बोलते ऑंसूं
बोलते ऑंसूं
" तुम कब तक यूँ अकेली रहोगी?", लोग उससे जब तब यह सवाल कर लेते हैं और वह मुस्कुरा कर कह देती है," आप सबके साथ मैं अकेली कैसे हो सकती हूं।"
उसकी शांत आंखों के पीछे हलचल होनी बन्द हो चुकी है। बहुत बोलने वाली वह लड़की अब सबके बीच चुप रह कर सबको सुनती है जैसे किसी अहम जबाब का इंतजार हो उसे।
जानकी ने दुनिया देखी थी उसकी अनुभवी आंखें समझ रहीं थीं कि कुछ तो हुआ है जिसने इस चंचल गुड़िया को संजीदा कर दिया है लेकिन क्या?
" संदली!, क्या मैं तुम्हारे पास बैठ सकती हूं?", प्यार भरे स्वर में उन्होंने पूछा।
" जरूर आंटी, यह भी कोई पूछने की बात है।", मुस्कुराती हुई संदली ने खिसक कर बैंच पर उनके बैठने के लिए जगह बना दी।
" कैसी हो ?क्या चल रहा है आजकल ? ", जानकी ने बात शुरू करते हुए पूछा।
" बस आंटी वही रूटीन, कॉलिज- पढ़ाई।", संदली ने जबाब दिया। " आप सुनाइये।"
" बस बेटा, सब बढ़िया है। आजकल कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं।", चश्मे को नाक पर सही करते हुए जानकी ने कहा।
" अरे वाह! क्या सीख रही है इन दिनों?", संदली ने कृत्रिम उत्साह दिखाते हुए कहा जिसे जानकी समझ कर भी अनदेखा कर गई।
" बेटा, मैं आजकल कंप्यूटर पर काम करना सीख रही हूँ" - जानकी ने संदली की आँखों में देखकर कहा ।
"कंप्यूटर में क्या ,आंटी ?"- संदली ने पूछा
"बेटा यही कि अपने बच्चों से वीडियो पर बात कर सकूँ "
"ओह ! स्काइप अच्छा है आंटी सीखना चाहिए - कहकर मौन हो गयी थी संदली ।
"बेटा व्हाट्सप्प फेसबुक सभी कुछ सिखाते हैं वहां" - जानकी ने आगे कहा |
संदली खामोश रही । वो कॉफ़ी के अपने कप की चुस्कियां ले रही थी । मालूम होता था जैसे ज़िन्दगी के कुछ पन्ने उसकी आँखों से गुज़र रहे थे |
"लाओ बेटा , तुम्हारा नंबर दो ,व्हाट्सप्प पर तुमको टेक्स्ट करुँगी -" जानकी ने मुस्कुरा कर कहा ।
"आंटी , मुझे निकलना है अभी ।"-कहकर संदली उठने को हुई ।
"बेटा सुनो , कुछ परेशानी है क्या ?" - जानकी ने संदली को रोकते हुए कहा ।
"जी नहीं आंटी "- संदली ने संयत होते हुए कहा ।
"बेटा ..बैठो "
"तुम मेरे इस कैफ़े पर एक साल से आ रही हो ,अपने दोस्तों के साथ । एक साल से जिस संदली को देख रही हूँ मैं बेटा ,वो तो तुम हो ही नहीं । सबसे हंसकर बात करने वाली , रोते को हंसा देने वाली ,हमेशा मुस्कुराने वाली संदली । तुम्हे मालूम भी है संदली ,पिछले दस दिन से तुमने मुझे हंसकर 'ग्रीट ' ही नहीं किया है । तुमसे बात करने की वजह ढूंढरही हूँ मैं । जानती हूँ कि व्हाट्सप्प फेसबुक सब तो तुमने बंद कर रखा है । हो सकता है मोबाइल भी स्विच ऑफ हो इस वक्त । मानती हूँ तुमसे उम्र में बहुत बड़ी हूँ मैं ,लेकिन तुम बच्चों के साथ वक्त का पता ही नहीं चलता । बेटा ,मैंने शादी नहीं की क्यूंकि जिनको पसंद करती थी वो मुझे नहीं चाहते थे ।"
संदली विस्मय से आंटी की तरफ देख रही थी ।
"बेटा ,किसी के जाने से ज़िन्दगी नहीं रुकती, समझो इस बात को "- जानकी की ऑंखें नाम हो रही थी ।
"आंटी ,मैं कोशिश कर रही हूँ "
"कैसे बेटा ? खुद को खामोश कर के ?"
संदली की आँखों से आंसूं बह निकले । जानकी ने उसे सीने से लगा लिया ।
"'रो लो बेटा , शायद रो भी नहीं पायी हो ठीक से । सब हल्का हो जायेगा ,सब ठीक हो जायेगा ।"
"आंटी ,वो अब इस दुनिया में ही नहीं रहा "- रोते रोते संदली ने कहा ।
जानकी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था । लगा जैसे आज उसकी अनुभवी ऑंखें उसको धोखा दे रही थी । जो है ही नहीं ,उसको कैसे मन कर ले आये वो ? और इस बच्ची के आगे ज़िन्दगी पड़ी थी । प्यार दस दिन में भुला देने को कैसे कह दूँ इसको ? अजीब दुविधा थी ।
"बिटिया ,तुम्हे पेट्स पसंद हैं ?",- जानकी ने पूछा ।
"जी आंटी "- संदली ने अपने आंसूं पोंछते हुए कहा ।
"ठीक है बेटा ,अब घर जाओ ,कल मिलते हैं ।
जानकी की आँखों में आज संदली का इंतज़ार था । वो आयी और आकर अपना कॉलेज का काम करने लग गयी ।
"कॉफ़ी "- संदली ने आर्डर किया ।
अचानक संदली को अपने पैरो में गीलापन महसूस हुआ । उसने नीचे देखा एक बहुत ही प्यारा सा 'पप्पी ' उसके पैर को चाट रहा था ।
"आव ! सो क्यूट " - संदली ने उसको हाथों में ले लिया था । और वो उससे बहुत देर तक खेलती रही , बातें करती रही । आंटी दूर से ये सब देख रही थी । संदली को बहुत दिन बाद हँसते देखा था ।
" कैसी हो बेटा ? "
"जी ठीक हूँ आंटी । " , " ये 'पप्पी ' आपका है ?"
"नहीं बेटा, तुम्हारा है "- आंटी ने मुस्कुरा कर कहा ।
"थैंक यू आंटी ", - कह कर संदली ने जानकी के गालों को चूम लिया था ।
‘वो 'पप्पी ' छोटा सा था । जिसका ख्याल संदली को रखना पड़ेगा ,तब शायद वो अपनी परेशानी भूल पायेगी । न वक्त बदल सकती हूँ मैं , न उसके आंसुओं की वजह को वापस ला सकती हूँ ; बस एक वजह दे सकती हूँ उसको मुस्कुराने की । उसके अकेलेपन को दूर करने की ।‘
इस वक्त वो पप्पी उसके पैरो को काट रहा है ।
"हनी ! स्टॉप इट बेबी ", कहकर संदली ने उसको अपनी गोद में रख लिया है । वो अपने हाथों से उसको सहला रही है । अब वो अकेली नहीं है ,दुनिया से कुछ पलों के लिए बाहर है । उसकी आँखों में चमक है , प्यार है एक बेज़ुबान के लिए ; शायद उसकी चुलबुली हरकतें उसको कुछ देर के लिए उसका दुःख भुला दे ।
‘इतनी जल्दी से कोई शख्स उस गुड़िया की ज़िन्दगी में आ जाये , और मैं कोई जादू से उसके प्यार को वापस ले आऊं ,ये सब कहानी की बातें हैं । इस वक्त यही उसकी सबसे प्यारी ख़ुशी है |'
