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Krishna Raj

Romance

3  

Krishna Raj

Romance

देखा एक ख्वाब...

देखा एक ख्वाब...

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देखा एक ख्वाब.... तो,


क्या करें.... बता दें????

ना,

ओके चलिए बता ही देते हैं....

उनसे कहा, सावन का महीना है चलिए भोलेनाथ की नगरी चलते हैं,

यार तुम्हारे भोलेनाथ के लिए उतनी दूर जाने की क्या जरूरत, चलो भोलेनाथ के मंदिर ही चलते हैं...

उफ्फ, , अच्छे अच्छे कंजूस देखे, पर इनके जैसा नहीं देखा, , वैसे देखना भी नहीं चाहते...

तो बात ऐसी थी कि हमें इनके साथ कैद होने का वक्त नजदीक आ रहा था, अरे भई.... हमारी शादी होने वाली थी... तो सोच रहे थे कि अपने आराध्य के दर्शन करके आशीर्वाद ले लिया जाए...

ओह, ये बात है,

जी, यही बात है..

तो एक काम करते हैं न.. पहले शादी कर लेते हैं फिर साथ चलते हैं, दर्शन भी हो जाएंगे और????????

और, , चुप क्यों हो गए.. बोलो न..

और सैर-सपाटा भी, और बाकी सब भी...

ये गोलमोल बातें बंद करो, और साफ़ बोलो.. मैंने घूरा उन्हें...

अरे यार, तुम भी न... मेरा मतलब है मधुमास भी हो जाएगा....

सोचना भी मत...

अरे, क्यों,

वहां नहीं,

क्यों..

बोल दिया न वहां नहीं..

पर कोई वजह तो होगी???

धार्मिक स्थल में नहीं...

हाहाहा, ,

कोई चुटकुला नहीं सुनाया, जो कहकहा लगा रहे हो..

तुम बात ही ऐसी कर रही हो..

अच्छा छोड़ो.. वो सब बाद में.. मेरा न एक ख्वाब है..

बोलो,

जब मैं तुमसे पहली बार मिलूँ तो अपने मनपसंद गहने पहनूं ... मतलब सिर्फ वही जो मुझे पसन्द हो...

ओह हो.... मतलब अब खरीददारी का मूड बन रहा है 

मेम साब का... पर यार उसके लिए माँ के साथ जाओ न.. और जो लेना है ले लो..

हे शिव,

अब उन्हें क्यों याद कर रही हो..

उफ्फ, पूरी बात तो सुना करो...

इसके बारे में किसी से नहीं कहना चाहते हैं... बस तुम्हारे और मेरे बीच की बात है...

ओए होय... क्या बात है... हमारी रानी साहिबा तो पूरे मूड में तैयारी कर रहीं हैं, , वैसे एक बात बोलूँ..

हाँ, बोलो..

वहां कोई तीसरा होगा भी नहीं.. बस हम दोनों ही होंगे.. मैंने जरा शरारती लहजे में कहा...

एक जोरदार मुक्का मेरी पीठ पर पड़ा, , तुम न सुधर जाओ, बोल देती हूं..

यार तुम ये पहलवानी पर क्यों उतर आती हो.. दिखने में तो बड़े नाजुक हाथ हैं तुम्हारे.. पर कितने जोर से लगते हैं, कुछ पता है???

नहीं जी.. मुझे कैसे पता होगा... खुद की पीठ पर नहीं मार सकती न..

हाय, कौन न मर जाये इनकी मासूमियत पे..

अच्छा सुनो न अब.. मज़ाक छोड़ो..

ओके ओके... बोलो अब..

उसका इंतजाम सिर्फ तुम्हें ही करना है... कैसे करोगे वो तुम सोचो..

अच्छा, , अब बताओ.. क्या क्या लेना है..

बस और बस एक चीज़...

बस एक जेवर??? मैंने आश्चर्य व्यक्त किया..

नहीं... एक मतलब.. एक टोकरी भर मोगरे के फूल..

मुझे उस दिन खुद को मोगरे के फूलों से सजाना है..

ओह हो हो हो हो,

अब इतना सारा हो हो करने की क्या जरूरत है..

मेरा मतलब है कि पूरा इंतजाम किया जाएगा बन्दे को बेहोश करने का...

जाओ, रहने दो, तुमसे तो कुछ कहना ही बेकार है.. हर बात पे मसखरी सूझती है..

अरे, नहीं यार.. मैं तो ख्वाब देखने लगा था उस पल का.. जब तुम साक्षात् मोगरे सी महकती हुई मेरे सामने 

आओगी.. उफ्फ क्या मदहोश करने वाला समाँ होगा न..

वैसे एक बात तो बताओ न???

हाँ पूछो..

तुम में लड़कियों वाले शौक नहीं है क्या???

अब ये कैसा सवाल है.

मेरा मतलब कि लड़कियां शादी के कितने दिन पहले से बाजारों के चक्कर लगाना शुरू कर देती हैं... पार्लर वाली की जान खाने लगती हैं.. थोड़ा पापा का खर्च करवाती हैं, और बहुत ज्यादा अपने मंगेतर का.....

रुको रुको रुको....

क्या हुआ????

सबसे पहले तो ये बताओ की इतनी जानकारी तुम्हें कैसे है????

अरे, इसमें जानकारी की क्या बात है.. मेरे यार दोस्त बताते हैं... तो पता चलता है..

अच्छा जी..

जी... इसलिए तो कह रहा हूं कि तुम सबसे अलग हो... सरल और प्यारी सी.. और मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ... मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा..

सच,

बिल्कुल सच...

एक पल के लिए वक्त जैसे थम सा गया... सारी दुनिया सिमट कर हमारी नजरों में उतर आई थी..

सुनो.. मैंने बड़े प्यार से कहा.

हाँ बोलो न, ,

क्यों न आज ही मोगरे के फूलों की टोकरी खरीद ली जाए.....

हे शिव, और फिर एक मुक्का... पर इस बार मुझे पड़ा.. जो कि मेरी सहेली ने मारा..

अरे कुंभकर्ण की बहन.. उठ जा अब..

देखा आप लोगों ने... टूट गया न ख्वाब.. 



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