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Ragini Ajay Pathak

Abstract Drama

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Ragini Ajay Pathak

Abstract Drama

चरित्रहीन

चरित्रहीन

5 mins
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क्या हुआ जी ? इतने घबराये हुए क्यों हैं ? रश्मि की माँ ने पूछा।

दरवाजा बंद करो !पहले फिर बताता हूँ।

कहते हुए। अशोक जी ने दरवाजा बंद कर लिया।

अरे ! बाहर मेहमान है।बेटी को हल्दी लग रही हैं।मेहमान क्या कहेंगे ?

कुछ तो बोलिये ! भगवान के लिए मेरा दिल बैठा जा रहा है।

वो ! वो ! कैसे बोलू समझ नही आ रहा ?

पर हुआ क्या ? हे भगवान। आप की घबराहट देख के मुझे भी बहुत बेचैनी हो रही है।

रमा की माँ ! "लड़के वालों का फ़ोन आया था घर बुलाया है। बोला जरूरी बात है। मुझे तो चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही दिख रहा है। कही उन्हें रमा का सच ना पता चल गया हो। फिर हम क्या करेंगे। "

हे भगवान ! तीसरी बार शादी कट गई तो फिर हमारी बेटी घर पे ही रह जायेगी। 32 साल की हो गयी है रमा।

समाज में किसी को मुँह दिखाने लायक नही रहेंगे।

और रमा तो पहले से ही शादी के खिलाफ थी। हे प्रभु अब बस बहुत हुआ कब तक उस गलती की सजा हमलोगों को देगा।

अब तो ये अंधेरा हमारे जीवन से हटा दें।

तुम चिंता ना करो ! रमा की माँ !"मैं अपनी बेटी के जीवन से उस अंधेरे को हटा के ही रहूंगा। बदले में चाहे जो कीमत चुकानी पड़े। "

मैं जाता हूँ। तुम यहाँ सब संभाल लेना बस किसी को भी ये बात पता ना चले।

जी ठीक है। पर बात बिगड़े ना बस। रमा की माँ ने कहा।

हम्म।

अशोक जी जैसे ही लड़के वालों के घर पहुंचे। उनके अंदाज बदले हुए थे। मानव के पिता ने कहा ! अशोक जी बाहर आइये बात करते हैं।

जी जी ! जरूर आइये। कहिये क्या कहना था।

जी हमे रमा का सच पता चल गया है और इसी की वजह से उसकी पहले भी दो शादियां कट गई थीं। क्यों सही कहा ना मैने ?

सर झुकाए हुए अशोक जी ने स्वीकृति में सर झुका लिया। हाथ जोड़ के खड़े हो गए। सिर्फ इतना बोल पाए रमा निर्दोष हैं। और रो पड़े। और बोले अब हमारी इज़्ज़त आप के हाथ में है। सिंह साहब। रमा को हल्दी लग चुकी है कल बारात आने का मेहमान और मानव का रमा इंतजार कर रही हैं।

हम्म ! सही कहा ! आप ने पर हम भी मजबूर है समाज ऐसी लड़कियों को कहा स्वीकार करता है। हमारी एक शर्त है जो आप पूरी कर दे तो।

जी कहिये ना। मैं हर शर्त मानने को तैयार हूं।

ठीक है फिर। आप अपना बंगला हमारे बेटे के नाम कर दीजिए। और सड़क वाली जमीन भी। वैसे भी आप का बेटा तो कौन सा इस छोटे शहर में रहने वाला हैं ? आगे चल के वो किसी और को बेच दे इससे अच्छा की आप हमारे नाम ही कर दीजिए।

पर ! अच्छा ठीक है। लेकिन बारात आने पर ही मैं ये पेपर साइन करूँगा।

ठीक है पर ये बात हमारे और आप के बीच ही रहनी चाहिए।

अशोक जी घर आने लगे तो पलट के सिर्फ इतना कहा कि मानव को ये बात कभी भी ना पता चलने पाए।

अशोक जी आप निश्चिंत रहिये अब।

इधर रमा की माँ अशोक जी का बेशब्री से इंतजार कर रही थी। पलकें घर की चौखट पे टिक गयी थी

अशोक जी को आता देख जैसे ही उनके पास जाने का सोचा। तो उन्होंने आंखों से सब ठीक होने का इशारा किया।

रमा की माँ के क़दम वही रुक गए पर अनहोनी की आशंका उनको हो चुकी थी।

रमा ने अपने माँ पापा के चेहरे की बेचैनी को भांपते हुए माँ से पूछा !क्या हुआ ?माँ

कुछ तो नही। कुछ भी नही। ऐसे क्यू पूछ रही है। बेटा। कोई बात नही। बस तू कल चली जायेगी ना बस यही सोच रही थी कि तब कैसे रहूँगी।

अगले दिन शाम को बारात आनी थी अशोक जी ने सारी बात अपनी पत्नी और बेटे को बुला के बतायी की अब ये घर रमा के ससुराल वालों के नाम हो जाएगा।

तो रमा की माँ ने कहा ! लेकिन हम कहाँ जाएंगे जी। और मुन्ना भी अभी पढ़ ही रहा है।

कोई बात नही माँ दीदी की खुशी से बढ़ के ये घर नही हमारे लिए। और एक साल बाद तो मेरा MBA पूरा हो जाएगा तब हम नया घर ले लेंगे तब तक कही किराए का घर देख लेंगे।

इतना सुनते ही रमा की माँ रोने लगी किस बात की सजा मिल रही है हमे। काश ओ अंधेरा आता ही ना हमारे जीवन में।

दरवाजे के बाहर रमा खड़ी सारी बाते सुन चुकी थी अब सच्चाई उसके सामने थी। बारात दरवाजे पर थी

तभी मानव के पिता ने अशोक जी को बुलाया।

अशोक जी जैसे ही उनके पास गए उन्होंने तुरंत पूछा काम हो गया तो आगे की बात करे।

तभी पीछे से रमा की आवाज़ आयी। हाँ हो गया अंकल जी पुलिस खड़ी है। आप के स्वागत में।

मानव के पिता का गुस्सा सातवें आसमान पे था उन्होंने बोला !लड़की तुम्हारी इतनी हिम्मत की हमारी बेइज्जती करो। चरित्रहीन कही की इसीलिए दो बार तेरी शादी कटी। तुझसे कौन शादी करेगा जो पहले ही अपनी इज्जत गवा चुकी हो। वो तो तेरे बाप पे तरश खा के हम तैयार हो गए थे शादी के लिए। अगर तेरा सच यहाँ लोगो को पता हो जाये तो कोई तुझसे शादी नही करेगा।जीवन भर कुँवारी ही रह जाएगी समझी।

फिर तो बहुत अच्छी बात है। अगर कोई 12 साल की उम्र में मेरे साथ हुए ज़बरदस्ती को मेरे चरित्र से जोड़ के देखता हैं अगर किसी महिला का बलात्कार होने से वो चरित्रहीन और अशुद्ध हो जाती है तो नही करनी मुझे शादी। ऐसे इंसान से जिसकी सोच इतनी घटिया हो।

और ये सच्चाई मैने ख़ुद बतायी थी मानव को ताकि वो किसी अंधकार में ना रहे। रिश्ते की शुरुआत सच से हो।

पर मुझे नही पता था कि आप बाप बेटे सच जान के उसका ऐसा फायदा उठाएंगे।

और हाँ अब पुलिस को ये भी बता दीजिएगा की मानव की पहली पत्नी दो दिन में ही क्यों दुनिया छोड़ के चली गई थी।

अशोक जी रमा की तरफ देखने लगे।तो रमा ने कहा ""हाँ ! पापा मैने ही मानव को अपना सच बताया था। और इनलोगो ने मानव की पहली शादी की बात हमसे छिपाई थी""

पापा ये घर आप का था और आप का ही रहेगा।

माँ रो वो नही। तब मैं छोटी थी मुझे चारो तरफ अंधेरा और हर कोई गलत ही दिख रहा था जिसने जैसे बोला मैंने वही किया और गलत के लिए आवाज़ नही उठा पायी पर अब नही। अब मैं गलत बर्दाश्त नहीं करूंगी।

क्यों सिर्फ और सिर्फ औरत के ही चरित्र की परीक्षा होती हैं ? वो मेरे जीवन का अंधेरा था जो अब झट चुका है।अब मैं अपने डर पे जीत चुकी हूं.माँ। क्या बिना शादी के एक औरत समाज में सम्मान नही पा सकती। क्या औरत सिर्फ शादी कर के ही पूरी हो सकती है। नही ना...मैं इस विवाह से इनकार करती हूँ।


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