Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!
Find your balance with The Structure of Peace & grab 30% off on first 50 orders!!

Prabha Gawande

Drama

3  

Prabha Gawande

Drama

इंतेहा

इंतेहा

3 mins
244


आज घर में चावल का आखिरी दाना भी खत्म हो गया। फुलवा की आँखों में कहते हुए बेबसी के आँसू भर आए।

बसंती ने नजरें उठाकर उसकी ओर देखा, जैसे कह रही हो मैं जानती हूँ। हालांकि वह कभी रसोई के डिब्बे खोलकर नही देखती, जब से फुलवा को मधुकर ब्याह कर लाया है, रसोई वही देखती है।

चिंतामग्न बसंती अचानक सब्जीवाले की आवाज सुनकर बाहर निकल आई। सरकारी गाडी में ताजी सब्जियाँ आई हैं, सब्जी घरोंतक पहुँचाई जा रही है, पचाjस रूपये का एक पैकेट उसमें सब है, आलूप्याज, टमाटर धनिया, और एक सब्जी। बसंती पल्लू के छोर में बँधे पचास के नोट को देकर एक पैकेट सब्जी ले लेती है। पडोसन नैना उसे हैरानी से देख रही है, इसके पास इतने पैसे कहाँ से आए। सारे शहर में बंदी चल रही है, सुना है कोई न ई बीमारी आई है, जानलेवा, छूने से लग जाती है ।सबका काम बंद है। इस मोहल्ले में सब दिहाडी मजदूर हैं।

बसंती ने यह नोट बचाकर रखा था , सबसे छुपाटर ताकि मुसीबत में काम आ सके। वह बहुत नेकदिल और अच्छे स्वभाव की महिला थी। घर में तीन प्राणी। मधु की एक ठिलिया थी जिसमें वह चाय और चूडा रखकर बेचा करता था। आज पंद्रह दिन का बंद घोषित हौने को पाँच दिन हुए जैसे तैसे घर चला, अब आगे सोचकर वह परेशान बैठा था।

ले फुलवा बेटा टमाटर काटकर थोडा नमक मिर्ची डालकर उबाल ले इस टैम का का काम चल जाएगा। फुलवा फुर्ती से सूप बना लाई तीन गिलास में। पडोस वाली जैवंती बुआ भी खडी थी आँगंन में, उसे भी एक छोटी गिलास भरकृ सूप दे फुलवा चुपचाप बैठ ग ई।

शाम को सब बिना खाए ही सो ग ए। मधच ने सोचा , कोई काम मिल जाए शायद, वह बाहर गया और पुलिस ने पकड कर अंदर डाँ दिया, वह भूल डया था कि बिना कपडा लगाए, बिना इजाजत वह घर से निकल आया है।

.. उसके घर न पहुँचने पर बसंती उसे ढ़ूँढ़ने निकल ग ई। क्या जरूरत थी बाहर जाने की। सडक पार की चौकी पर सिपाही की कड़क आवाज सुनकर रूक ग ई। कहाँ चली अम्मा...

हमारो बेटा अभी तक घर नही लौटो। पुलिस की ताकीद पर घर लौटकर धमम से बैठ ग ई वह, क्या करे अब, हताश सी रात गुज़री। सुबह ताकीद देकर पुलिस ने मधु को छोड दिया। भूख से उन सब के पेट में बल पड़ रहे थे। दोपहर में कुछ खाना बाँटने वाले आए, मगर मोहल्ले के कुछ ही लोगों को मिला। आज फिर वह भूखे ही सो ग ए। नींद कहाँ आती है भूखे पेट। चुपचाप बाहर निकली बसंती, फुलवा की चिंता थी सबसे ज्यादा, पेट से थी वह। कहीं से कुछ मिल जाए, गमछे से मुँह ढांककर वह पडोसी नैना के यहाँ ग ई।

मुट्ठीभर चावल ही मिल जाए। मगर नैना के घर भी कुछ नही बचा था। बसंती की आँखों से बेबसी के आँसू झरने लगे।


Rate this content
Log in

More hindi story from Prabha Gawande

Similar hindi story from Drama