Aman Barnwal

Abstract Inspirational

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Aman Barnwal

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चारदीवारी और मुख्यद्वार

चारदीवारी और मुख्यद्वार

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आज मेरे बहुत बड़े घर का कायाकल्प अपने अंतिम चरण में है। 5 कमरे, एक हॉल, एक रसोई, एक बरामदा, 3 बालनी एवं प्रसाधन सहित ये घर किसी महल से कम नहीं है। हर दीवार नए रंग और नए रचना से चमक रहा है। 30 साल पहले जब पिताजी,  किराए के मकान से इस घर में लाए थे तब सिर्फ एक कमरा ही था। बस मुख्य द्वार पर बड़ी सी मजबूत लोहे का दरवाजा लगा दिया और छह फुट ऊंची चारदीवारी बना दी थी। अरे इतने पैसे में तो 2 कमरे और बन जाते। पर खैर पिताजी को जो करना था किया, अब जब मैं कमाने लगा हूं तो इसे तो किसी होटल की तरह सजा दूंगा। ताकि जब लोग आए तो उनकी आंखों में मेरी शान थोड़ी और बढ़ जाए। जा कर देखता हूं कि कहीं कुछ बाकी तो नहीं रह गया। 

  केशव अपने घर को लेकर बहुत उत्साहित था। वो प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था और अपने परिवार के साथ दिल्ली से चालीस कि.मी दूर एक कस्बे में अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में माता पिता पत्नी और एक छह साल का बेटा सहित पांच लोग थे।

  केशव ने सच में अपना घर बहुत खूबसूरत सजाया था। पूरे घर को निहारते निहारते जब केशव की नजर मुख्य द्वार पर पड़ी तो उसका मन छोटा हो गया। और वो बोल पड़ा - अरे यार ये पुरानी लोहे का दरवाजा ना बिल्कुल अच्छा नहीं दिखता है अब तो इसका निचला हिस्सा भी जंग लग कर सड़ गया है। क्यों न इसको बदल दूं? 

ये सोच कर वो घर में काम कर रहे ठेकेदार के पास जाता है और उससे पूछता है कि आखिर इस दरवाजे को बदलने में कितना खर्च आएगा। ठेकेदार काफी अनुभवी था। उसने कहा कि वो ये तब बता पाएगा जब अच्छे से निरीक्षण कर लेगा। 

फिर दोनों पहुंच गए दरवाजे के पास। दस मिनट के गहन निरीक्षण के बाद ठेकेदार कहता है कि केशव जी ये दरवाजा ना बहुत मजबूत है और दीवार के साथ बहुत मजबूती से बंधा हुआ है अगर दरवाजा निकालिएगा तो दीवार भी टूट जायेगी। फिर आपको उसपर भी खर्च करना पड़ेगा। केशव बड़े झुंझलाहट के साथ कहता है कि आखिर क्या जरूरत थी पिताजी को एक कमरे के घर के लिए इतनी मजबूत दीवारे और इतना मजबूत दरवाजा बनाने की। ठेकेदार कहता है कि आप एक काम कीजिए ना किसी वेल्डर को बुलवा कर इसका निचला हिस्सा मरम्मत कर लीजिए। तो केशव कहता है कि उससे क्या होगा इसमें तो पूरा जंग लगा हुआ है पर इन मोटा और मजबूत है कि टूटा नहीं। ठेकेदार कहता है कि केशव बाबू इसमें भी आपकी ही गलती है। आप ने अंदर मकान में तो कमरे बढ़ा दिए, फर्नीचर, परदे और पेंट बदल दिया पर कभी इस दरवाजे को न पेंट किया और न ही इसके ऊपर कोई छत बनाई वर्ना ये आज भी आपके इस महल जैसे घर के लायक होती। 

अभी भी वक्त है इनको हटाइए मत। बस इसकी मरम्मत कर दीजिए और चारदीवारी के भी दरारों की मरम्मत कर अपने घर से मिलते जुलते रंग से पुताई कर दीजिए। फिर देखिए कैसे ये आपके घर की सुरक्षा भी करते है और आपके घर का मान भी बढ़ाते है।

केशव ठेकेदार की बात सुनकर बिल्कुल चुप हो गया। ठेकेदार के फिर से पूछने पर कि आगे क्या करना है केशव ने कहा कि वो कल बताएगा और अपने कमरे में चला गया। 

अगले दिन केशव ने ठेकेदार के कहे अनुसार पूरे चारदीवारी और मुख्य द्वार की मरम्मत का काम शुरू कर दिया। 

सात दिनों के काम के बाद पूरा रंग रोगन का कार्य समाप्त हो गया। और इसी खुशी में केशव ने बीस दिनों के बाद एक पार्टी रखी और अपने सारे दोस्तो को सपरिवार बुलाया। 

परंतु पता नहीं क्यों उसने बीच के इन बीस दिनों की छुट्टी ले ली और अपने माता पिता को ले कर रोज कहीं जाने लगा। आज पड़ोस वाले तरह तरह की बातें बनाने लगे। केशव और उसकी पत्नी की मां बाप से ठीक से बनती नहीं थी। हालांकि कभी लड़ाई झगड़ा जैसा नही होता था पर हमेशा बहस की आवाज बाहर तक आती थी। केशव काफी पढ़ा लिखा था फिर भी बूढ़े माता पिता के तौर तरीके से कभी कभार गुस्सा हो जाता था। कुछ लोग तो कह रहे थे कि घर केशव की मां के नाम पर है इसलिए केशव उनको अपने साथ रखने के लिए मजबूर है। कुछ का कहना था कि शायद किसी वृद्धाश्रम में रखवाने ले जा रहे है।

 ये सारी बातें जब केशव पर के कानों में पड़ती थी तो उसे बहुत दुख होता परंतु वो वही कर रहा था जो उसे काफी पहले करना था। 

आज पार्टी वाला दिन है घर को ताजे फूलो और बत्तियों से सजा दिया गया है। पड़ोसियों को न्योता भेज दिया गया है। शाम होते ही घर के पांचों सदस्य बेहद ही खूबसूरत पोशाक में घर के मुख्य द्वार पे मेहमानों के स्वागत में खड़े थे। हर किसी के जुबान पर बस एक ही सवाल था कि आखिर ये बीस दिन कहां व्यस्त थे। और केशव अपने चारदीवारी और मुख्य द्वार की ओर देख कर सबको बताता है कि इनकी मरम्मत और रंगरोगन में व्यस्त था। चारदीवारी और मुख्य द्वार हाथ जोड़े सभी मेहमानों का स्वागत कर रहे थे। 

सचमुच ये चारदीवारी और मुख्य द्वार आज केशव नाम के महल पर चार चांद लगा रहे थे। 

कहानी अगर आपको समझ आ गई हो तो आपको भी याद रखना है कि चारदीवारी और मुख्य द्वार मजबूत हो तभी एक कमरे का घर महल बन सकता है। और चारदीवारी और मुख्य द्वार बदले या हटाए नहीं जाते बल्कि महल के अनुसार सजाए जाते है। 



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