डार्लिंग कब मिलोगी (भाग-20)
डार्लिंग कब मिलोगी (भाग-20)
आज भी औफिस से लौटते समय सपना का फोन आया था,
" नैना, क्या कर रही हो ? तुम तो आज कल नजर ही नहीं आ रही हो ना दोस्तों से मिलना ना बातचीत ?
तुम और जया भाभी एक साथ घर गये थे ना ? तुम लौट आई भाभी नहीं लौटी ? "
उसने एक ही सांस में सारी बातें कह डाली।
" अब तक तो तुम ही बोलती जा रही हो मुझे मौका मिले तब तो कुछ कहूं ? "
उधर से चुप्पी।
नैना ने ठहरी हुई आवाज फोन पर सपना को अपने घर वापसी के बाद से अभी तक घटी हुई सारी घटना के बारे में सुना दिया।
दिल्ली में एकमात्र सपना ही उसकी सहेली बनी है। जिससे वो अपने मन की हर बात बेधड़क कह जाती है।
उधर सपना ने शायद उसकी आवाज में बसी हुई हताशा गौर कर ली थी,
" सुनो नैना,
देवेंद्र एक हफ्ते के टूर पर बाहर गये हैं । तुम आ जाओ यहां दो- चार दिनों के लिए एक साथ रहेंगे तो तुम्हारा भी मन थोड़ा संभल जाऊंगा और मेरे बेटे को भी कंपनी मिल जाएगी "
नैना को भी इस वक्त कुछ इसी तरह के चेंज की जरूरत महसूस हो रही है। एक पल को दिमाग में आया वहां रह कर शोभित के प्रस्ताव पर भी विचार कर पाएगी।
बिना कुछ सोचे उसने हामी भर दी।
अगली शाम … घुटनों के बल पर बैठी हुई नैना सपने के बेटे को पालने में झुला रही थी।
नन्हा सा प्यारा 'आकाश' उसे टुकुर- टुकुर देख रहा है।
मार्च के महीने में एअरकंडीशन कमरा को ज्यादा ही ठंडा कर रहा था।
" नैना, मैं ने तुम्हारी पसंद के भरवां करेले, पीली अरहर की दाल और सरसों के साग भी बनाए हैं चलेंगे ना ? "
नैना खुश हो गई, यह सोच कर कि इसे जया दी के घर में साथ रहते हुए मेरी पसंद अभी तक याद है।
जबकि घर- औफिस के चक्करों में वो खुद ही भूल बैठी है।
कम्पनी की तरफ से मिला हुआ सपना का घर पूरी तरह से सुसज्जित है। जिसकी मालकिन के रूप में सजी सपना को देखना इस समय उसे बहुत सुखदायक लगा।
अचानक... यह सुनकर,
" नैना, मैं क्या मोटी हो गई हूं ? " नैना ने पल भर के लिए उसे देखा,
सपना हर दृष्टि से तृप्त और छलछलाती हुई लग रही है।
" किसने कहा ? "
" देवेन्द्र ने "
खिलखिला उठी नैना,
" छेड़ रहा होगा तुम्हें
इसमें भला छेड़ने की कौन बात है ? ऐसे क्यों छेड़गा मुझे?
अब तुम्हें देवेंद्र नहीं छेड़ेगा तो क्या मैं छेड़ूंगी?
नैना हंस पड़ी।
" तुम्हारा वजन उतना ही बढ़ा है जितना एक ताजी- ताजी माॅं का बढ़ना चाहिए … यार "
सपना को कुछ तसल्ली हुई। उसने सो रहे बेटे को हल्की चपत लगाई,
" सब इसी की कारस्तानी है "
बेटा रो पड़ा,
नैना ने उसे रोते देख, सपना की पीठ पर प्यार से एक धौल जमाई और उसे गोद में ले कर घुमाने लगी।
उसके घुमाने और गीत गुनगुनाते हुए सुलाने की प्रक्रिया से बच्चा सो गया।
उसे छाती से चिपकाई हुई नैना ने उसके गालों पर चुंबन की बरसात कर दी है।
ऐसा करके नैना को एक अजीब सा सुख मिल रहा है।
योंकि बच्चा सो गया था। लेकिन उसने बच्चे को गोद से नहीं उतारा।
वो कुछ पल सुख में खोई रही।
तब तक सपना ने डिनर लगा लिया। नैना भी बच्चे को गोद से उतार कर बाथरूम में जा हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो गई।
दोनों बातें करती हुई डिनर में मशगूल हो गई हैं।
" नैना, तुम्हें नाटकों में रुचि है। "
" हां "
"मेरा मतलब, तुम शोभित के कहने पर
नाटकों में प्ले करोगी"
"हां, क्यों कि यह अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है और पैसे भी अच्छे मिल जाते हैं।
मुझे इस समय पैसे की जरुरत है।
घर में पिता रिटायर होने वाले हैं तथा विनोद भाई की नौकरी में पर्याप्त पैसे नहीं मिल रहे हैं "
"अगर मैंने कल तुम्हें फोन नहीं किया होता तो तुम शायद आती नहीं"
" अच्छा आज तुम मेरे साथ मेरे बेडरूम में सो जाओगी ?"
देवेन्द्र को गये हुए अभी दो ही दिन ही हुए हैं। इस बीच मुझे सिर्फ दो- दो घंटे ही नींद आई है।
फिर बच्चे की तरफ देखती हुई,
"अगर ये तंग करें तो दूसरे कमरे में चली जाना "
नैना मुस्कुराई, फिर हां में सिर हिला दिया।
" तुम मुस्कुरा क्यों रही हो नैना ?
" किस्मत! पर कि कहीं मेरी लाइफ में दूसरे के बेडरूम में सोना ही तो नहीं लिखा है "
" आए ... हाए ... जी छोटा मत करो,
सपना खिलखिलाई, "
" जब तुम्हारा डबल बेड होगा ना तुम्हारे उनके की गैरहाजिरी में तुम्हारे पलंग पर सोने आ जाऊंगी "
कहती हुई सपना ने उसे प्यार से अपने पास खींच लिया।
उसने ऊपर की लाइट औफ करके साइड लैंप जला दिया। जिससे अंतरंग सा माहौल बन रहा है।
" नैना तुम्हारे जीवन में भी इस पति नाम के जीव का आगमन जरूरी होता जा रहा है "
सपना का स्वर हस्की हो चला है।
" जानती है, जब कभी देवेन्द्र बाहर जाता है।मुझे रात भर नींद नहीं आती है।
पता नहीं मैंने अब तक उसके बिना इतने बरस कैसे बिताए हैं जब कि ",
" वी डोंट मेक लव एवरी नाइट, बस बिस्तर पर उसकी मौजूदगी और उसकी सांसों का अहसास हो तो मुझे फ़ौरन नींद आ जाती है।
शायद इसी को भावनात्मक सुरक्षा या प्रेम कहते हैं "
नैना मुस्कुराई,
प्रेम की यह परिभाषा अभी तक उसकी डिक्शनरी में ऐड नहीं है। नई परिभाषा उसे लुभा गई।
उसके थोड़े करीब आती हुई सपना पूछ पड़ी,
" हिमांशु के साथ तेरा कैसा चल रहा है ?
तुम्हारी जैसी संवेदनशील लड़की के लिए यह विवाह वाला अनुभव तुम्हारी छवि पर अनोखा निखार लाएगा "
नैना तड़प कर रह गई,
" हिमांशु के साथ बहुत उतार- चढ़ाव वाला संबंध चल रहा है "
" तुम इस रिश्ते को कैसे निभाने की मतलब इसकी परिणति किस रूप में देख रही हो ? "
" अभी कुछ नहीं कह सकती हूं सपना, सब कुछ धुंधला और अनसुलझा सा दीख रहा है "
कुछ क्षण की चुप्पी के बाद सपना उठ कर कोहनी के बल लेट गई।
" उस दिन, मैं अपनी शादी वाले दिन हिमांशु से मिली थी। मुझे तो वह बहुत मूडी और कन्फ्यूजन में रहने वाला लगा "
नैना के मन में कुछ कचक सा गया। चमकती आंखें बुझ गई।
उसने गहरी सांस भरी थी।
आगे ...