भगवान को धन्यवाद देता है कि समय रहते उसने उन दोनों की बात सुन ली और एक अनहोनी होने से बचा लिया।
इसके साथ में उसको अपनी पत्नी पर भी बहुत ही गर्व होता है,
और बहुत ही प्यार आता है वह उसके साथ अच्छे से रहने लगता है।
