चमत्कार
चमत्कार
मानो या न मानो
चमत्कार तो होते ही हैं।
सुबह उठकर आइने में देखा तो
लगा गला खाली है।
चिंता हो गई कि चेन कहाँ चली
गई चारों तरफ खोज शुरू हो गई।
कहाँ कहाँ नहीं खोजा गया। मन
व्याकुल हो रहा था कि इतना मंहगी
चेन आखिर कहाँ चल गई।
खोजबीन चलती रही पर कुछ
पता नहीं चला। पूछताछ भी की
गई पर कोई परिणाम नहीं निकला।
पर मन में यह विश्वास था कि हो न
हो चैन मिलेगी जरूर।
खोज चलती रही,
दो दिन बीत गए।
मन आशा निराशा के बीच
झूलता रहा पर विश्वास बना रहा।
अचानक नजर पलंग की
चादर में लगी झालर पर नजर गई।
उसी में चेन फँसी हुई थी।
अभी तक उस पर किसी की
नजर नहीं पड़ी थी।
चैन मिलने से खुशी तो हुई ही
विश्वास की भावना भी गहरी हुई।
