Vijayanand Singh

Inspirational

3  

Vijayanand Singh

Inspirational

फ़र्ज़

फ़र्ज़

2 mins
215


फ़र्ज़

घर से आपका फोन आया था सर ! आप घर नहीं गये ? " - कैप्टन अभिमन्यु के साथ चलते हुए लांसनायक हैदर खुद को रोक नहीं पाया पूछने से।" नहीं।अभी यहाँ रहना ज्यादा जरूरी है।" - कैप्टन ने हैदर की ओर देखते हुए कहा।" येस सर। मगर, घर पर लोग आपका इंतजार कर रहे होंगे।" - हैदर ने चिंता जताई।" हूँ...। " - भूकंप में ज़मींदोज़ इमारतों की ओर देखते हुए कैप्टन ने कहा - " हैदर, मैं नहीं भी जाऊँगा, तब भी मेरी माँ को मिट्टी नसीब हो जाएगी। घर में और लोग भी हैं। लेकिन इन इमारतों के मलबे में दबी न जाने कितनी ज़िंंदगियाँ अपनी साँसों के लिए हमारा इंतजार कर रही हैं। उन तक पहुँचना माँ से मिलने से ज्यादा जरूरी है अभी। सो...कम ऑन यंग मैन। लेट अस मूव।" - कहते हुए कैप्टन अभिमन्यु तेजी से सामने की ध्वस्त इमारत की ओर बढ़ गये।

              हैदर कुछ पल ठिठककर उन्हें जाते हुए देखता रहा। अब तक वह कैप्टन अभिमन्यु को बहुत ही कठोर और क्रूर अफसर समझता था। मगर आज मन उनके प्रति श्रद्धा और आदर से भर गया। देश और इंसानियत की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने का वास्तविक अर्थ उसे समझ में आ गया था। उसका रोम-रोम स्पंदित हो गया, और उसने दूर से ही कैप्टन को सैल्यूट किया - " जय हिंद। " और उनके पीछे दौड़ पड़ा।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational