Ritu Garg

Tragedy

4.0  

Ritu Garg

Tragedy

बुजुर्गों की खामोशी

बुजुर्गों की खामोशी

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मंजू ने अपने दोनों बेटों की शादी अच्छे घराने में कर दी। घर में बहुएं आई उन्हें अपनी सास के साथ सामंजस्य बैठाने में काफी वक्त लगा। कारण सांस का कड़क स्वभाव। वह दोनों अपनी सास से काफी डरती थी।कि कभी कुछ बात पर डांट ना दे ।घर में तानाशाह माहौल बना हुआ था।घर के सभी सदस्य मंजू के सामने कुछ भी मन की बातें कहने से डरते थे।

समय के साथ साथ पोता पोती हुए। उन्हें भी हमेशा दादी की डांट का सामना करना पड़ता।लेकिन घर के बुजुर्ग होने के नाते कोई कुछ ना कहता लेकिन सभी के मन में दूरियां पैदा हो गई थी।

समय और परिस्थितियां कभी समान नहीं रहती । मंजू जैसे-जैसे वृद्धावस्था को प्राप्त हुई समय के साथ सभी अंग शिथिल हो गए ।अब वह पहले वाली बात नहीं रही। घर के सभी सदस्य मनमानी करने लगे। मंजू को कोई भी ज्यादा महत्व नहीं देता यदि किसी को कोई उचित सलाह भी दी थी तो वह डांट कर चुप करवा देते यह कहकर कि अब आप वाला जमाना नहीं रहा। आपको क्या पता भेजो कि क्या क्या ख्वाइश पूरी करनी पड़ती है बात-बात पर अब मंजू स्वयं को अपमानित महसूस कर रही थी।

यह सुनकर वह ख़ामोश हो जाती और अपना मन मसोस कर रह जाती क्योंकि अब शरीर में काम करना जो बंद कर दिया था।

बच्चों के द्वारा इस प्रकार के शब्द सुनकर मन बहुत आहत होता।अब मंजू की बातों को अहमियत नहीं मिल रही थी ।उसने धीरे-धीरे खामोश रहना सीख लिया और अपने मन से समझौता करते हुए कहने लगी कीअब मेरा जीवन किस काम का ।

उसकी ख़ामोशी उसकी बीमारी का बड़ा कारण बनी। और घर के सभी सदस्यों को काफी दुखो का सामना करना पड़ा।घर में बुजुर्गों की खामोशी घर के किसी भी सदस्य के लिए उचित नहीं है। आवश्यकता है बुजुर्गों द्वारा सही मार्ग दर्शन किए हुए रास्ते पर चल कर खुशहाल जीवन जिया जाए।

दूसरा पक्ष

बुजुर्गों की खामोशी का कारण कहीं ना कहीं वह स्वयं भी है ।यदि बुजुर्ग होने से पूर्व ही वह परिवार के सदस्यों के साथ घुलमिल रहें और सभी सदस्योंको बात बात पर डांटने की जगह प्यार से समझाएं और उनके सुख-दुख में भागीदार बनें। उन्हें अपनेपन का एहसास करवाएं तो उन्हें इस खामोशी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

परिवार के सभी सदस्य भी होने उचित सम्मान देंगे आवश्यकता है कि समय के साथ-साथ स्वयं की उम्र का आंकलन करते हुए परिवार को पास बिठाएं और उन्हें अत्यधिक प्यार और स्नेह दे तो बुजुर्गों को कभी खामोशी नहीं झेलनी पड़ेगी।




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