दोस्ती

दोस्ती

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हर दोस्त जिगरी नहीं होता है कुछ तो बहुत ही स्वार्थी और मतलबी क़िस्म के होते हैं।

पहले से ही कह गये हैं बुजुर्ग लोग कि दोस्ती करिये अगले के विषय में पूरा जानकर पानी पीना सदैव छानकर..

बचपन से ही हमें दोस्ती की बड़ी शौक़ थी स्त्री हो चाहे पुरुष सबसे बहुत जल्दी मैं घुल मिल जाता था।

अपनें कामों की परवाह किये बिना हम सबकी मदद और सहयोग किया करता था..एक दिन हमें कुछ जरुरत थी मदद की हमने सभी से कहा मगर इतना बहाना मिला हमें सुनने को कि दोस्ती के नाम से चिढ़ होती है अब !

रिश्ते में बड़े साढ़ू जो की प्राइमरी में शिक्षक थे उनसे जब मेरी बात हुयी उनहोंने मेरी आँखे खोल दी..!

उनका एक टूक कहना था कि तुम अपनें काम पर नज़र रखो दुनिया में कोई किसी का मददगार नहीं है। सब मतलब का रिश्ता है यहाँ..

मांस खाओ भले हड्डी से दोस्ती मत करना वरना वही बाद में गले की फ़ांस बन जाती है।

हमें उनकी बातों में दम दिखा और इस सच्चाई को हम झेल ही रहे थे..!

प्रेम सबसे करता हूँ मानता हूँ अपना सबको आज भी मगर कोई आश नहीं रखता अब जमानें से..

अपनी कमियों पर नज़र रखते हुये मैं अगले से सम्बन्ध रखता हूँ जब से जाना कि दुनिया में कोई किसी का होता नहीं...

उनकी प्रेरणा भरी बातों पर जब हमने गौर किया दुनिया तबसे हमें दूर से ही साफ़-साफ़ दिखाई देने लगी।


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