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Vimla Jain

Abstract Tragedy Classics

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Vimla Jain

Abstract Tragedy Classics

छल

छल

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यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसके साथ प्यार का बहुत बड़ा नाटक किया गया। लोग जिंदगी में इतने सारे उसूलों के ऊपर साथ चलने की बातें करते हैं ।जाहेर में प्रोग्राम में शपथ लेते हैं कि हम दहेज नहीं लेंगे हम दिखावा नहीं करेंगे हम सीधे-साधे भी तरीके से शादी करेंगे मगर जब उनका मौका आता है तब वही लोग अपनी बातों से फिर जाते हैं और सामने वाले को तंग करने में और दहेज और खर्चा मांगने में नहीं चूकते हैं ऐसा ही उस लड़की के साथ हुआ 2 साल तक बहुत प्यार में पड़ने के बाद घरवालों की रजामंदी से उसको

5 साल तक उसको सगाई के बंधन में बांध के रखा गया ।

पहले बहुतबड़ी-बड़ीआदर्शवादी बातें करी गई कि हमको दहेज नहीं चाहिए। हमारे घर में सब कुछ है। हम आपकी बेटी को बहुत अच्छा रखेंगे। आप हमारे ऊपर विश्वास करो ।यह सब करके सामने वाले परिवार को अपने झांसे में लेकर के किस तरह उसके साथ छल किया गया। ऐसा बहुत लोगों के साथ होता है , बहुत लोग करते हैं और बेचारी लड़कियां और उनके मां-बाप इस दहेज प्रथा के बली चढ जाते हैं।

प्रतिभा को तो फिर भी अच्छा परिवार अच्छा घर मिल गया। मगर क्या वह अपने अतीत को भूल पाएगी ।

क्या वह इस छल के घाव को लेकर के अच्छी तरह जी पाएगी। ऐसे प्रश्न बहुत मन में आते हैं ,तो मन बहुत दुखी होता है। और ऐसा लगता है कि ऐसा कब तक चलेगा।

समाज में कब बदलाव आएगा। यह दहेज प्रथा कब खत्म होगी।

हर परिवार को दुख कर दुखी करने वाली प्रथा का अंत होना चाहिए।

प्रतिभा और दिनेश दोनों यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे। प्रतिभा शायद MAकर रही थी ,दिनेश किसी चीज का डिप्लोमा ले रहे थे यूनिवर्सिटी से दोनों ने एक दूसरे को देख कर पसंद कर लिया था दोनों को एक दूसरे का साथ पसंद आने लगा था पहले हमेशा साथ-साथ घूमते फिर दोस्ती प्यार में बदल गई और

दोनों हमेशा साथ रहते घूमना फिरना, पढ़ना ,लाइब्रेरी जाना ,मस्ती करना सब कुछ उनका साथ चलता था। 2 साल तक भी ऐसे ही यूनिवर्सिटी में घूमते हुए दिखे

उनको मैंने बहुत बार साथ में घूमते फिरते देखा ।और दोनों एक ही जाति के होने के कारण उनके पेरेंट्स में उनकी शादी भी तय कर दी सगाई कर दी। बहुत समय 5 साल बीत गए। प्रतिभा के माता-पिता की तरफ से बराबर शादी के लिए उनसे बातचीत चल रही थी वह बोलते हैं अभी करेंगेअभी ,कुछ ना कुछ बहाना बनाकर के लड़के वाले उसको टाल रहे थे ।दोनों साथ में कुछ कुछ पढ़ाई कर ही रहे थे इसलिए मां-बाप ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया ।फिर उसकी पढ़ाई पूरी हो गई तो प्रतिभा के मां-बाप ने शादी के लिए बहुत जोर दिया ।लड़के के पिता जी ने जो कि एक पॉलीटिशियन थे पहले जहां बोल रहे थे की हमको कोई दहेज नहीं चाहिए। कुछ नहीं चाहिए ।

बस लड़की के साथ में शादी चाहिए पहने कपड़ों में आएगी तो भी चलेगा।

वही लोग उनसे बोलते हैं अगर आपको बेटी की शादी हमारी बेटे से करनी है तो अभी इलेक्शन में मैं खड़ा हो रहा हूं तो मेरे इलेक्शन का जितना भी खर्चा हो वह आप हमको दे दो, तभी यह शादी होगी ।

लड़की वालों की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा सुदृढ़ नहीं थी कि वे यह सब खर्चा उठा सकते थे ।

दूसरी बात वह सिद्धांतों के भी पक्के थे।

उस जमाने में तो बहुत सारे सिद्धांत लागू कर रखे थे ।जैसे शादी में अनाज नहीं बनेगा 10 व्यंजन बनेंगे रोटी साग सबको को मिलाकर खाली एक मिठाई बनेगी।

और दहेज विरोधी कानून भी लगा हुआ था।

ऐसे में जब उन्होंने यह मांग उठाई ,तो लड़की वालों ने मना कर दिया कि हम यह सब नहीं कर सकते है। प्रतिभा ने दिनेश से बात की उसको बहुत समझाने की कोशिश करी मगर वह बोलता है, जो मेरे पिताजी कह रहे हैं वह सही है।

इतने प्रतिष्ठित लोग थे। इतने पढ़े लिखे ऊंची ,ऊंची पोस्ट पर होने वाले लोग भी इस तरह से बदल रहे थे, देख कर के बड़ा दुख हो रहा था।

मगर ऐसे समय में समाज के लोग भी कुछ नहीं करते हैं। खाली दूर से देख कर तमाशा ही देखते हैं, और ऐसा ही हुआ यह शादी टूट गई ।

और उनका 7 साल पुराना प्यार हार गया

5 साल सगाई के और 2 साल पहले से दोस्ती और प्यार और जिंदगी भर का दुख प्रतिभा को दे गया ।

जब मालूम चला कि ऐसा हुआ है ।तो उनके वहां पर भी गई थी। तब मेरे 

 उन्होंने बताया की प्रतिभा जी के साथ में ऐसा घटित हुआ है, जान करके बहुत ही दुख हुआ ।

फिर तो उनकी शादी बहुत ही अच्छी फैमिली में हो गई थी। और सब कुछ अच्छा चल रहा था। मगर कहते हैं ना, पहला प्यार थोड़ी भूल सकते हैं, वह दुख देकर ही जाता है। सफलता मिले तो ठीक, नहीं तो जिंदगी भर की दुखद यादें।


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