कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Abstract Drama Inspirational

4.2  

कलमकार सत्येन्द्र सिंह

Abstract Drama Inspirational

छितर बितर

छितर बितर

1 min
133


वो थका था, बहुत ज्यादा थका था किन्तु हारा न था।

उसने घर आकर महसूस किया कि उसके सारे अंग बिखर गए हैं।

उसे नींद आ गई थी।

ऑंखें खुली तो देखा कि उसके सारे अंग वापस आ चुके थे

माँ की गोद उसे हारने से हर बार बचा लेती थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract