Shalini Dikshit

Romance

4.5  

Shalini Dikshit

Romance

दिल की उलझन

दिल की उलझन

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माँ का फोन रखते ही ऋषि ने सोचा मां भी कितनी अजीब होती है ना जब मेरे खाने पीने की बात करती है तो उसकी नजर में मैं छोटा बच्चा बन जाता हूँ और जैसे ही शादी की बात चलती है तो मैं उनत्तीस बरस में ही मेरी उम्र बहुत बड़ी हो जाती है।कितनी बार कह चुकी है- २९ वर्ष के हो गए हो कब शादी करोगे समय निकला जा रहा है।

 उसके चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान तैर गई, मुस्काना भी कैसे सकता है इस अस्पताल के कमरे में जहां चारवी बिस्तर पर दवा के नशे में बेसुध पड़ी हुई है।

जाने कितने सवाल ऋषि के दिमाग में आ रहे हैं- क्या इसी दिन के लिए उसने चारवी से प्रेम किया था? उसके प्रेम में उसकी भावनाओं में कोई बदलाव नहीं आया था फिर क्यों चारवी को ऐसा लगने लगा, क्यों यहां तक हालात पहुंच गए हैं कि डिप्रेशन के कारण अस्पताल में एडमिट हो गई है?

उसे आज भी याद है कि जब तीन साल पहले चारवी उसके ऑफिस में फ्रेशर्स के रूप में काम करने आई तो वह चार साल से वहां काम कर रहा था। एक डोर भावनाओं की, प्रेम की उन दोनों को एक दूसरे की तरफ खींचने लगी। 

ऋषि तो सीधा शादी करना चाहता था क्योंकि दोनों के पास नौकरी थी, प्रेम था उसका मन था वो दोनो शादी कर लें, लेकिन मुंबई में पली-बढ़ी चारवी पहले लिव-इन में रह कर एक दूसरे को समझना चाहती थी, उसकी जिद थी कि पहले वह लिव-इन में रहेगी। 

ऋषि घरवालों से छुपकर लिव-इन में रहने लगा; सिर्फ चारवी की जिद्द की वजह से।लेकिन क्या मिला उसको? इस सब से एक साल में ही ब्रेकअप हो गया और आज चारवी इस स्थिति में डिप्रेशन के बाद हॉस्पिटल में एडमिट है। अगर ब्रेकअप से इतना ही दुख मिलना है और अलग होने से चारवी दुखी होना है तो फिर अलग होना ही क्यों है? क्यों नहीं एक दूसरे के साथ सामंजस्य बिठाकर रहना है? 

ना जाने कितने सवाल ऋषि को दुखी कर रहे हैं। दूर रहकर ऋषि बहुत परेशान था लेकिन कुछ लोग खुद पर काबू कर लेते हैं दुखी होते हुए सामान्य जीवन जीते रहते हैं।

चारवी को पता भी नहीं है कि ऋषि उसके साथ उसके कमरे में ही बैठा हुआ है। कैसे छोटी-छोटी बातों को समझने की बजाय इतना बड़ा बना दिया था उस ने, कुछ दिन तो बहुत अच्छा चला शामे बहुत ही रूमानी थी, एक दूसरे का हाथ पकड़कर कॉफी पीना। धीरे धीरे सब शिकायतों शिकवों में गुम होने लगा।

पहले सुबह मुझे देखकर गुड मॉर्निंग बोलते समय तुम्हारी आंखों में एक अलग चमक होती थी अब नहीं होती है।

पहले तुम ऑफिस में काम करते वक्त मौका ढूंढते थे मेरा हाथ पकड़ने का अब ऐसा नहीं करते हो ।

पहले तुम मेरे लिए सरप्राइज में गिफ्ट लाते थे अब नहीं लाते हो। 

ना जाने कितने सवाल पहले ऐसा पहले वैसा अब नहीं है ऐसा, ऋषि परेशान होने लगता।

ऋषि समझाते-समझाते थक जाता पहले हम सिर्फ ऑफिस में ही मिलते थे तो जब मैं तुम्हें बहुत देर के बाद देखता था तो तुम्हें ऐसा लगता था कि मेरी आंखों में चमक आई है और काम करने के बीच में मैं चुपचाप मौके तलाशता था कि तुम्हारा हाथ पकड़ सकूं पर अब हम साथ में रहते हैं साथ में खाते पीते हैं और सोते हैं, मैं ऑफिस में तुम्हारा हाथ क्यों पकडूंगा? 

हम साथ में ही सारी शॉपिंग करते हैं, एक दूसरे की पसंद की चीजें खरीदते हैं तो खास मौकों के अलावा मैं सरप्राइज गिफ्ट कब लाऊं तुम्हारे लिए? 

अब हमेशा साथ में ही रहते हैं जीवन की सच्चाई को स्वीकार करना पड़ता है, जीवन फिल्मी नहीं है फिल्मी तरीके से, हीरो हीरोइन के तरीके से नहीं चलता है हमारा जीवन, हम साधारण इंसान हैं।  

वो चारवी से सिर्फ दो वर्ष ही बड़ा था लेकिन चारवी कभी-कभी सोचती- कितना अजीब इंसान है कैसे बुजुर्गों जैसी बातें करता है? 

कौन समझाए वह बुजुर्ग नहीं है बस समझदारी की बात करता है, ऐसे ही जीवन जिया जाता है। न जाने कितनी शाम ऐसी ही खराब होती गई शिकवे शिकायतों में और फिर एक दिन वो अपना सामान उठाकर अलग रहने चली गई ब्रेकअप कर के सब कुछ खत्म कर दिया उसने।

ऋषि चारवी को रोकना चाहता था, मनाना चाहता था पर शायद वह भी कहीं ना कहीं थक गया था इसलिए प्रेम होते हुए रोक नहीं पाया, ऋषि की परवरिश शायद ऐसे माहौल में हुई थी कि वह मानसिक रूप से सशक्त था। चारवी के दूर जाने का दुख उसने सहन कर लिया और वह नॉर्मल जिंदगी जीता रहा; डिप्रेशन जैसी बीमारी उसके आसपास फटक नही पाई। 

उसको बहुत दुख हो रहा है पांच महीने में ही अपनी क्या हालत कर ली है चारवी ने? एक बार होश आ जाने दो फिर वो समझाएगा कि वह उसको कितना प्यार करता है उस से शादी की बात करेगा। बिस्तर पर कुछ हलचल महसूस हुई उसने देखा कि चारवी को शायद प्यास लगी है उसे पानी पीना है कहते हुएचारवी ने आंखें खोल दी। 

ऋषि को देखते ही उसकी आंखों में मुस्कान तैर गई- "तुम!! तुम!! यहां कब आए?"

"मैं तो कहीं गया ही नहीं था चारवी, खैर यह सब छोड़ो तुम मेरी बात सुनो...... " ऋषि बोला।

उसकी बात को बीच में काटते हुए चारवी बोली, "पहले तुम मेरी बात सुनो ऋषि आई लव यू!! मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।"

"आई लव यू टू !! हम जल्दी शादी कर ले, बोलो क्या कहती हो?" बोलते हुए ऋषि ने चारवी को गले लगा लिया।


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