दीवारों में बसता सन्नाटा
दीवारों में बसता सन्नाटा


"दीवारें बोल उठेगी!" वाली पुट्टी घर की सारी दीवारों पर लगा दी पर मजाल है कि किसी एक दीवार ने मेरे अकेलेपन की खामोशी में एक शब्द भी बोला हो!"खुशियों के रंग" वाले paint से उन पुट्टी वाली दीवारों पर रंग करवाया परंतु पूरे घर में चारों तरफ उदासी का ही रंग छाया रहा।
अक्सर मैं और मेरी तन्हाई ही बातें करते रहते है। कुछ वह अपना सुनाती है और कभी मेरा भी सुनती है।
भीड़ के अपने फायदे होते है.... कभी कभी खुद से छुपने के लिए ज्यादा मशक्कत नही करनी पड़ती.....और हाँ भीड़ के अपने कायदे भी होते है.....जहाँ सन्नाटा भी बिना किसी से खौफ़जदा होकर गूंजता रहता है बिल्कुल बेआवाज......