सिक्के
सिक्के
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सोहन गाँव से शहर कमाने के लिए
आया था। कमाने भी लगा पर शहर की चकाचौंध में गुम होकर अंधाधुंध
खर्च करने लगा। न तो कुछ बचत
ही कर सका न तो माता-पिता को ही
भेज सका।
सच ही कहा है कि,
सिक्कों को अगर संभालना हो तो
जेब फटी नहीं होनी चाहिए।