STORYMIRROR

Bhawna Kukreti

Abstract

4.8  

Bhawna Kukreti

Abstract

चीज़ पास्ता

चीज़ पास्ता

3 mins
370


"ये कहाँ का आर्डर ले लिया मैंने", कूड़े के ढेर से बज बजाते रास्ते के बीच से अपनी बाइक निकालते हुए कपिल ने मन ही मन कहा।

कपिल की आज पहली होम डिलीवरी थी। एक छोटे से कस्बे से आगे की पढ़ाई के लिए नया-नया इस शहर में आया था। अपनी बाइक की किश्त और बाक़ी जरुरतों के लिए पार्ट टाइम नौकरी करके 100-200 रुपये प्रतिदिन कमा लेने का विचार उसे अपने होस्टल के सीनियर्स से मिला था।

उसने देखा उस बदबूदार रास्ते के दोनो ओर दूर तक झुग्गी बस्ती थी और उसके और आगे शानदार अपार्टमेंट्स दिख रहे थे। कपिल ने अपनी बाइक कूड़े के ढेर से कुछ दूरी पर रोक दी।उस से अब और आगे नही जाया जाएगा,आगे रास्ते पर कीचड़ और गंदा पानी भरा हुआ दिख रहा था। वो नाक पर रुमाल दबाए सोच रहा था कि यहां तो जहां देखो वहां गंदगी।

उसने दिए गए नंबर पर कॉल लगाया"हेलो,आपका चीज पास्ता और कोक का ..." वो बात पूरी कर पाता कि उधर से किसी बच्चे की उत्साह भरी आवाज सुनाई दी " हेलो, हेलो !!आप कहां पहुंचे हैं" उसने आर्डर की डिटेल कन्फर्म कर अपनी लोकेशन बताई और कहा "आप कहां रहते हो जी कितनी गंदगी है यहां पर !"बच्चे ने थोड़ा गंभीर आवाज में बोला "आप वहीं रुके मैं आता हूं।"

उसने देखा स्कूटी पर एक सुंदर सा लड़का कैप और धूप का चश्मा लगाए, तेजी से उसकी ओर आ रहा है। वो डिलीवरी देने के लिए तैयार हो गया।उसने चीज पास्ता और कोक का आर्डर निकाला।लेकिन वो स्क

ूटी वाला बच्चा उसके बगल से तेजी से निकल गया।

"हेलो, आप शायद आगे निकल गए।" उसने कॉल करके कहा।"नहीं भैया ,में बस चार कदम की दूरी पर हूँ आपसे" कपिल ने सामने देखा पर वहां से कोई स्कूटी पर लौटते नही दिखा ,उसने फिर अपने आस पास देखा।खाकी निक्कर और मटमैली सी बनियान में घिसी धूसर चप्पलों में बत्तीसी दिखाता हुआ एक भूरा सा साढ़े चार फुट का लड़का उसकी ओर भागे चला आ रहा है।

"जी भैया , ... मेरा पास्ता?!" ,"पास्ता तुमने आर्डर किया ?",वो लड़का अब उसे देख रहा था, "तुम्हारा नाम अजय प्रताप है? फोन किस से किया?" कपिल ने सवाल किया। उस लड़के ने उधड़ी जेब से एक सस्ता सा टचस्क्रीन वाला फोन दिखाया,"मेरे पापा जी का नाम है और फोन मेरी माँ को वैष्णव अपार्टमेंट की आंटी जी ने काम के लिए दिया है।"

कपिल ने श्योर होने के लिए फिर उस नंबर पर कॉल किया ,लड़के के फोन पर घंटी गयी। लड़के ने फोन काटा और अपनी निकर की दूसरी जेब से कुछ गन्दे तुड़े- मुड़े नोट और बहुत सारे चिल्लर उसके हाथों में दे दिए।" इनको गिन लीजिये भैया।"कपिल ने कुछ सोचते हुए रसीद उसको पकड़ाई और आर्डर दे दिया।

कपिल को सोच में देख वो लड़का हंसते हुए बोला "भैया, हम लोगों को आपका रेस्टॉरेंट वाला आस पास भी फटकने नही देता लेकिन हमारा भी तो मन होता है न चीज़ पास्ता खाने का !" कह कर वो अपने पास्ता और कोक पर नजर जमाये धीरे धीरे उन बजबजाते रास्तों पर बढ़ गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract