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Anandbala Sharma

Inspirational

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Anandbala Sharma

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खुद्दार

खुद्दार

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बाजार से आकर जैसे ही रामबाबू ने झोले से सब्जी निकाली जानकी देवी भड़क गईं-'आज फिर ले आए ये सड़ेगले और पिलपिले टमाटर।आखिर क्या करूँ मैं इनका। न बनाते बनता है न फैकते ही बनता है। अब तो नौकरानी भी नही लेती।रोज रोज क्यों ले आते हैँं आप?अब मुफ्त में तो मिलते नहींं होंगे।'जानकी देवी कुछ रुक कर बोलीं-'मैंं तो मुफ्त में भी न लूँ।'

'आखिर मै करता भी तो क्या? बााजार में एक गरीब बुजुर्ग सब्जीवाला सब्जी लेकर बैठता है वह हर आते जाते ग्राहक को बहुत आशा भरी नजरों से देखता रहता है। उसकी सब्जी कम बिकती हैं क्योंकि वह ताजी नहीं होती है।'


 जब मैं उससे कुछ खरीदता हूँ तो उसकी आँखों की चमक देखते हीबनती है।बस उसकी मदद करने के लिए कुछ

खरीद लेता हूँ वैसे तो कोई मदद लेगा नहीं बहुत खुद्दार है।एक काम करो जानकी, जो टमाटर अच्छे हैं रख लो बाकी गमले में डाल दिया करो पौधे उग जाया

करेंगे राम बाबू ने गहरे आत्मसंतोष के सााथ जानकी को कहा।


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