Apoorva Singh

Romance

3.4  

Apoorva Singh

Romance

बरसात की रात

बरसात की रात

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रात के नौ बजे का समय।मानसून की पहली बारिश में भीगती हुई एक अठारह बरस की लड़की सुनसान सड़क पर बेतहाशा दौड़ती जा रही है।बीच बीच में पीछे मुड़ कर देख लेती है और फिर दौड़ने लगती है।कभी सड़क के दाएं पहुंचती है तो कभी बाएं।लेकिन रुकने का नाम नहीं लेती।लगातार बारिश की वजह से सड़क पर पानी भर रहा है।यहां तक कि रास्ता भी समझ नहीं आ रहा है।दौड़ते हुए उसे ठोकर लग जाती है और वो छपाक करती हुई उस भरे हुए पानी में गिर जाती है।लड़की घबरा जाती है इस बारिश में भी उसके चेहरे पर पसीना टपक जाता है।वो पीछे मुड़ देखती है वो अभी भी उसके पीछे ही आ रहे है ये देख वो हिम्मत जुटा उठ खड़ी होती है और फिर से दौड़ पड़ती है उस बरसाती रात में अपनी आबरू बचाने के लिए।कुछ कदमों की दूरी तय करने के बाद उसे सड़क के बाएं दूर नज़र आती है रोशनी की किरण जहां स्थित होती है कुछ एक दुकानें जिनमें शामिल है चाय की टपरी, एक ढाबा और कुछ एक बिस्किट स्नैक्स कोल्ड ड्रिंक की छोटी मोटी दुकानें।

दौड़ते दौड़ते लड़की थक चुकी होती है पैर जवाब दे रहे है वो सड़क के दाएं ओर आती है और एक पेड़ का सहारा ले रुक जाती है। " वो रही चल थोड़ा और तेज दौड़ते है" पीछे से आवाज़ आती है।जिसे सुन वो लड़की अपनी आंखे बंद करती तथा अपने इष्ट को याद कर दौड़ लगा देती है और सीधा सड़क के इस तरफ बनी चाय की टपरी पर जाकर बारिश से बचने के लिए बेंच पर बैठे एक लड़के से "प्लीज़ हेल्प" कहते हुए नीचे गिर जाती है।गिरते समय उसका हाथ उस लड़के के हाथ में पकड़े चाय के प्याले पर पड़ता है और उसका प्याला छूट कर गिर जाता है।आवाज़ सुन लड़का पीछे मुड कर देखता है जहां दो भटके हुए नौजवान सड़क के उस पार खड़े है और उस लड़की की तरफ देख रहे हैं।लड़का वहां से उठता है और उनकी तरफ जाता है किसी को अपनी तरफ आते देख वो वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते है।लड़का कुछ दूर उनके पीछे जाता है जब वो कहीं नहीं दिखते तो वो वापस टपरी पर आ जाता है।

रोहन जरा दो चाय लाना।वहां कार्य करने वाले एक एक बन्दे को आवाज़ देते हुए कहता है।

अभी लाया भैया बस पांच मिनट आप इंतजार कीजिए रोहन ने चाय का पतीला चढ़ाते हुए कहा।

वो लड़की अभी भी वहीं मौजूद होती है।आप ठीक है! लडके ने पास ही पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए पूछा।

"जी" लड़की ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।

लड़का - कौन थे ये लड़के क्या आप उन्हें जानती है?

"जी नहीं" हम नहीं जानते।दरअसल आज ऑफिस में जरूरी मीटिंग थी एवम् कुछ कार्य भी पेंडिंग में पड़ा हुआ था।तो हम उसी पेंडिंग कार्य को निपटाने लगे।जिसमें हमें समय का ध्यान नहीं रहा और काम खत्म करते करते साढ़े आठ बज गए।समय देख हम अपनी बॉस को इनफॉर्म कर वहां से घर के लिए निकले।तो बाहर घनघोर बारिश हो रही थी।हम खड़े होकर ऑटो या टैक्सी का इंतजार करने लगे। पांच मिनट तक जब कोई टैक्सी नहीं मिली तो हम हिम्मत कर पैदल निकल आए। ऑफिस से कुछ ही दूरी पर सड़क बिल्कुल सुनसान हो जाती है वहीं ये लोग एक गाड़ी में बैठे थे। हमे सड़क पर अकेला देख हमारे पीछे आने लगे। हमे कुछ संदेह हुआ तो हमने दौड़ लगा दी और फिर यहां तक आ गए ... कहते हुए वो लड़की चुप हो जाती है।

"भैया आपकी चाय" रोहन दो कुल्हड़ वाली चाय आगे बढ़ाते हुए कहता है।लड़का एक इन्हे दे दो।लड़की की तरफ इशारा कर कहता है।

लड़की चाय ले लेती है और अपने दोनों हाथो से कुल्हड़ पकड़ चाय की चुस्की लेने लगती है।

लड़का अपनी चाय ले बातचीत आगे शुरू करता है।

कोई बात नहीं जो हुआ उससे सबक लीजिए और बाकी एक बुरी घटना समझ कर भूल जाइए।

जी धन्यवाद!कहते हुए लड़की अपनी चाय की आखिरी चुस्की लेती है।

वैसे मेरा नाम सुशांत है।पेशे से टीचर हूं।आप अगर कहे तो आपको आपके घर ड्रॉप कर सकता हूं ये मेरा आइडेंटिटी कार्ड है आप चाहे तो चेक कर सकती है।

जी उसकी जरुरत नहीं है।आप यहीं थोड़ा आगे चल कर जो पहला मोड़ पड़ेगा न उसी मोड़ के किनारे हमारा घर है।आप वहीं छोड़ दीजिए।लड़की सुशांत से कहती है।

जी ठीक है।आप यहीं बैठिए और ये कोट पहन लीजिए मै अभी आता हूं।अपना कोट उतारकर उस लड़की को देते हुए सुशांत ने कहा।वो अंदर जाता है और रोहन को चाय के पैसे के साथ एक चॉकलेट देता है।

भैया आप रोज मेरे हाथ की चाय पीते हो और फिर मुझे ये चॉकलेट देकर जाते हो।आप कभी ये बात नहीं भूलते है न।जितना हो प्यार बांटो।खुशी बांटने से बढ़ती है।कहते हुए सुशांत मुस्कुराते हुए वापस आ जाता है।

और पास ही खड़ी अपनी बाइक स्टार्ट करता है।आप वहां क्यों खड़ी है चलिए आपको ड्रॉप कर देता हूं।लड़की अभी कुछ ही देर पहले की हुई रोहन और सुशांत दोनों की बाते सुन लेती है और सोच रही है क्या सच में कुछ लोग ऐसे भी हो सकते है जो दूसरो की खुशियों का इस तरह ख्याल रखते हैं।

सुशांत बाइक का हॉर्न बजाता है जिसे सुन वो लड़की अपनी सोच से बाहर आ बाइक पर बैठ जाती है और सुशांत इस पहली बारिश में बाइक सड़क पर दौड़ा देता है।

दोनों के बीच एक खामोशी छा जाती है।जिसे वो लड़की अपने शब्दो से कुछ यूं कह तोड़ती है "अच्छा आप टीचर है तो क्या विषय पढ़ाते हैं "आप।क्या मुझसे शेयर कर सकते हो।वो क्या है न मुझसे ज्यादा देर चुप नहीं रहा जाता।

लेकिन कुछ देर पहले तो इतना कम बोल रही थीं आप तो मुझे लगा कि..खैर छोड़ो।मै तो हिस्ट्री टीचर हूं।और हिंदी साहित्य से विशेष लगाव है।

अच्छा आपको भी।हिंदी साहित्य से लगाव तो हमे भी है।शाम को उपन्यास पढ़ कर ही हमें नींद आती है।

सुशांत और वो लड़की बहुत सी बाते करते है एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जान लेते है।

कुछ ही पलों में वो पहला मोड़ आ जाता है और सुशांत बाइक रोक देता है।लड़की बाइक से उतर जाती है और सुशांत से कहती है आपके साथ की ये मानसून कि पहली बारिश वाली रात हमें हमेशा याद रहेगी। लड़की की बात सुन सुशांत मुस्कुराता है और कहता है आपको तो याद रहेगी लेकिन मुझे भी याद रखने के लिए अपना नाम तो बता दीजिए।

हमारा नाम ...कल फिर मिलना तब बताएंगे.! कहते हुए लड़की मुस्कुराती है और दोबारा से धन्यवाद कहते हुए वहां से घर के अंदर चली जाती है।

लड़की की बात सुन सुशांत मुस्कुराते हुए बाइक स्टार्ट कर देता है और घर के लिए निकल जाता है वापस कल फिर आने के लिए,मुलाकातों का सिलसिला बनाने के लिए।पहले प्यार की हर बरसात में एक दूसरे के साथ भीगने के लिए। बरसात की वो रात प्यार की एक कहानी को जन्म देती है।


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