STORYMIRROR

Kunda Shamkuwar

Abstract

4  

Kunda Shamkuwar

Abstract

दो शब्दों के बीच

दो शब्दों के बीच

2 mins
438

कल हमारे ग्रुप में सब लोग यूँ ही बातें कर रहे थे। किसी ने सवालिया लहज़े में कहा की दो शब्दों के बीच क्या होता है? ग्रुप में एक जो कोने में खड़ा था और जो बेहद प्रैक्टिकल था एकाएक कहने लगा, "एक खाली जगह ही होती है और क्या होता है?"

मैनें कुछ हँसते हुए कहा," क्या फो शब्दों के बीच एक खाली जगह होती है बस, और कुछ नहीं?"

वह झुँझलाकर कहने लगा,"अरे यार, खाली जगह या एक गैप के अलावा और क्या होता है? तुम भी बस बाल की खाल निकालते रहते हो। एक तो तुम्हारी यह सब बे सिर पैर की बातें और फिर.... वह कहते कहते रुक गया.... 

मैंने उसकी झुंझलाहट को नजरअंदाज करते हुए कहा, "दो शब्दों के बीच एक फ़ासला होता है.... और उस फासलें में एक हौसला होता है..... दो शब्दों के बीच कभी कोई झिझक होती है तो कभी होती है एक उम्मीद ...

वह मेरी तरफ़ अजीब सी निगाहों से देखने लग गया....

मैंने कुछ देर रुक कर कहा,"दो शब्दों के बीच कभी तुम्हे ख़ामोशी मिलेगी...और उस खामोशी में कभी कोई संगीत...."

वह मेरी इन बातों से चौंक गया।मैंने उसकी निगाहों में निगाहें डालकर आगे कहा,"कभी उसी दो शब्दों के बीच हम निशब्द भी हो जाते है...और तुम जानते ही हो कि निशब्द होकर भी वहाँ मौजूद सन्नाटे का शोर गूँजने लगता है..."

हम जो अपने ग्रुप में अभी तक न जाने कितनी सारी ढंग की या बेढंगी बातें कर रहे थे एकदम खामोश हो गए क्योंकि दो शब्दों के बीच के खालीपन और उसमें मौजूद हौसलें को हम सभी दोस्तों ने न जाने कितनी बार इसके पहले महसूस किया है....


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract