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Mritunjay Patel

Tragedy Inspirational Others

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Mritunjay Patel

Tragedy Inspirational Others

छल

छल

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गाँव के नुक्कड़ पर एक भव्य मंदिर का उद्घाटन हो रहा था। लोगों में काफ़ी चहल- पहल थी। ऐसा नहीं था की यहाँ पहला मंदिर की स्थापना की जा रही हो। यहाँ पहले भी दर्जनों मंदिर की स्थापना हो चूका है। मंदिर को बनने को लेकर भला किसको एतराज़ हो सकता है ?

मनुष्य को धर्म, कर्म –कांड से शांति मिलती है। इस काल्पनिक शांति की वजह से मनुष्य सब कुछ ताक पर रख देना चाहता है। धर्म के नाम लाउड स्पीकर की चीखती –चिल्लाती आवाज़ें कान को अभ्यस्त बना दिया है और उसके आड़ में कपटी खूब कमाई कर रहा है।

आज जिस मंदिर का उद्घाटन हो रहा था, जो की अपसंस्कृति के आड़ में किया जा रहा था। जिस ज़मीन पर मंदिर बना था ,सरकारी सड़क परिवहन के ज़मीन पर था। उस मंदिर का मालिक "छैला बाबा" है। छैला बाबा उस स्थल पर पहले से दुकान चला रहा है ,वह चोरी -चुपके गांजा ,भांग ,शराब इत्यादि का कारोबार चलता है। छैला बाबा, इन सारे कुकर्म पर पर्दा डालने और ज़मीन पर सदा के लिए कब्ज़ा करने के लिए यह षड्यंत्र कर मंदिर का निर्माण कर लेता है।  मंदिर के भव्य उद्घाटन के साथ-साथ , चार दिन तक लगातार नर्तकी नाच का रंगा –रंग आयोजन रखी गई। पूरे गाँव का मन गद –गद हो रहा था।

गाँव वाले धर्म की दुहाई दे रहे थे। ...कुछ भी हो छैला गाँव में धर्म –कर्म का काम कर रहें हैं।

छैला बाबा का दाग़ मानो इन कर्म –कांड से धूल सा गया हो।

चार दिनों तक टोला - मोहल्ला के लोग रंगा –रंग आयोजन का मज़े लूटे। नुक्कड़, मेला में तबदील हो चूका था। उन चार दिनों में छैला बाबा ने लाखों रुपये का रास्ता बना लिया।

गाँव में अधिकतर पिछड़े हुए समुदाय से लोग आते है। गाँव का विकास पहले से ही पिछड़ा था, शिक्षा का स्तर अच्छी नहीं थी, अभी के बच्चे पढ़ लिख रहे हैं। लेकिन इस आर्थिक हालात में कहाँ तक शिक्षा ले पायेगा ये किसी से छुपा नहीं है।

कुछ लोग सरकारी नौकरी से जुड़ गए हैं। लेकिन सकारात्मक शिक्षा से दूर –दूर तक कोई वास्ता नहीं है। लोग  शाम को शराब पी कर टूल जातें हैं। शराब ,पीने के बाद किसी पूँजीपति से कम ना आंकते, पूरे गाँव की औकात की धज्जियां उखेड़ देता ,घर जाने के बाद रोज़ नए ड्रामा शुरू हो जाता, घर में सब्जी ,दूध, बच्चों की ट्यूशन फीस की उलाहना रोज़ मिलता। लेकिन शराब की लत कहाँ छूटने वाला।

गाँव में बेरोज़गारी चरम सीमा पर है, लोग रोज़ी –रोटी के लिए दूसरे प्रदेशों से कमा के आने के बाद भी सूद पर लिए पैसों से कमाई रफा –दफ़ा हो जाता।

आये दिन लोग , छैला बाबा के गिरफ़्त हो चला था, लोग गांजा –भांग की आदि हो चूके थे .छैला सूद पर भी पैसे देने लगा था। नए ग्राहक को फ्री में नशे की डोज़ बाबा से मिलने लगा था ,जिसमें युवा भी उस चक्र में फंस चुका था।

छैला बाबा देखते –देखते मोटी पूँजी  कमा लेता है। इस बार छैला बाबा मुखिया इलेक्शन में खड़ा हो जाता है और जीत भी जाता है। लोग बड़े प्यार से उसे स्वीकार भी लेता है ...

छैला बाबा जैसे व्यक्तियों का चाँदी –चाँदी हो रहा है, आम लोग भक्ति और आशावादी के चक्र में उलझते जा रहे हैं।

समाप्त.



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