देह
देह
रूपा बहुत सुंदर थी जिसे अपने देह का अभिमान था हमेशा अपनी भाभी को अपमानित करती जो थोड़ी सांवली थी, रूपा की तरह कई डिग्रीया नही थी उसके पास मगर मगर सब को घर में अपना समझती कभी ना काम चोरी करती मैं कभी कोई गलत शब्द कहती, सास ससुर को. मां-बाप की तरह ही चाहती ,रूपा को एक बडी बहन की तरह ही सम्मान देती, घर में बहुत सेवा करती अपने हजार सपने छोडकर, घर में सबको साथ देती जबकि शादी से पहले वह डांस टीचर थी कई प्रतियोगिताएं उसने जीती मगर फिर भी उसमें अहम भाव न था ।
रूपा का एक दुर्घटना में पैर कट गया वह बहुत दुखी थी बहुत चिड़चिड़ी हो गई मगर उसकी भाभी ने उसे बहुत सकारात्मक विचार कहती हमेशा साथ देती
बहुत सेवा की धीरे-धीरे वह सामान्य होने लगी उसके खाने-पीने का हर वक्त ध्यान रखती यहां तक कि खाना भी खिलाती वह अपने से ज्यादा हर वक्त रूपा की चिंता करती है ।
मगर रूपा के दिल में अफसोस था कि मैंने इतना देह अभिमान किया , कितनी बार परिवार व दोस्तो के सामने भी भाभी को बेज्जत किया रंग रूप..... अभिमान किस काम का, देह कि सुंदरता कुछ दिनों की होती है गुण, सेवा व्यक्तित्व का असली गहना हैऔर अपनी भाभी से माफी मांगी.
जीवन में आधे से ज्यादा रिश्ते देह व पैसे के अभिमान के कारण खराब होते व टूटते हैं इसलिए इन सब से ऊपर उठकर व्यक्तित्व गुणों को बढ़ावा देना चाहिए।
