चुनाव
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धोती-कुर्त्ता पहने हुए एक ग्रामीण-सा दिखने वाला व्यक्ति स्कूल कैंपस में आता है और चपरासी से पूछते हुए प्रिंसिपल कै चैंबर में प्रवेश करता है।
" मैं पी.एन.शर्मा हूँ। यहाँ से राज्यसभा सांसद। " - जब उन्होंने कहा, तो प्रिंसिपल साहब अचानक चौंककर कुर्सी से उठ खड़े हुए।" प्लीज सर, आइए। "
कुर्सी पर बैठते हुए, बिना किसी औपचारिकता के एमपी साहब ने अपनी बात शुरू की - " प्रिंसिपल साहब, एमपी फंड से आपके विद्यालय में अगर कोई काम करवाना हो, तो मुझे बताइए। मैं अपने क्षेत्र के विद्यालयों को हर तरह से सुविधा-संपन्न बनाना चाहता हूँ, ताकि बच्चों को बेहतर-से-बेहतर शिक्षा मिले। इसी सिलसिले में मैं आज आपके विद्यालय में आया हूँ। सारा काम सीधे डीएम के माध्यम से आपलोगों की देखरेख में होगा।बीच में कहीं कोई ठेकेदार नहीं होगा, न ही कोई बिचौलिया।जो भी कार्य करवाने हैं, उनका पूरा प्रस्ताव बनाकर मुझे दीजिए। "
प्रिंसिपल साहब दंग थे कि आज के इस जमाने में जहाँ नेता और मंत्री तक भ्रष्ट और घूसखोर हो गये हैं और बिना कमीशन खाए काम नहीं करते हैं, ऐसे नेता भी हैं जो ईमानदारी से काम करते हैं और खुद आकर कहते हैं कि हमसे काम लीजिए। उनका मन गर्व से भर उठा। जब एमपी साहब ने विद्यालय कैंपस घूमने की इच्छा जताई, तो प्रिंसिपल साहब उन्हें पूरा कैंपस घुमाने ले गये।तब तक पूरे विद्यालय को पता चल चुका था कि विद्यालय में एमपी महोदय का आगमन हुआ है।
विद्यालय का कैंपस बहुत बड़ा था। एक ओर विद्यालय भवन, सामने खेल का मैदान और चारों ओर पेड़-पौधों की हरियाली। एमपी साहब एक-एक चीज का बड़े ध्यान से मुआय
ना कर रहे थे। जो भी आवश्यकताएँ और कमियाँ थीं, वह प्रिंसिपल साहब उन्हें बता रहे थे। कुछ वे खुद भी नोट कर रहे थे। वापस चैंबर में आकर प्रिंसिपल ने तुरंत प्रस्ताव तैयार करवाया और एमपी साहब को सौंप दिया। सभी खुश थे कि विद्यालय की वर्षों से लंबित सभी समस्याओं का निदान और समाधान अब हो जाएगा।
और, अगले हफ्ते से निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। ट्रैक्टरों से बालू, गिट्टी, सीमेंट और छड़ कैंपस में गिराये जाने लगे। त्वरित रूप से दर्जनों मजदूर और मिस्री काम पर लग गये। देखते-ही-देखते छ: माह के अंदर एक पुस्तकालय भवन तैयार हो गया, चाहरदीवारी ऊँची हो गयी, पूरे विद्यालय का रंग-रोगन हो गया और नयी बोरिंग करवाकर वाटर सप्लाई की व्यवस्था भी दुरूस्त कर दी गयी। छात्र और शिक्षक बहुत खुश थे। कार्य जब संपन्न हुआ, तो भव्य आयोजन कर एमपी साहब द्वारा ही इनका उद्घाटन कराया गया।अपने क्षेत्र में इसी तरह कराए गये एमपी साहब के कामों की खूब चर्चा होने लगी। सभी उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करते और कहते कि देश को ऐसे ही नेताओं की जरूरत है।
जब लोकसभा चुनावों की घोषणा हुई, तो इस बार शर्मा जी ने भी चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया। क्षेत्र में लगातार काम करने वाले समर्पित, ईमानदार और कर्त्तव्यनिष्ठ नेता की उनकी छवि थी ही।उन्हें पूरा विश्वास था कि वे आसानी से चुनाव जीत जाएँगे।
जनता ने भी इतिहास रच दिया। चुनाव परिणामों की घोषणा हुई, तो आश्चर्य की सीमा नहीं रही....जनता ने आपराधिक इतिहास वाले दबंग ठेकेदार भटनागर को शर्मा जी से ज्यादा वोट दिया था। और, शर्मा जी की जमानत तक जब्त हो गयी थी....।