दिल की दुविधा
दिल की दुविधा
मैनें उसे प्यार से देखा है, मगर पता नहीं
ये प्यार है या नहीं।
वो मुझे देखती है पता नहीं क्या चाहती है।
डर लगता है अगर कह दिया तो उसका
जवाब क्या होगा
और नहीं कहा तो खुद का जवाब क्या होगा।
कुछ अखड़पन है उसमें, कुछ अल्हड़पन है मुझ में।
कुछ नज़ाकत है उसमें, कुछ शरारत है मुझ में।
वो अंगड़ाई लेती है बार बार मोहब्बत की ऐसा लगता
है पर क्या ये दिल है कोई बड़ी आफ़त में।
पता नहीं ये क्या चल रहा है।
लेकिन मेरा दिल बड़ी दुविधा में हैं।
समझ ही नहीं आ रहा है क्या करें।
कुछ कहो तो ऐसा लगता है
कुछ खो दिया है हमने।
और ना कहो तो ऐसा लगता है
खुद खो चुके है खुद में।
मैं उसे देखता हूं वो मुझे देखती है ,
मैं छत पर खड़ा रहा, उसका नज़रिया
मुझ पर अड़ा रहा।
कोई देख ना ले हमें इसलिए मैं भी
छुप कर खड़ा था।
बस एक चाहत होती है, इश्क की वरना
सभी को पता है मरना तो अकेले ही है।