बरसात
बरसात
मीता अपना काम खत्म करके ऑफिस से बाहर निकली ही थी कि हल्की हल्की बारिश शुरु हो गई। बस स्टाप दूर था, सोचा चलो भीगने का भी मजा लेना चाहिए। वह मस्ती में चल रही थी बारिश से भीगी मिट्टी की सौंधी खुशबू, ठंडी फुहारों से तन में उठती मीठी सिहरन, सब कुछ बहुत आनंद दे रहा था। जीवन के पैंतीस वर्ष में एक बार भी उसे ऐसा एहसास न हुआ था। अचानक पीछे से किसी ने आवाज दी तो उसने मुड़ कर देखा एक सुदर्शन युवक उसे कह रहा था- मैम आपका दुपट्टा संभालिए, देखा तो आधा दुपट्टा कबका नीचे लटककर मिट्टी से सन चुका था।
उसने धन्यवाद कहकर जैसे तैसे दुपट्टा उठाया।
वह युवक बोला मेरा नाम आकाश है। आप चाहें तो मेरे छाते में आ जाइए।
उसने नहीं कहा तो वह बोला- चाहो तो आप ही छाता ले लीजीए।
तब थोड़े संकोच के साथ वह छाते में आकाश के साथ हो ली। वह बहुत सभ्य युवक था, उसी के बैंक के साथ वाली बिल्डिंग में उसका ऑफिस था। अचानक जोरों की बारिश होने लगी। मीता ने मुंह रुमाल से पोंछते हुए उसे देखा और आकाश की नज़रें उससे जा मिलीं। दोनों संकोच में डूबे चलने लगे। बस स्टाप आ गया तो मीता स्टाप के अंदर जाकर बस का इंतजार करने लगी। छाते में चलते हुए लाख खुद को समेटकर चलने पर भी उनके रोएं छू रहे थे। हाथों में अजीब मीठी सिहरन थी, उसकी नजरों में जाने कैसी कशिश थी। मीता पर मानो कुछ उन्माद सा छाने लगा। बस आई, वह बस में चढ़ी पर मन वो तो मानों कहीं छूट गया। मीता ने शुरु से खुद को अनुशासन में रखा। खुद शादी नहीं की मगर भाई की शादी कराई। उसकी पढ़ाई, बुजुर्ग माँ पापा की देखभाल, सब अच्छे से किया, कभी ऐसे खयाल नहीं आए, मगर आज आकाश को देखकर ये क्या हो रहा है।
दूसरे दिन ऑफिस से घर आते समय वह फिर मिल गया। बिना कोई भूमिका के बोला आप मुझे अच्छी लगती हैं। उसका तो शर्म से मुंह लाल हो गया। नजरें तरेरकर उसने डांट दिया उसको। मन तो कल की बारिश का रोमांच नहीं भुला पा रहा था। शाम को घर पहुंची तो देखा आकाश माँ के साथ बैठा चाय पी रहा था, उसको बहुत गुस्सा आया , बोली जरा बात क्या करलो लोग पीछे लग जाते हैं। फिर माँ ने समझाया बेटा ये बहुत समझदार लड़का है। शायद हमारे भाग्य से ही यह मिला है। तुम हाँ कर दो शादी के लिए। मीता कुछ न बोली।
आज फिर आकाश उसके सामने था छाता लेकर,बारिश अचानक तेज हो गई। दिल ने कहा- मीता भीग ले दो दो आकाश बरस रहे हैं, एक प्यार की बारिश एक पानी की बारिश,बस उसने कुछ न सोचा आकाश के हाथ से छाता लेकर फेंक दिया, आकाश ने मुस्कुराकर मीता का हाथ थामाऔर दोनों भीगने लगे, प्यार की बारिश में। मीता ने कहा, हमको इस बारिश ने मिलाया है, हम अपने घर का नाम ही नेह की बारिश रखेंगे।