Richa Baijal

Abstract

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डे 27 : धार्मिक संवेदनाएं

डे 27 : धार्मिक संवेदनाएं

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 डे 27 : धार्मिक संवेदनाएं: 20.04.2020


लॉक डाउन 2.0 चल रहा है भारत में । पहले कभी "फ़ॉग " चला करता था भारत में । खैर एक तरफ तो आप कहते हैं लॉक डाउन का पालन कीजिये और दूसरी तरफ कुछ तरसे हुए हाई क्लास लोगों के लिए पिज़्ज़ा डिलीवरी शुरू करा देते हो । जिस रोग का एहसास ही 10 दिन के बाद होने वाला है , वहां इस तरह की लापरवाही चल रही है । इसके बाद वो पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय पॉजिटिव आ जाता है ।लग गयी 74 परिवारों की वाट ।

अब वो सारे क्वारंटाइन । फिर सरकार की सरदर्दी शुरू ।


हमें अपनी लापरवाही से सीखना है न कि नयी - नयी चीज़ों से कोरोना को चैलेंज देना है।अब 23 को रमजान है ; तब क्या हम अपने मुस्लिम बंधुओ से अज़ान अदा करने की शांतिप्रिय उम्मीद कर सकते हैं ? यकीनन , नहीं । क्यों करनी चाहिए ?


जब अंग्रेज़ो ने 1829 में हिन्दुओं के धर्म से छेड़छाड़ की थी , तब हिन्दुओं ने 1857 की क्रांति ला दी थी ।उसके बाद संविधान के स्थापना -कार्यकाल में मुस्लिम -धर्म की आस्थाओ को छेड़ने से बचा जाता रहा । और 2019 में जब मोदी ने मुस्लिम धर्म में कुछ परिवर्तन लाये तो विद्रोह की ज्वाला भड़क उठी ।


कहने का तात्पर्य ये है कि भारत में धर्म अति संवेदनशील है ; तो अब रमजान पर क्या होगा , ये सोचने योग्य विषय है।जब लोग अयोध्या मसले अब तक दिल से लगा कर बैठे हैं , तब फिर आप एक नयी समझ की उम्मीद कर ही कैसे सकते हो ? 


तो संभव है कि सरकार ने कुछ नयी रणनीति बनायीं होगी । इंटरनेट बंद करने का विचार मन में आया है या सोशल डिस्टन्सिंग लागू करना चाहेंगे इस बार ? मोदी सरकार को उसकी इन्ही नीतियों की वजह से आलोचना भी सहनी पड़ी । किन्तु मोदी की बॉडी लैंग्वेज कुछ ऐसी थी , कि अभी तो जो हूँ वो मैं ही हूँ ।


अब इन विपरीत परिस्थितियों में सरकार का रुख देखना अहम रहेगा । धर्म निर्पेक्षता का पालन करता मेरा देश कुछ क्रूर नीतियों का शिकार हुआ है , लेकिन फिर भी सुरक्षा का एहसास ज़िंदा है ।आशाएं बाकी हैं , संवेदनाओ का मान बाक़ी है । 


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