चन्दा
चन्दा
आज रात तारों भरी है और चांद भी पूरे शबाब पर है, काली रात धीरे-धीरे गहराती जाती है।
एक चन्दा नन्ही बच्ची खिल -खिलाती चाँद से बहुत सी बातें करती,अपने घर की दहलीज़ से पार गुम सी अपनी ही धुन में मग्न, चाँद से बातें करती,कहींं दूर निकल आती है।
उस मासूम को नहीं मालूम है कि इस अंधियारी रात में कुछ भेड़िये भी घूमते हैं,वो चन्दा मस्त गगन के तले जहाँ तारों से सजा आसमान है, और उस मासूम को मां की लोरियों चंदामामा दूर की लोरीधुन खींचें ले जाती है चंदामामा उसका सबसे अच्छा दोस्त है।
वो अपनी ही धुन में घर से बहुत दूर निकल आती है ,उस मनहूस रात में भेड़िये उस मासूम को नोचते हैं, तो चंदामामा भी गुमसुम सा बदली में छुपकर शर्मिंदा हो जाता है, मगर उन भेड़ियों को उस नन्ही सी कली को तार-तार करते शर्म नहीं आई......।