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Nandita Srivastava

Tragedy

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Nandita Srivastava

Tragedy

दीदी

दीदी

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हमारी दीदी यानि माँ सरीखी बड़ी बहन बहुत ही याद आती है, दीदी बहुत पढ़ी लिखी कला संगीत की पारखी खेल कूद या कोई भी जगह हो हर जगह पहले पता नहीं कैसे कर पाती थी। मालूम नहीं पर हाँ बड़ी ही खूबसूरत महिला थीहमको याद है कि जब दीदी का विवाह का हुआ तो हम बहुत छोटे थे गोरी सी दीदी, काले से उनके पति उनका विवाह के समय हाथ पकड़ कर बैठे थे, हमको ठीक नहीं लग रहा था और उनको हम अपना भी ना सके दीदी ने बहुत बढ़िया कैरियर पति के कहने पर छोड़ा पर वही शायद जीवन की सबसे बड़ी गलती थी

दीदी दो बालक एक बेटा एक बेटी बेटा भी बाप की तरह लापरवाह बेटी बहुत ही संवेदनशीलहम दीदी से पूछते थे कि आप ने इस आदमी से विवाह कैसे किया तो वह कहती मन की सुंदरता देखो तन की नहीं सब बातें नहीं समझ में आती पर यह जानती हूँ कि आप अगर मन के ठीक है चेहरा अपने आप चमकता हैआगे चल कर दीदी कि दोनो किडनी खराब हुई हम तैयार भी थे देने के लिये पर तब तक देर हो चुकी थी, दीदी का पति दीदी को हॉस्पिटल तक नहीं देखने जाता था आज दीदी तो नहीं पर वह का पुरूष एंकात पन का कारावास काट रहा है


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