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Padma Agrawal

Romance

4  

Padma Agrawal

Romance

बुद्धू कहीं का

बुद्धू कहीं का

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 ‘’कुणाल , बेटा अपनी पढाई पर ध्यान रखना ।‘’

 अम्मा सरला जी ने कुणाल के सिर पर आशीर्वाद देते हुये अपना हाथ फेरा था । मां पापा की आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे , वह भी अपने आंसू नहीं रोक पाया था । उसने मुंह फेर कर अपनी बांहों से आंसू पोछ कर अपने को संभालने की कोशिश की थी । वह दोनों आंसू पोछते हुये ट्रेन में बैठ गये थे । वह कालेज की भीड़ में अकेला रह गया था । महानगर की भीड़ देख वह घबराया हुआ था । क्योंकि वह पहली बार अपने छोटे से शहर से बाहर आया था ।

  कुणाल छोटे शहर के सामान्य परिवार का लाडला बेटा था । वह पढने में काफी तेज था, इसीलिये दिल्ली विश्वविद्यालय में उसका एडमिशन आसानी से हो गया था । वह पहली बार यहां की भीड़भाड़, और आधुनिकता के रंग में रंगी सुंदर लड़कियों को देख कर सहम उठा था । इस वजह से वह ज्यादा किसी से बातचीत नहीं करता , न ही किसी से दोस्ती करता । वह अपनी पढाई में जुटा रहता , आखिर मां पापा की उम्मीदें उसके ऊपर ही तो टिकी हुई हैं ।

आज इंट्रोडक्शन मीट थी ,वह बहुत घबराया हुआ था । इतने बड़े स्टेज पर जाकर अपने बारे में बताना ...

“ मैं कुणाल यू.पी. के फैजाबाद से...’’

उसकी कंपकंपाती आवाज सुनकर हॉल में हल्की सी हंसी की आवाज गूंज उठी थी । वह आकर अपनी सीट पर बैठ गया था । सच तो यह था कि उस समय उसे अपने खास दोस्त मधुर की बहुत याद आ रही थी, जिसका एडमिशन दिल्ली में नहीं हो पाया था । वह सोच रहा था कि वह कहां फंस गया है काश वह अपने पुराने दोस्तों के बीच लौट जाये ....वह सिकुड़ा सिमटा अपने में खोया हुआ बैठा था। तभी एक लड़की उसके पास आई, ’’माई सेल्फ निया , खालसा कॉलेज ‘’

किसी लड़की के साथ बातचीत और दोस्ती, उसके लिये यह पहला अवसर था । निया के बढे हुये हाथ की ओर उसने अपना हाथ बढा दिया था ।

वह वहां की फैशनेबिल लड़कियों को देख कर घबराया करता था लेकिन निया के साथ दोस्ती हो जाने के बाद , उसके मन का संकोच अपने आप समाप्त हो गया और निया के साथ उसे मजा आने लगा था ।

‘’क्या हुआ निया, तुम्हारा चेहरा क्यों बुझा हुआ है?’’

“मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है ,’’

“चलो कैंटीन में कॉफी पियोगी तो आराम मिलेगा ।‘’

‘’क्लास है कुणाल’’

“कुछ नहीं , मैंने इस चैप्टर का नोट्स तैयार कर लिया है ,मैं तुम्हें दे दूंगा ‘’ निया ऐसा दिखा रही थी कि वह उसके साथ जाकर कोई एहसान कर रही थी ।

निया चूंकि दिल्ली से थी इसलिये उसके बहुत सारे साथी यहांपर थे , उसकी फ्रेंडलिस्ट बहुत लंबी थी । कैंटीन में उसका बड़ा ग्रुप पहले से ही वहां पर बैठा हुआ मानों वह लोग उन लोगों का ही इंतजार कर रहे थे, वह फिर एक बार थोड़ा हड़बड़ा गया था लेकिन उसने सबके साथ उसका परिचय करवाया । वहां पर गगन, शिवा, आयुष नमन् के साथ विनी , रिया , शीना सबके साथ उसकी हाय – हेलो के साथ दोस्ती की शुरुआत हुई । अब मुश्किल यह थी कि वह सब संपन्न परिवारो के दिखाई पड़ रहे थे । जबकि वह बहुत ही साधारण परिवार से था , उसके पिता किसी तरह से उसके लिये फीस आदि का प्रबंध कर पाते थे ।परंतु बेटे को बाहर कोई परेशानी न हो उसको मुंहमांगी रकम भेज दिया करते थे ।

 उसे दोस्ती निभाने के लिये ज्यादा पैसे की जरूरत होने लगी थी , इसलिये कभी कोचिंग , तो कभी फीस या बुक लेनी है ,इस बहाने से ज्यादा पैसे मंगाया करता था । निया के साथ उसका मिलना जुलना बढ गया था ।

कहा जाये तो दोस्ती के साथ साथ अब वह उसकी गर्लफ्रेंड बन चुकी थी । यदि एक दिन भी वह उससे न मिलता तो बेचैन हो उठता था ।

‘’कुणाल, कल शाम को तुम ऑनलाइन नहीं थे ?’’

अब वह कैसे कहता कि उसका नेट पैक समाप्त हो गया था । और पैसा बचाने के लिये ही उसने रिचार्ज नहीं करवाया था ।

“ मैं नोट्स बनाने में लगा रहा और एक्जाम भी तो नजदीक हैं । इसीलिये किताबों से सिर मार रहा था...’’

“बोर मत किया करो...हर समय पढाई ..पढाई ...मेरी ओर देखो... मैं तुम्हें कितना मिस कर रही थी ...कल मैंने नया हेयर कट करवाया है .... देखो मेरे चेहरे पर सूट कर रहा है कि नहीं....

कुणाल ने सिर उठा कर उसकी ओर देखा तो देखता ही रह गया.....नया हेयर स्टाइल , कटे हुये सेट किये स्ट्रेट बाल ...धनुषाकार ताजा तरीन सेट की हुई आईब्रो के नीचे बड़ी बड़ी आंखें जो हर समय कुछ बोलने को बेताब रहतीं थी ... रेड टी शर्ट और व्हाइट पैंट में वह गजब ढा रही थी । वह एकटक उसे देखता ही रह गया था ।

उसने छेड़ने के अंदाज में कहा, ‘’ये क्या तुमने अपने बालों का क्या हाल बना लिया , तुम्हारे कर्ली हेयर तो तुम्हारी पहचान थे ...’’

“अच्छे नहीं लग रहे हैं... मुझे टीज कर रहे हो ...मारूंगी तुम्हें...

स्ट्रेट तो सभी के होते हैं ,तुम्हारे तो घुंघराले घुंघराले बाल थे ....

हां ,कर्ली थे... मुश्किलों में तो मम्मा से परमिशन और 2000 रु- मिले , तब तो इन्हें स्ट्रेट करवा पाई । वह अपने बालों पर अपने हाथों को फेरती है ... मॉम कहती हैं कि केमिकल से बाल खराब हो जायेंगें ...

वह गौर से उसकी बातें सुनता है... ‘’मॉम की बात तो सही है लेकिन स्ट्रेट करवाने की तुम्हें क्या जरूरत पड़ गई? कर्ली बाल में तो तुम बहुत सुंदर लगती थीं’’ ।

“क्या कहा...तेरी वजह से तो मैंने अपने बाल स्ट्रेट करवाये...उस दिन पार्टी में तू निशू के बालों से अपनी नजर नहीं हटा रहा था ....मुझे इग्नोर कर रहा था , उसी दिन मैंने निश्चय कर लिया था कि मैं उसी की तरह अपनी हेयर स्टाइल बनवाऊंगीं....’’

“अरी पगली मेरी निगाह तो उसके ओपन बैक पर थी , बाल तो बहाना था ... उस दिन उसने कितनी स्मार्ट ड्रेस पहन रखी थी ... कट स्लीव ..हाइ नेक ...तुम्हारी तरह फुल स्लीव और हाई नेक वह नहीं पहनती ..


वह नाराज होकर उसकी पीठ पर धौल जमा कर बोली ,’’जाओ...जाओ ...उसी निशू की बाहों में खो जाओ... वह तुम्हारी तरफ निगाहें भी नहीं उठायेगी ... पता है , इस साल का पांचवां ब्वायफ्रेंड होगा तू’’.. वह पैर पटकती हुई अपनी स्कूटी की ओर जाने लगी तो कुणाल ने उसके हाथ से स्कूटी की चाभी छीन ली और बोला , ‘’कहां जा रही हो? मैं तो तुम्हें यूं ही छेड़ रहा था .।‘’

‘’कुणाल , एसाइनमेंट तुमने पूरा कर लिया ?’’

“हां यार ,कल रात भर जग कर तो पूरा किया है ।‘’

“डियर ,तुम मेरी हेल्प कर दोगे ?’’

  ना चाहते हुये भी संकोच और दोस्ती बचाने के लिये वह बैठ कर उसका साइनमेंट पूरा करता रहा और वह बैठ कर अपने मोबाइल पर किसी के साथ हंस हंस कर चैटिंग करती रही थी ।वह मन ही मन खीझ रहा था लेकिन कुछ कह नहीं सकता था । आखिर वह उसकी गर्लफ्रेन्ड जो ठहरी ...

एक दिन निया क्लास में परेशान सी उखड़ी-उखड़ी सी बैठी हुई थी।

‘’क्या हुआ ...तुम्हारा मूड क्यों खराब है?’’

“आज मेरा मूड बहुत खराब है । तुम क्लास में जाओ ... मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो ...’’

“मुंह से तो बोलो ..बता भी ... मैं तेरी हेल्प कर दूंगा ..’’

“कल पार्लर गई तो मेरी सारी पॉकेट मनी स्वाहा हो गई , मॉम से पैसे मांगे तो वह नाराज हो गईं .. अब बताओ मेरा फोन बंद पड़ा है ... कैसे रिचार्ज हो.... तुम जाओ यार ‘’

“बस इतनी सी बात , मैं ऱिचार्ज करवा दूंगा। उसने दिलेर बनते हुये उसका फोन रिचार्ज करवा तो दिया लेकिन पैसा खर्च हो जाने पर चिंतित हो गया था ।

वह निया के सामने एक मुखौटा लगाये रहना चाहता था , जिससे उसकी दोस्ती बनी रहे । वह यह दिखाना चाहता था कि वह उसके लिये कुछ भी कर सकता है ।

“कुणाल , मेरा कब से मन था कि थियेटर में अमोल पालेकर का प्ले देखूं ...प्लीज टिकट बुक कर दो ‘’... उसके दिमाग में अपने जेब और बैंक के एकाउंट के पैसों के ऊपर उथल पुथल मची हुई थी .. उसने अपने दोस्त अन्वय से रुपये मांगे तो टिकट बुक करवाया था । वह निया के साथ पाने की कल्पना से बड़ा खुश और एक्साइटेड था । परंतु वह नहीं जानता था कि वह किस भंवरजाल में फंसता जा रहा था ।वहां पर भी उसके दोस्त मिल गये थे ...फिर कॉफी और बर्गर ,उसका तो बैण्ड बज गया ....

एक्जाम की डेट आ गई थी , वह उसी की तैयारी में लगा था कि मेसेन्जर पर नोटिफिकेशन आया तो वह बेचैन होकर तुरंत देखने लगा ...’’My valentine… Happy Vallentine day’’

उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी , निया उसे मेरा वैलेन्टाइन कह रही थी, अब तो उसे कोई मंहगा सा गिफ्ट देना पड़ेगा । वह उस दिन उसे जबर्दस्ती पिक्चर देखनी है कह कर ,ले गई थी .. तुरंत 1000 रु खर्च हो गये । वह मन ही मन सोच रहा था कि निया को सामने क्यों शाहखर्च बन जाता है ...आखिर उसे अपनी पॉकेट का वजन भी तो देखना चाहिये ।

   पिछले महीने तो वह कोचिंग की फीस और बुक्स के बहाने से पापा से रुपये ले आया था ... वह भी निया का कैसा दीवाना बन गया है... अम्मा बेचारी के चेहरे पर कितनी मायूसी छा गई थी , वह आंखों में आंसू भर कर बोलीं थीं ...’मुन्ना तुम पढ लिख कर कलक्टर बन जाओ तो हम सबन की जिन्दगी संवर जाये । तुम्हारे पापा का सपना भी पूरा होय जाये ।‘

उसके चेहरे पर पश्चाताप था ...वह इतना नालायक है कि जनाब ,एक लड़की के साथ इश्क फरमा रहे है...

लानत है ,कुणाल तुझ पर...उन क्षणों में उसने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि वह अब निया से दूरी बना लेगा ।

परंतु ‘My Vallentine’ देखते ही सब कुछ भूल कर अमेजन की साइट पर गिफ्ट ढ़ूढने में मशगूल हो गया ।

वह निया के सपने में खोया हुआ, कल पैसे की जुगाड़ कैसे करेगा , इस उधेड़बुन में लगा रहा... अंत में निश्चय किया कि असलम से 1000 रु लूंगा तब काम चलेगा । लॆकिन उसकी आंखों से नींद उड़ी हुई थी । एक एक करके क्लास के कई लड़कों से वह रुपया मांग चुका है , जब भी लौटाने के लिये सोचता है , उसी समय निया का कोई ऐसा जरूरी काम सामने आ जाता है कि उसको खुश करने के चक्कर में पहले से ज्यादा खर्च हो जाता है । सोचते सोचते वह जाने कब नींद के आगोश में चला गया था ।

  पूरा क्लास जब उसका नाम निया के साथ जोड़ता है तो। वह गर्व से अपनी कॉलर ऊंची कर लेता है । निया जैसी सुंदर स्मार्ट लड़की उसकी गर्ल फ्रेन्ड है , सोचकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट छा जाती है ।

“चल न कुणाल , कैण्टीन में पिज्जा खाते हैं ..मुझे बहुत भूख लगी है ।‘’

“कुणाल प्लीज ये मेरा एसाइनमेंट पूरा कर दो । “

‘आज पिक्चर अंधाधुन का रिव्यू बहुत अच्छा आया है , उसकी रेटिंग 5 दी है । चलो न कुणाल .... ‘बस वह उसके फैलाये जाल में फंस जाता और वह फिर यहां वहां पैसे मांगता ...यहां तक कि कई लड़कों से तो वह मुंह छिपाने के लिये उनके सामने ही नहीं पड़ता ।

वह असलम से रुपये मांगने में बहुत शर्म महसूस कर रहा था लेकिन इश्क जो न करवाये वह थोड़ा....

उसका वैलेन्टाइन गिफ्ट पाकर वह बहुत खुश हुई थी । वह मंहगा सा पेन्डेन्ट सेट लाया था । वह गिफ्ट पाकर इतनी खुश हुई कि उसने प्यार से उसे सबके सामने किस कर लिया था । वह खुशी के मारे खिल उठा था । लेकिन मन ही मन वह पैसे को लेकर चिंतित था । अब जब वह सबसॆ बार बार पैसे उधार ले चुका था , यहां तक कि वह सबसे मुंह छिपाता फिर रहा था , अखिल तो उससे अपना पैसा मांगने का तगादा भी करता रहता था। अक्षत तो एक दिन गाली गलौज पर उतर आया था ।

वह पैसे के लिये बहुत परेशान था इसलिये उसने पापा से पैसा मांगने के लिये बहाना बनाया ,’ अम्मा , मुझे टायफायड हो गया था , यहां तक कि मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा , इसी वजह से दोस्तों से रुपये उधार लेना पड़ा , कह कर वह रो पड़ा था । उसने सोचा कि पापा अब रुपये तुरंत भेज देंगें ।

       लेकिन पापा तो अम्मा को साथ लेकर अपने बचवा का हाल जानने के लिये आ पहुंचे । वह उन लोगों को देख कर मन ही मन पछताया भी था कि वह कितना गिरा हुआ इंसान है , जो अपनी गर्ल फ्रेंड के लिये सफेद झूठ बोल रहा था । पापा जाते समय उसकी मुट्ठी मे नोट बंद कर बाहर चले गये तो अम्मा ने भी चुपके से अपनी ब्लाउज की अंदर से मुड़े तुड़े नोट निकाल कर उसके हाथ पर रखने चाहे तो शर्म के मारे उसके हाथ कांप उठे थे ।

उस समय अम्मा पापा के मायूस चेहरा और उनकी बेचारगी देख उसका सर्वांग कंपकंपा उठा था । परंतु निया का चेहरा देखते ही वह उसके प्यार के नशे में सब भूल जाता ।

प्यार या रोमांस कितना आकर्षक है कि लड़का हो या लड़की उसे मदहोश कर देता है . .. उन दिनों में उसके ज्ञान तंतु तंद्रावस्था में पहुंचकर सुषुप्त से हो जाते हैं ।

उसकी मुट्ठी में पापा के दिये हुये 500 के और 2000 के नोट थे वह अपनी प्रियतमा निया को खुश करने के लिये उसे आज डिस्को लेकर जाने के लिये उतावला हो उठा था ...वहां पर उसकी बाहों मे उसकी निया होगी , हाथों में जाम होगा और जाम के सुरूर में वह निया को अपने आलिंगन में समेट लेगा परंतु तुरंत ही उसकी अम्मा का चेहरा आंखों के सामने आ गया । वह बोलीं थीं , ‘’कुणाल ये पैसे तेरे पापा की खून पसीने की कमाई के हैं ...संभाल कर खर्च करना । तुमसे हम लोगों को बहुत सारी उम्मीदें हैं ...आशायें हैं .....’’ अम्मा की आंखों के आंसू याद कर उसके कदम ठिठक गये थे फिर अपने मन को समझाने की हजारों कोशिशें कर डालीं 

थीं


लेकिन निया के मेसेज को देखते ही वह सब कुछ भूल गया ....

“मिसिंग यू कुणाल “उसने अपने दिल को कड़ा कर के लिखा ....

“नोडर मैं व्यस्त हूं सॉरी ’उसने बड़ी सी रोने वाली स्माइली डाल कर गहरी सांस ली

“ … मेरे थोड़े से डाउट्स हैं , तुम क्लीयर कर दो ... माई डियर मैं तुम्हारा उसी जगह इंतजार कर रही हूं ..अपनी वही कोने वाली जगह पर... जहां हम सबको देख सकते हैं परंतु हम लोगों को कोई नहीं ....’’ अब तो उसे जाना ही होगा क्योंकि उसका दिल हर समय धुक धुक करता था कि निया कहीं किसी दूसरे को अपना ब्वाय फ्रेण्ड न बना ले .... इसी उधेड़बुन में वह उसको मंहगे गिफ्ट देता , वह यहां वहां से पैसे लेकर उस पर खर्च करता ताकि वह उसकी मुट्ठी में बनी रहे । उसके सारे एसाइनमेंट पूरे करता .... वह तेजी से उठ कर चल दिया था । निया मोबाइल पर किसी से चैटिंग में बिजी थी । उसे उससे कुछ नोट्स चाहिये थे । फिर आओ एक कोल्ड कॉफी हो जाये ... और वह बिल पे कर ही देगा ...

उसका रूम मेट अम्बर था , वह उससे सीनियर था और छोटे शहर के साधारण परिवार से भी था । धीरे धीरे उससे दोस्ती हो गई थी ।

“कुणाल , कितनी टफ और नीरस लाइफ है ... कॉलेज, कोचिंग फिर नोट्स प्रिपेयर करना,देर रात तक टेस्ट की तैयारी.. बुक्स , पेपर सॉल्विंग... लाइफ एकदम डल ...अपना छोटा सा शहर और अम्मा पापा बहुत याद आते हैं ...

“रिलैक्स यार’’

“तू तो बड़े ग्रुप में दादा लोगों के साथ मौज मस्ती कर रहा है ... तेरी तो गर्ल फ्रेंड भी है... तेरा क्या ..मस्ती कर...’’

‘मैं तो चला कोचिंग में ...क्या नाम बताया ....निया वही फर्स्ट ईयर p.c.m. वाली ...’

‘हां ..हां.. लेकिन तू उसे कैसे जानता है... ‘

“वह तो बड़ी फेमस है , उसके कई ब्वाय फ्रेंड रह चुके हैं अच्छा इस साल तुझे शिकार बनाया है ...’’

“नो, यार शी लव्स मी .’’

वह जोर से ठहाके लगा कर हंसा था ।

“ऐसे क्यों हंस रहे हो?’’

“तुम छोटे शहर के सीधे सादे से लड़के , इस महानगर में आधुनिकता के भंवर जाल में फंस गये हो । तुम्हारी निया का मेरे सेक्शन के अभिनव के साथ बहुत दिनों से चक्कर चल रहा है । “

“ऐसा नहीं हो सकता?’’

तभी उसका मोबाइल के मेसेन्जर पर नोटिफिकेशन आया और वह तेजी से चला गया था । बात अधूरी छूट गई थी लेकिन उसकी आंखों की नींद उड़ गई थी । कुछ दिनों से वह महसूस कर रहा था कि जब निया का अपना मतलब होता तभी वह उसके मेसेज का जवाब देती और कुछ न कुछ खर्च करवा ही लेती ... पैसे देने का ड्रामा तो करती लेकिन कभी देती नहीं... हमेशा उससे पैसे खर्च करवाती और कभी पिक्चर तो कभी थियेटर तो कभी बर्गर तो कभी कॉफी .... क्या सच में वह उसे चीट कर रही है ... फिर भी उसे विश्वास नहीं हो रहा था... क्यों कि वह तो निया को जी जान से प्यार करता था । उसने तो भविष्य के अनगिनत सपने संजो रखे थे .... उसकी आंखों से आंसू बह निकले थे ।

बार बार उसे ख्याल आ रहा था कि अम्बर उससे झूठ क्यों बोलेगा भला....उसका क्या स्वार्थ हो सकता है... वह तो हर समय उसकी मदद ही करता रहा है । उसके मन में शर्मिंदगी सी महसूस हो रही थी , उससे भी तो उसने 1000 रुपये ले रखे हैं , जो आज तक नहीं दे पाया ...आज उसे अपनी दीवानगी पर रोना आ रह़ा था कि ऐसा कोई सगा नहीं , जिसे उसने ठगा नहीं ...

मां बाप कितने अरमानों से अपने खून पसीने की कमाई उस खर्च कर रहे है कि वह लायक बन कर परिवार का खेवनहार बने ...वह आधुनिकता के आडम्बर की आंधी में अपनी जड़ों को ही भूल बैठा और इश्क के चक्कर में मामा , मौसी , बुआ, चाचा , दोस्त किसी को हीं छोड़ा.... सबके सामने हाथ पसार कर , झूठ बोल कर , बहाने रच कर सबसे पैसा ऐंठता रहा ... लानत है उस पर...

अभी भी वह मन ही मन सोच रहा था कि अम्बर की बात झूठ निकले ... जबकि उसे याद आ रहा था कि अक्सर ऩिया उसके मेसेज का जवाब नहीं देती थी ...मैं बिजी थी इसलिये देखा नहीं.... उसने मेसेन्जर , व्हाट्सऐप, इंस्ट्रा पर कई बार मेसेज किया , लेकिन इसने किसी का उत्तर नहीं दिया था । उससे मुलाकात हुये काफी दिन हो चुके थे । वह निराशा के झूले में हिचकोले लेने लगा था क्योंकि उसपर क्रोध या नाराजगी का हक तो कभी उसके पास था ही नहीं ....

दिन भर वह उखड़ा उखड़ा सा रहा । अपने रूम में ही अवसाद में लेटा रहा ... न वह कॉलेज गया न ही कोचिंग में जाने का मन हुआ.... निया से मिले हुये दो महीने बीत चुके थे ...शाम को अम्बर घबराया हुआ सा आया , देखो कुणाल , जो मैं कह रहा था , वह सही निकला ...लो निया और गूंज की चैटिंग पढो ... गूंज ने मेरे प्रामिस करने के बाद ही शेयर की है ...वह तुम्हें चीट कर रही थी ....

निया , आजकल तेरे और कुणाल के बीच बहुत खिचड़ी पक रही है .... इश्क हो गया क्या....इश्क माय फुट ...

गूंज तू भी कुछ समझती नहीं ... वह पढने में तेज है और बुद्धू की तरह मेरे एसाइनमेंट पूरे कर देता है........ बेवकूफ की तरह जरा सा प्यार का नाटक कर दो ....बस फ्री में पिक्चर ,बर्गर ,कॉफी, थियेटर सब फ्री में ....

हा...हा....हा..की ढेरों स्माइली

वह गांव का गंवई सचमुच का इश्क समझ बैठा ... मेसेज पर मेसेज करता जा रहा है ....

बुद्धू कहीं का .....

कुणाल के चेहरे की रंगत उड़ गई थी ...

वह अपनी आंखों के झिलमिलाते आंसुओं को नहीं छिपा पा रहा था ।

                          



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