नजर
नजर
रितु स्कूल जाने में झिझकती है। राकेश से कहते हुए वह खुद झिझक रही थी।
अखबार से नजर उठाते हुए राकेश प्रश्नवाचक नजरों से रानी को देख रहे थे।
वास्तव में रितु बेहद खूबसूरत थी, रास्ते चलते लड़के देखते रह जाते। राकेश समझ गए। पिता के नाते हिम्मत दी, बेटे नजरें उठाकर सीधे लक्ष्य की ओर देखकर चलो।
दुनिया की तरफ मत देखो। हर बाधा का डटकर सामना करो और दुगुने उत्साह से रितु स्कूल चल पड़ी।