ड्रग कनेक्शन और सेक्स !
ड्रग कनेक्शन और सेक्स !
मुम्बई पुलिस,सी.बी.आई.,नारकोटिक्स विभाग और तमाम अन्य जांच एजेंसियां मुम्बई की उस नामी होटल की आलीशान पार्टी के ड्रग कनेक्शन की जांंच पड़ताल में दिन रात एक किये हुए थीं। धड़ाधड़,पूछताछ, गिरफ्तारियां और सर्च हो रहे थे। पेशेवर मुखबिर भी सक्रिय थे लेकिन अभी नतीजा सिफर ही था। न्यायालय में भी इस प्रकरण के चले जाने से मामला गर्म हो चला था।
बोरीवली के उस गेस्ट हाउस में आज ड्रग पेडलर मंजीत को पूछताछ के लिए लाया गया था। अपने भरसक फोन टैपिंग, बेहतर इन्वेस्टिगेशन और फॉरेंसिक एविडेंस का इस्तेमाल जांच एजेंसियां करना चाह रही थीं लेकिन अपराधी सहयोग नहीं दे रहे थे। इसलिए मजबूर होकर अब संदिग्धों पर पुलिस और जांच एजेंसियां थर्ड डिग्री टार्चर मैथड का इस्तेमाल करने की सोच रही थीं।
थर्ड डिग्री टॉर्चर में अक्सर पुलिस वाले बहुत मारते पीटते हैं,नाखून उखाड़ लेते हैं,भूखा-प्यासा रखते हैं,आंख में मिर्ची डाल देते हैं। लेकिन असल में इस थर्ड डिग्री टॉर्चर में होता क्या है? इसकी कोई गाइडलाइन तो होती नहीं है। आपको कहीं ये लिखा हुआ नहीं मिलेगा, किसी भी कोडबुक में इसलिए ये कोई टेक्नीकल टर्म नहीं है। टॉर्चर का मतलब प्रताड़ित करना होता है, किसी को बेतरह चोट पहुंचाना या दर्द देना ताकि उससे कुछ करवाया या उगलवाया जा सके| ये सज़ा के रूप में भी इस्तेमाल होता चला आया है। इस टॉर्चर के फर्स्ट और सेकण्ड डिग्री ही नहीं अब थर्ड डिग्री की बात भी शामिल हो चली है।
जैसे बेंत से लगातार जोर से मारना, भूखा-प्यासा रखना, सोने न देना, या शरीर की प्राकृतिक क्रियाएं (मल-मूत्र त्याग) करने से रोक देना, कलाइयों को रस्सी से बांधकर लटकाना, टखनों में वज़न बांध कर तेज़ झटके देना आदि। पिएरजॉर्जियो ओदिफ्रेदी इटली के एक मैथमटीशियन (गणितज्ञ) हुए थे। उनके हिसाब से मैथ में थर्ड डिग्री के इक्वेशन यानी क्यूबिक इक्वेशन सुलझाने मुश्किल होते हैं सेकण्ड डिग्री के मुकाबले। इसलिए मुश्किल टॉर्चर को थर्ड डिग्री टॉर्चर कहने के पीछे एक ये भी वजह बताई गई है। ड्रग पैडलर मंजीत को रात में पास के एक पुलिस कैम्प में ले जाया गया।
वहां पर 15 पुलिस ऑफिसर्स ने उससे पूछताछ करनी शुरु की। उनमें से एक ने उसके हाथों पर कील वाले बूट पहन कर चलना शुरु कर दिया और बाकी उसे हर तरफ से बेतहासा पीट रहे थे। उसके बाद उसे एक ‘हैदराबादी गोली' खाने के लिए मजबूर किया गया। ये एक आदमी के हाथ के साइज़ की लाठी थी जिसके ऊपर ढेर सारा मिर्ची पाउडर लगा हुआ था। अब उसके कपड़े उतार दिए गए और वही लाठी उसके मलद्वार में घुसा दी गई। वह लगभग आठ घंटे तक बेहोश रहा। लेकिन जब होश में आया और उसने जो राज़ उगले उससे सभी के होश उड़ गये। उसने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में अनेक पुरुष लोग गे ( पुरुष का पुरुष के प्रति आकर्षित होना) हैं और वहीं कुछ हिरोइनें लेस्बियन ( महिला का महिला के प्रति आकर्षित होना) हैं। वहीं कुछ नामचीन हस्तियों का उसने नाम लेते हुए बताया कि वे बाइसेक्सुअल ( महिला और पुरुष दोनों के प्रति आकर्षण रखने वाले ) हैं। ये तथ्य चौंकाने वाले थे लेकिन जांच एजेंसी के मुखिया आई.जी.सिठोले को इन यौन व्यवहारों का ड्रग कनेक्शन समझ में नहीं आ रहा था। उन्होंने उस दिन पूछताछ समाप्त कर दी और विशद जानकारी के लिए मेडिको लीगल एक्सपर्ट के यहां पहुंचे। डा.कसेरा मुम्बई के जाने माने लीगल एक्सपर्ट थे। उन्होंने बताया कि एक तरह से कहें तो इस तरह का यौन व्यवहार, सामाजिक मेलजोल और नियम कायदों जैसी कई बातों को मिलाकर बनता है- एलजीबीटी (LGBT) समुदाय. इन सबसे अलग हेटेरोसेक्सुअल (Heterosexual)केटेगरी के लोग हैं यानी आपका उन लोगों के प्रति सेक्सुअली अट्रेक्ट होना जिनका जेंडर आपसे विपरीत होता है।
अब आप कैसे जज करेंगे कि आप होमोसेक्सुअल है या नहीं ? .....आइए इसे भी जान लेते हैं। जब महिला या पुरुष अपने समान लिंग की तरफ आकर्षित होने लगते हैं तो उसे होमोसेक्सुअल कहा जाता है। इसमें वे अपने समान लिंग वाले के साथ रोमांटिक होने की चाह रखते हैं,उनके साथ सेक्स करने की इच्छा रखते हैं, उनसे अपने दुख-दर्द, खुशी-गम सब कुछ शेयर कर आपस में प्यार बांटते हैं। इस कंडीशन में समान लिंग वाले आपस में एक पति-पत्नी की तरह एक-दूसरे को ट्रीट करने लगते हैं। उन्होंने आगे बताया कि सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में जानना काफी कन्फ़्यूजिंग एक्सपीरियन्स होता है। फिलहाल इसके लिए कोई मेडिकल टेस्ट भी नहीं है। होमोसेक्सुअल का पता लगाने के एक नहीं कई संकेत होते हैं। पुरुषों के नजरिए से उनके चलने में हल्का नाजुकपन, मेकअप करना और लड़कियों के कपड़े पहनना आदि बड़े साधारण संकेत हैं। .........
अगर आपको अपने समान लिंग वाले पर प्यार आ रहा है तो आप होमोसेक्सु्ल हैं। लड़कों को देखने के बाद मन में उत्तेजना होना भी होमोसेक्सुअल की निशानी है। यदि आपका किसी लड़के के साथ ज्यादा इमोनशल टच रखता है तो वह भी होमोसेक्सु्अल हो सकता है। "डा.कसेरा, क्या आप बता सकेंगे कि इन सभी असाधारण यौन व्यवहार की प्रवृत्ति का ड्रग से क्या कनेक्शन हो सकता है?"आई.जी. सिठोले ने सवाल किया। "असल में भारत में सामाजिक रुप से इन क्रियाओं को चूंकि मान्यता नहीं मिल सकी है इसलिए इसके अनुयायी हीन भावनाओं से ग्रस्त रहते हैं और इसीलिए अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन के प्रति होने वाली अपनी नेगेटिव फीलिंग्स को ड्रग्स या अल्कोहल जैसी चीजों के जरिए छिपाने की वे भरसक कोशिशें करते रहते हैं। " डाक्टर कसेरा ने बताया।
उन्होंने यह भी बताया कि विदेशों में चूंकि इस पर प्रतिबंध नहीं है इसलिए होमोसेक्सुअल फ्रेंड्स की अपनी कम्पनी अपनी सोसाइटी बनी रहती है। उन्हें उन्मुक्त सेक्स का अधिकार है। वे आपस में नेटवर्क - सपोर्ट भी देते - लेते रहते हैं। आप क्या हैं वे यह खुद तय करते हैं, समाज या सरकार नहीं। वे इसे दूसरों को तय करने का अधिकार भी नहीं देते हैं। हां, उनको भी सेफ सेक्स पर भी ध्यान देना पड़ता है क्योंकि सेक्स समान लिंग से हो या विपरित लिंग से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन्स (SITs) का खतरा दोनों कंडीशन में बराबर होता है।
इन ढेर सारी जानकारियों के साथ आई.जी.सिठोले अपने कार्यालय वापसी पर हैं और अब अपनी जांच को आगे बढ़ाने और जल्दी ही निष्कर्ष पर पहुंचने के उनके आत्मविश्वास में काफी बढ़ोत्तरी हो चुकी है।

