चुप्पी- प्रेम
चुप्पी- प्रेम
"इस महीनो की चुप्पी का मतलब समझाओगे सिड, ये चुप्पी की बीमारी अचानक पैदा हुई थी या सब जानबूझ कर हो रहा था?"
"कोई वजह नहीं थी मीता बस किसी से भी बात करने का मन नहीं था इसलिए तुम्हे भी कोई कॉल कोई मैसेज नहीं किया।"
"जब दोस्ती शुरू की थी बहुत बड़े-बड़े वादे किये थे तुमने, उन वादों का क्या हुआ?"
"वादे तो बहुत थे मीता लेकिन जिससे वादे किये थे, वो लड़की तो भीड़ में गुम हो चुकी है।"
"किस भीड़ की बात कर रहे हो सिड, वही जो तुम्हे मेरी वाल पर दिखती है?"
"हाँ वही भीड़, वही तो दिखती है मुझे।"
"उस भीड़ से तुम्हे क्या तकलीफ है जब मैं सोशल साइट्स पर हूँ तो भीड़ तो जुटेगी ही वो सब भी तो फ्रेंड है, उनका भी तो हक है मेरी वाल पर आने का, मेरी खूबसूरती के बारे में दो शब्द कहने का.......क्यों यही बातें विचलित करती हैं न तुम्हे?"
"तुम्हारे फ्रेंड्स से, तुम्हारी वाल पर उनके कमेंट्स से, तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ से भला मुझे क्यों दिक्कत होने लगी? तुम और तुम्हारे फ्रेंड्स खुश रहो मुझे इससे क्या लेना-देना।"
"फिर नाराज क्यों हो, ये चुप्पी क्यों थी?"
"प्रेम हर समस्या की जड़ है, जब प्रेम था तो चुप्पी नहीं थी, अब प्रेम नहीं है तो चुप्पी है।"
"किस प्रेम की बात करते हो सिड, मिस्टर ये वर्चुअल दुनिया है यहाँ ऐसा ही प्रेम होता है, यहाँ कोई किसी की जागीर नहीं है, कोई किसी से बंधा नहीं है, जिसका जो मन हो वही करता है।"
"वही तो मैं भी कर रहा हूँ।"
"क्या कर रहे हो तुम?"
"अपनी चुप्पी से प्रेम।"

